कुछ दिन पहले ही समाजवादी पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्या अब अपनी नई पार्टी बनाने जा रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य अपने समर्थकों के साथ 22 फरवरी को नए राजनीतिक संगठन या पार्टी का ऐलान कर सकते हैं.
कई चेहरे हो सकते हैं शामिल
चर्चा है कि पुराने बहुजन चेहरों और खासकर दलित ओबीसी की राजनीति करने वाले नेताओं के साथ मिलकर स्वामी प्रसाद मौर्य एक नए राजनीतिक संगठन के साथ सामने आ सकते हैं. इसमें समाजवादी पार्टी के उनके समर्थक पूर्व विधायक पूर्व सांसद बिहार के कई नेता शामिल होंगे.
अभी यह तय नहीं है कि पल्लवी पटेल या सलीम शेरवानी उसमें शामिल होंगे या नहीं, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य ओबीसी दलित के नेताओं और चेहरों को लेकर अलग संगठन बना सकते हैं. माना जा रहा है कि दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में शोषित वंचित संघर्ष समिति के बैनर तले यह कार्यक्रम आयोजित होगा.
स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान
नई पार्टी बनाए जाने की अटकलों पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, 'सभी जानते हैं कि वह (अखिलेश) सरकार में नहीं हैं, न केंद्र में उनकी सरकार है और न ही राज्य में.आपने मुझे जो भी सम्मान दिया है, मैं उसे लौटा दूंगा.क्योंकि मेरे लिए पद मायने नहीं रखता, मेरे लिए विचार मायने रखते हैं.हमने सब कुछ अपने कार्यकर्ताओं पर छोड़ दिया है, उनका जो भी निर्णय होगा वह मेरा निर्णय होगा. '
उन्होंने आगे कहा, '22 फरवरी को दिल्ली में कार्यकर्ताओं का जमावड़ा होगा और इस मुद्दे पर कार्यकर्ता जो निर्णय लेंगे, उसके अनुसार निर्णय की घोषणा की जाएगी. हमें जाति जनगणना की मांग को लेकर सड़कों पर आना चाहिए था, हम कमरे में बैठे हैं. एक ऐसे राष्ट्रीय महासचिव भी हैं जिनका हर बयान निजी हो जाता है. मैं भेदभाव के खिलाफ रहता हूं.जब बोल नहीं सकता तो फिर ऐसे पद पर रहने की क्या जरूरत है
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सपा से इस्तीफा देने की बताई वजह
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था. अपने बयानों को लेकर लंबे समय से विवादों में चल रहे नेता ने सिर्फ पद से इस्तीफा दिया था पार्टी से नहीं. उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को इस संबंध में एक लंबा चौड़ा खत लिखते हुए इस्तीफे के कारणों बताए.
सपा के विधान परिषद सदस्य मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा था कि उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम अपने तौर तरीके से जारी रखा लेकिन पार्टी के ही कुछ ‘छुटभैये’ और कुछ बड़े नेताओं ने उसे उनका बयान कहकर उनके प्रयास की धार को कुंद करने की कोशिश की.
मौर्य ने पत्र में कहा, ‘दूसरी हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का रुझान समाजवादी पार्टी की तरफ बढ़ा है। बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का और जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे? यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो मैं समझता हूं ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से मैं त्यागपत्र दे रहा हूं, कृपया इसे स्वीकार करें.’