गंगा नदी (Ganga River) भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक है. यह भारत से होते हुए बांग्लादेश से होकर गुजरती है. उसकी कुल लंबाई 2,525 किमी (1,569 मील) है. गंगा नदी उत्तराखंड में पश्चिमी हिमालय से निकलती है. गंगा की मुख्य शाखा देवप्रयाग शहर से भागीरथी और अलकनंदा नदियों के संगम से शुरू होता है. निर्वहन के हिसाब से गंगा नदी पृथ्वी पर दूसरी सबसे बड़ी नदी है.
गंगा हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र नदी है. इसे हिंदू धर्म में देवी गंगा के रूप में पूजा जाता है. भारत के कई शहरों में गंगा आरती की जाती है जो काफी प्रसिद्ध है. खास कर बनारस और हरिद्वार की गंगा आरती देखने के लिए लाखों की तादाद में लोग यहां आते हैं.
यह नदी ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रही है. गंगा नदी या सहायक नदियां पाटलिपुत्र, कन्नौज, सोनारगांव, ढाका, बिक्रमपुर, कारा, मुंगेर, काशी, पटना, हाजीपुर, भागलपुर, मुर्शिदाबाद, बहरामपुर, काम्पिल्य, दिल्ली और कोलकाता से गुजरती हैं.
गंगा नदी में मछलियों की लगभग 140 प्रजातियां पाई जाती है. इस नदी में घड़ियाल और डॉल्फिन जैसी गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियां भी शामिल हैं. अलकनंदा के संगम पर और भागीरथी, जिसे सभी हिंदू पौराणिक कथाओं में स्रोत धारा माना जाता है।
1965 में सीआईए ने नंदा देवी चोटी पर चीन की जासूसी के लिए प्लूटोनियम से चलने वाला न्यूक्लियर जनरेटर लगाने की कोशिश की. बर्फीले तूफान में उपकरण छोड़ना पड़ा. हिमस्खलन ने इसे बहा लिया. आज भी गायब है. गंगा के स्रोतों में प्रदूषण का खतरा बना हुआ है. अमेरिका चुप है, भारत में चिंता बढ़ रही है.
कार्तिक पूर्णिमा पर पटना में श्रद्धालुओं की भीड़ से अटल पथ, मरीन ड्राइव और दीघा रोड पर भीषण ट्रैफिक जाम लग गया. कई किलोमीटर लंबी कतारों में फंसे लोग घंटों परेशान रहे, जबकि ट्रैफिक सिस्टम पूरी तरह चरमरा गया.
टीम इंडिया के स्टार विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत गंगोत्री धाम पहुंचे, जहां उन्होंने मां गंगा से इंटरनेशनल क्रिकेट में जल्द वापसी की प्रार्थना की. उनके साथ राहुल तेवतिया भी नजर आए. पंत की यह आस्था और सादगी देखकर फैन्स काफी प्रभावित दिखे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर संस्कृति मंत्रालय ने उन सभी गिफ्ट्स का इ ऑक्शन किया है जो प्रधानमंत्री को पिछले 1 साल में मिले हैं. इस ई-नीलामी से प्राप्त होने वाली रकम का इस्तेमाल नमामि गंगे प्रोजेक्ट में किया जाएगा, जिसमें अब तक 50 करोड़ से ज़्यादा की रकम सरकार को मिल चुकी है, जिसका उपयोग गंगा की सफाई में होता है.
बिहार के आरा में गंगा नदी की उफनती लहरें स्थानीय लोगों के लिए भयानक सपना लेकर आई है. बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया है लेकिन एक बुजुर्ग किसान अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं है. उन्होंने भावुक स्वर में कहा कि सालों की कमाई से बनी थी यह घर लेकिन इस बार बाढ़ ने सब कुछ लील लिया. फसलें बह गईं, गायें डूब गईं.
बिजनौर में गंगा नदी का जलस्तर कम होने के बाद अब उसकी धार ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. गंगा बैराज के पास बने तटबंध में कटान शुरू हो गया है, जिससे वहां रहने वाले लोगों में दहशत है. अगर यह तटबंध टूटता है तो 50 से ज्यादा गांवों और शहर के कई हिस्सों में बाढ़ आ सकती है.
आईआईटी इंदौर के अध्ययन से पता चला कि गंगोत्री ग्लेशियर ने 40 सालों में 10% स्नो मेल्टिंग से मिलने वाला बहाव खो दिया है. जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ने से बर्फ कम बन रही है, जबकि बारिश और भूजल का योगदान बढ़ रहा है. इससे गंगा का प्रवाह बदल रहा है, जो कृषि, जलविद्युत और जल सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है.
