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सुल्तानपुर के रामचेत मोची की 'बदली' जिंदगी का क्या है सच? राहुल गांधी ने किया था बिहार चुनाव में जिक्र, पढ़िए- ग्राउंड रिपोर्ट

बिहार चुनाव प्रचार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी यूपी के दलित मोची रामचेत की स्थिति बदलने का दावा कर रहे हैं. राहुल गांधी ने सुल्तानपुर में रामचेत से मुलाकात कर उन्हें इलेक्ट्रॉनिक मशीन दी थी. अब कांग्रेस कह रही है कि रामचेत के हालात बदल गए हैं और उन्होंने 10 लोगों को रोजगार दिया है, जिससे यह नाम फिर चर्चा में आ गया है. आइए जानते हैं कैसे हैं रामचेत के हालात...

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जुलाई 2024 में रामचेत मोची की दुकान गए थे राहुल गांधी (Photo- PTI)
जुलाई 2024 में रामचेत मोची की दुकान गए थे राहुल गांधी (Photo- PTI)

बिहार चुनाव प्रचार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूपी के सुल्तानपुर जिला निवासी दलित मोची रामचेत की स्थिति बदलने का जिक्र किया. राहुल गांधी का दावा है कि उन्होंने रामचेत की मदद की, जिससे उनके हालात बदल गए और उन्होंने 10 लोगों को रोजगार भी दिया. लेकिन जब 'आजतक' की टीम ने मौके पर जाकर रामचेत के बेटे से बात की, तो हकीकत कुछ और ही निकली. 

कौन हैं रामचेत मोची?

सुल्तानपुर के रहने वाले दलित रामचेत पेशे से मोची हैं. उनकी दुकान अयोध्या-प्रयागराज मार्ग पर गुप्तारगंज के पास हाईवे पर ही है. राहुल गांधी जुलाई 2024 में एक मामले में सुल्तानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी पर आए थे और दिल्ली लौटते समय अचानक रामचेत मोची की दुकान पर रुक गए थे. रामचेत ने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए मदद मांगी थी. राहुल गांधी ने उन्हें एक जूते, बैग आदि सिलने वाली इलेक्ट्रॉनिक मशीन भिजवाई थी, जिसके बाद से रामचेत सुर्खियों में आ गए थे. 

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बेटे राघव राम ने बताई हकीकत

मौजूदा समय में रामचेत मोची की दुकान पर उनका बेटा राघव राम अपने एक रिश्तेदार के साथ काम कर रहा है. रामचेत के बेटे राघव राम ने बताया कि राहुल गांधी ने जो मशीन दी थी, उस पर कई महीनों से काम बंद है. उन्होंने कहा कि उनके पिता रामचेत की तबीयत खराब हो गई है, जिसकी वजह से जो कारीगर आए भी थे, वे काम छोड़कर चले गए. राघव राम ने कहा कि पहले दो कारीगर आते थे, लेकिन आजकल वह अकेले ही काम कर रहे हैं. काम बढ़ा जरूर, लेकिन हालात नहीं बदले. 

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बिस्तर पर पड़े हैं रामचेत, दावों में कितना दम?

रामचेत मोची महीनों से बीमार हैं. वह अपने घर के बगल छप्पर के नीचे बिस्तर पर पड़े हैं. उनके गर्दन में गांठ निकल आई थी और इलाहाबाद में उनका इलाज भी हुआ. लेकिन अब उनके शरीर में इतनी ताकत नहीं बची कि वह बैठकर किसी से बात कर सकें. वह बिस्तर पर पड़े-पड़े ही अपने हालात बयां कर रहे हैं. मौके पर रामचेत की दुकान पर ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देता, जिससे यह साबित हो सके कि उनके यहां 10 लोग काम पर लगे हों. 

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मदद का एहसान, पर किस्मत को कुछ और मंजूर

राहुल गांधी बिहार चुनाव प्रचार में भले ही रामचेत के हालात बदलने का दावा कर रहे हों, लेकिन आज भी जमीनी हकीकत अलग है. रामचेत मोची ने यह भी बताया कि राहुल गांधी ने उनकी रोजगार बढ़ाने और इलाज में भी मदद की थी. रामचेत मोची राहुल गांधी के इस एहसानमंद जरूर हैं. लेकिन दुर्भाग्य से उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, सो आज रामचेत अपना जीवन बिस्तर पर पड़े-पड़े ही गुजार रहे हैं.

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