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HIV से पीड़ित व्यक्ति को रोजगार या प्रमोशन से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति डी.के उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने एक सीआरपीएफ कांस्टेबल की याचिका पर यह आदेश पारित किया. याचिकाकर्ता ने एकल-न्यायाधीश पीठ के 24 मई के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सीआरपीएफ द्वारा जारी आदेश के खिलाफ उसकी अपील को खारिज कर दिया था.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश (प्रतीकात्मक तस्वीर)

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति जो स्वस्थ है, को रोजगार या प्रमोशन से इनकार नहीं किया जा सकता है. न्यायमूर्ति डी.के उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने एक सीआरपीएफ कांस्टेबल की याचिका पर यह आदेश पारित किया. 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक याचिकाकर्ता ने एकल-न्यायाधीश पीठ के 24 मई के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सीआरपीएफ द्वारा जारी आदेश के खिलाफ उसकी अपील को खारिज कर दिया था. उस आदेश में सीआरपीएफ ने याचिकार्ता को इस आधार पर प्रमोशन देने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे.

दो जजों की पीठ ने अपने आदेशमें कहा, “किसी व्यक्ति की एचआईवी स्थिति रोजगार में प्रमोशन से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती क्योंकि यह भेदभावपूर्ण होगा और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 16 (रोजगार में गैर-भेदभाव का अधिकार) और 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन होगाा.

पीठ ने कोर्ट के पिछले आदेश को रद्द करते हुए केंद्र सरकार के साथ-साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को भी निर्देश दिया कि कांस्टेबल को हेड कांस्टेबल के पद पर उसी तारीख से प्रमोट किया जाए जिसमें उसे अन्य जूनियरों को प्रमोट किया गया था.

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पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को सीआरपीएफ में अन्य हेड कांस्टेबल ही सभी लाभ दिए जाएं. आदेश पारित करते समय, पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के प्रेरक प्रभाव पर विचार किया, जिसने 2010 में एचआईवी से पीड़ित एक आईटीबीपी जवान के पक्ष में इसी तरह का आदेश पारित किया था.

अपनी अपील में सीआरपीएफ कांस्टेबल ने कहा था कि उसे 1993 में कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया था और शुरुआत में वह कश्मीर में तैनात था. बाद में, 2008 में वह एचआईवी पॉजिटिव पाया गया. वह अपना कर्तव्य निभाने के लिए फिट था और उसे 2013 में प्रमोट किया गया था, लेकिन 2014 में अचानक उसके प्रमोशन को रद्द कर दिया गया. आज भी करीब नौ साल बाद वह सीआरपीएफ में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत है और उसी स्थिति में है.

मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए पीठ ने कहा, "चूंकि एक व्यक्ति, जो फिट है, को केवल इस आधार पर रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह एचआईवी पॉजिटिव है और यह सिद्धांत प्रमोशन देने तक भी लागू होता है."

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