Ganga River के भविष्य पर क्यों मंडरा रहा खतरा? गंगोत्री ग्लेशियर पिछले 40 साल में 10% पिघल चुका है. ये बदलाव उत्तरी भारत के जल संसाधनों के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा कर सकता है. इसके पीछे क्या है बड़ी वजह… समझते हैं…
एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय से पूछा कि गर्मियों में गंगा के प्रवाह में भूजल की क्या भूमिका है. आईआईटी रुड़की के अध्ययन से पता चला कि गंगा का प्रवाह ग्लेशियरों से नहीं, बल्कि भूजल से चलता है. 58% पानी वाष्पीकरण से खत्म होता है. एनजीटी ने 10 नवंबर की सुनवाई से पहले रिपोर्ट मांगी. भूजल संरक्षण और सहायक नदियों की बहाली जरूरी है.
आज तक की OSINT टीम ने CWC के ताजा बाढ़ डेटा और रिमोट सेंसिंग इमेजरी का विश्लेषण कर देशभर में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया. उत्तर प्रदेश में गंगा, बिहार में घाघरा, पश्चिम बंगाल में इच्छामती, और असम में ब्रह्मपुत्र नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
बिहार में गंगा और कोसी नदी के उफान ने कई जिलों को जलमग्न कर दिया है. भागलपुर, कटिहार, खगड़िया समेत दर्जनों इलाके डूबे, फसलें बर्बाद और लाखों लोग बेघर. राहत-बचाव कार्य जारी.
धराली में सेना के MI-17 और चिनूक हेलिकॉप्टरों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. मशीनों की मदद से मलबे को हटाया जा रहा है. अब तक लगभग 150 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है.
उत्तराखंड की नदियां और पहाड़ प्रकृति का अनमोल तोहफा हैं, लेकिन इंसानी लापरवाही और जलवायु परिवर्तन ने इन्हें तबाही का हथियार बना दिया है. भागीरथी, अलकनंदा और ऋषिगंगा जैसी नदियां, जो कभी जीवन का आधार थीं, अब गलत नीतियों और पर्यावरण की अनदेखी के कारण खतरा बन रही हैं. वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि अगर हम समय रहते सतर्क नहीं हुए, तो ऐसी आपदाएं और बढ़ेंगी.
प्रयागराज में गंगा और यमुना के उफान से बाढ़ ने तबाही मचा दी है. गलियां जलमग्न हैं, लोग छतों पर फंसे हैं, और राहत के लिए NDRF की टीमें तैनात हैं.
धराली के पास के मुखबा गांव के लोगों ने जब इस भयावह मंजर को देखा तो उनके भी रोंगटे खड़े हो गए. मुखबा गांव के स्थानीय निवासी और इस घटना के चश्मदीद 60 साल के सुभाष चंद्र सेमवाल बताते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा भयावह दृश्य कभी नहीं देखा.
प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियां उफान पर हैं. दोनों नदियों ने विकराल रूप धारण किया हुआ है. इस बीच मंगलवार को बाढ़ के पानी में नहाने के दौरान दर्दनाक हादसा हो गया.
दारागंज का श्मशान घाट पूरी तरह से पानी में डूब गया है. ऐसे में लोग अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार के लिए सड़कों का इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां अंतिम संस्कार के लिए शवों की लंबी कतारें लगी हैं, जिससे परिवारों को कई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है.
वायरल वीडियो में मंत्री जी बाढ़ पीड़ितों से 'गंगा मैया तो गंगा पुत्र का पैर धोने आती हैं और आदमी सीधा स्वर्ग जाता है' कहते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, इस दौरान मंत्री ने प्रशासन के साथ मिलकर बाढ़ के शिकार लोगों को राहत सामग्री भी बांटी.
मौजूदा समय में वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से लगभग एक मीटर ऊपर है और 3 सेमी/घंटे की रफ्तार से बढ़ाव जारी है. गंगा की लहरें समुद्री लहरों की तरह 10-10 फीट तक उठ रही हैं.
वाराणसी में गंगा नदी में आई बाढ़ का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. गंगा घाट के बाद तटवर्ती इलाकों में भी पानी पहुंच गया है. सभी 84 घाट पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं. गंगा आरती अब छतों या ऊंचाई वाले स्थानों पर ही संपन्न हो रही है. नाव और मोटर बोट के संचालन पर रोक जारी है. तटवर्ती इलाकों के लोगों की चिंता बढ़ गई है.
सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगाजल चढ़ाना शुभ माना जाता है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ गलतियां हैं जो नहीं करनी चाहिए. जानिए गंगाजल रखने और चढ़ाने के सही नियम.