
उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी (डिप्टी डायरेक्टर) आदित्यवर्धन सिंह गंगा में नहाने के लिए गए थे. लेकिन इस दौरान पैर फिसलने के कारण वो नदी में डूब गए. घटना बीते शनिवार की है, लेकिन अभी तक उनका कुछ पता नहीं चला है. गोताखोरों की टीम उनकी तलाश में जुटी हुई है. NDRF, एसडीआरएफ भी लगाई गई है. पीएसी, जल पुलिस आदि भी खोजबीन में जुटी हुई है लेकिन 48 घंटे बाद भी उनके हाथ खाली हैं.
वहीं, अधिकारी के दोस्तों का कहना है कि उन लोगों ने तुरंत वहां मौजूद गोताखोरों से मदद मांगी थी, लेकिन गोताखोरों ने पहले उन्हें 10 हजार रुपये देने की बात कही. कैश न होने के कारण जब तक पैसे एक दुकानदार के अकाउंट में ऑनलाइन ट्रांसफर किए गए, तब तक देर हो चुकी थी. आदित्यवर्धन सिंह नदी में बह गए. मामला बिल्हौर कोतवाली के अंतर्गत आने वाले नानामऊ घाट का है.
आरोप है कि अगर मौके पर मौजूद गोताखोर तुरंत रेस्क्यू शुरू करते तो आदित्यवर्धन (45) को बचाया जा सकता था. लेकिन उन्होंने पहले पैसे ट्रांसफर करवाए, फिर रेस्क्यू में जुटे. मगर तब तक आदित्यवर्धन नदी के बहाव में बह चुके थे.
पत्नी जज, भाई IAS
आदित्यवर्धन की पत्नी महाराष्ट्र में जज हैं. वहीं, उनके चचेरे भाई बिहार में सीनियर IAS ऑफिसर हैं. आस्ट्रेलिया से आदित्यवर्धन के माता-पिता और बहन कानपुर पहुंच गए हैं. अन्य परिजन भी मौके पर पहुंचे हुए हैं. पत्नी पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद हैं. फिलहाल, अधिकारी के गंगा में डूबने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या पैसों के आगे किसी की जिंदगी की कोई अहमियत नहीं है.

पहले लिए पैसे, फिर शुरू किया रेस्क्यू
जानकारी के मुताबिक, कानपुर के नानामऊ घाट पर हुई ये घटना शनिवार, 31 अगस्त की है. उन्नाव निवासी यूपी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आदित्यवर्धन अपने दोस्तों प्रदीप तिवारी आदि के साथ गंगा नहाने आए थे. दोस्तों का कहना है कि नहाते समय आदित्यवर्धन ने फोटो खींचने के लिए कहा. इस दौरान उनका पैर गड्ढे में चला गया और वो डूबने लगे. जिसपर तुरंत घाट पर खड़े गोताखोरों से मदद मांगी गई.
लेकिन गोताखोरों ने उन लोगों से पहले 10 हजार रुपये देने को कहा. उनके पास उस वक्त 10 हजार कैश नहीं थे. हालांकि, उन्होंने एक दुकानदार के खाते में पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए. जिसके बाद गोताखोर आदित्यवर्धन को बचाने के लिए आगे बढ़े. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
जब तक स्क्रीनशॉट नहीं देखा, तब तक रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं किया
आदित्यवर्धन के रिश्तेदार अनिकेत सिंह ने कहा कि घाट पर मौजूद दुकानदारों ने जब तक ₹10000 ट्रांसफर का स्क्रीनशॉट नहीं देख लिया तब तक वह उनको बचाने के लिए गंगा में नहीं गए. अगर वह तुरंत चले जाते और 10-15 मिनट पैसे ट्रांसफर करने में बर्बाद न करते तो आदित्यवर्धन की जान बच सकती थी.
वहीं, जिस दुकानदार के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कराए गए थे, उसका कहना है कि गोताखोरों का अपना कोई ऑनलाइन अकाउंट नहीं था, इसलिए उसके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कराए गए थे. लेकिन जब आदित्यवर्धन नहीं मिले, तो उसने पैसे वापस कर दिए. यह पूछे जाने पर कि गोताखोरों ने पहले डूबते शख्स को क्यों नहीं बचाया, पैसे बाद में मांग लेते? इस पर दुकानदार ने कहा- जब कोई दिखता, तो बचा लेते.
फिलहाल, देर रात आदित्यवर्धन सिंह की बॉडी नहीं मिली है. पुलिस-प्रशासन की ओर से तलाशी अभियान जारी है. एसडीआरएफ की टीम नदी में तलाश कर रही है. कई किलोमीटर के एरिया को छाना जा रहा है. एडीसीपी बृजेन्द्र द्विवेदी अपनी टीम के साथ दो दिन से लगातार घाट पर ही जमे हुए हैं. उनका कहना है गंगा में कई टीम में लगाई गई हैं, सभी प्रयास किये जा रहे हैं. पीड़ित के परिजन और रिश्तेदार भी घटनास्थल पहुंच चुके हैं.