देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने संभल के सांसद शफीकुर्रहमान के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि 17 तारीख यानी शुक्रवार को फिलिस्तीन के समर्थन में सभी लोग दुआ करें. फिलिस्तीन में बूढ़े, बच्चे, नौजवान और महिलाओं को शहीद किया जा रहा है, उसे लेकर दुआ करें. वहां अमन-चैन काम हो और जो बेगुनाह मारे जा रहे हैं. उनको मारना बंद किया जाए और जो वहां युद्ध चल रहा है, वह युद्ध भी जल्दी थम जाए.
मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि दुआ केवल अपने घर या इबादत घर (मस्जिद) के अंदर करें. कोई भी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन या नारेबाजी बिल्कुल ना करें. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से फिलिस्तीन में जुर्म किया जा रहा है, वह गलत है. जब से यह जंग शुरू हुई है, तभी से तमाम लोग फिलिस्तीन के मजलूमों के लिए दुआ कर रहे हैं कि वहां अमन-चैन कायम हो.
कासमी ने कहा कि मैं यह साफ कर दूं कि दुआ का मतलब होता है अपनी-अपनी इबादतगाहों के अंदर बैठकर अमन शांति के साथ दुआ की जाए. अपने घरों के अंदर बैठकर दुआए की जाए. इसका मतलब यह नहीं होता कि सड़कों पर उतर कर प्रर्दशन किया जाए. इसका मतलब होता है कि अपने दिल से अपनी इबादतगाहों में बैठकर अपनी जगह पर बैठकर मजलूमों के लिए दुआ करें.
इससे पहले जमीयत-उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गाजा में बमबारी की आलोचना करते हुए कहा कि फिलिस्तीनी अपनी आजादी के लिए लड़ रहे हैं, जबकि इजरायली हमला कर रहे हैं. फिलिस्तीन अपने मुल्क और अपनी आवाम को बचाने के लिए खुद को कुर्बान कर रहा है. अगर इजराइल-फिलिस्तीन की लड़ाई अरब देशों में पहुंच गई तो इसके परिणाम भयानक होंगे.
बता दें कि 7 अक्टूबर से शुरू हुई इजरायल हमास जंग अब भी जारी है. इस दौरान इजरायल की एयरस्ट्राइक में फिलिस्तान में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. मरने वालों में बड़ी तादाद महिलाओं और बच्चों की है. इसलिए अब अरब देशों के साथ-साथ यूरोपीय देश भी इजरायल से कुछ समय के लिए सीजफायर कर लेने की अपील कर रहे हैं. हालांकि, तमाम अपीलों के बाद भी इजरायल रुकने का नाम नहीं ले रहा है.