स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस को लेकर बयान पर मचे सियासी घमासान के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के भीतर से ही आवाज उठने लगी थी. कभी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की करीबी नेताओं में शुमार रहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पहली महिला अध्यक्ष ऋचा सिंह ने भी स्वामी प्रसाद का विरोध किया था. सपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
सपा से निष्कासित ऋचा सिंह ने सपा से अपने निष्कासन को लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. ऋचा सिंह ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपने निष्कासन को लेकर शिकायत की है. कभी सीएम योगी का विरोध कर सुर्खियों में आई ऋचा सिंह ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में समाजवादी पार्टी के संविधान का भी हवाला दिया है.
ऋचा सिंह ने सपा से अपने निष्कासन को अलोकतांत्रिक, अपमानजनक और पार्टी के संविधान के खिलाफ बताया है और चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की है. अपने पत्र में समाजवादी पार्टी के संविधान का हवाला देते हुए ऋचा सिंह ने कहा है कि उनको कारण बताओ नोटिस तक जारी नहीं की गई और ना ही पार्टी की ओर से अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया.
उन्होंने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है और ये भी कहा है कि यह समाजवादी पार्टी के संविधान का उल्लंघन है. गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के विरोध में लगातार बयान देने के कारण समाजवादी पार्टी ने ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा को पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
सपा से निष्कासन के बाद ऋचा सिंह ने ट्वीट कर इसे लेकर चुनाव आयोग जाने का ऐलान कर दिया था. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि सपा से उन्हें निष्कासित करने में पार्टी के संविधान का पालन नहीं किया गया. इसे लेकर सपा से लेकर चुनाव आयोग तक से जवाब मांगने का प्रयास करूंगी. ऋचा सिंह ने ये भी कहा था कि सपा अब लोहिया की विचारधारा से भटक चुकी है.
ऋचा सिंह ने ये भी कहा था कि अगर आज लोहिया और जयप्रकाश नारायण होते तो शायद उन्हें भी पार्टी बाहर का रास्ता दिखा देती. उन्होंने रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी को बर्दाश्त से बाहर बताया था और कहा था कि सवर्ण बिरादरी से हूं. इसी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.