सावन मास में कांवड़ मेले के दौरान अब उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर भगवान शिव शंकर के रंग में पूरी तरह रंग गया है. जिसके चलते इस कावड़ यात्रा के दौरान एक से एक अनोखी कावड़ अब देखने को मिल रही हैं. देर रात भी यहां एक ऐसी अनोखी कावड़ पहुंची थी जो हाइड्रोलिक सिस्टम से तैयार की गई थी. इसमें शिव शंकर भगवान अपने रौद्र रूप में खड़े होते हैं जिसके बाद उनके मस्तिष्क से जहां आग निकलती है तो वहीं हाथ का डमरू भी खुद-ब-खुद बजने लगता है.
इस अनोखी कांवड़ को देखने के लिए शहर की हृदय स्थली शिव चौक पर लोगों का हुजूम लग गया था. बताया जाता है कि यह कांवड़ 10 लाख रुपये की कीमत से तैयार की गई है. 22 लोगों की टोली नाचते गाते हरिद्वार से गंगाजल उठाकर इस अनोखी हाइड्रोलिक कावड़ को लेकर दिल्ली के उत्तम नगर की ओर प्रस्थान कर रही है. बताया जाता है कि ये टोली इस अनोखी कावड़ को लेकर प्रतिदिन 30 किलोमीटर का सफर तय करती है.
जानकारी देते हुए इस टोली के सदस्य धनंजय सिंह नाम के शिव भक्त ने बताया कि हम हरिद्वार से जल लेकर दिल्ली के उत्तम नगर महारानी एनक्लेव जा रहे हैं. इस कांवड़ की खासियत यह है कि यह हाइड्रोलिक कावड़ है.इसमें भोले बाबा उठते भी हैं . बैठते भी हैं और डमरू भी बजता है.इसमें 10 लाख का खर्चा आया है. पूरी कावड़ में हमारी 22 लोगों की टीम है. यह हमारी दूसरी विशाल कावड़ यात्रा है. हम रोजाना 30 किलोमीटर के आसपास चल लेते हैं.
बता दें कि सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान रोजाना नए- नए नजारे देखने को मिल रहे हैं.इसी कड़ी में हाल में मेरठ के चार किसान भाइयों ने कांवड़ यात्रा के दौरान अपने माता-पिता को कंधों पर बैठाकर 'श्रवण कांवड़' निकाली, जो सभी के लिए प्रेरणा बन गई. इससे पहले वे अपने दादा-दादी को भी यात्रा करा चुके हैं. हरिद्वार से रोजाना 15 किलोमीटर की यात्रा करते हुए वे गुरुवार को मुजफ्फरनगर पहुंचे। मां उषा देवी ने भावुक होकर कहा, 'ऐसे बेटे सबको मिलें'. समाज में यह कांवड़ एक गहरा संदेश छोड़ रही हैच.