यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजधानी लखनऊ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लिए एक बड़ी सौगात की घोषणा की है. यह सौगात है 100 से अधिक नई और मजबूत सड़कों का निर्माण, जो शहरों के ट्रैफिक से लेकर जल निकासी की समस्याओं तक को खत्म करने का काम करेगी.
2025-26 के वित्तीय वर्ष में त्वरित आर्थिक विकास योजना (Rapid Economic Development Scheme) के तहत इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की शुरुआत की जाएगी, जिससे लखनऊ और वाराणसी में आने वाले वर्षों में जमीन से लेकर जिंदगी तक बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है.
सड़क नहीं, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का सपना
न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक सरकार की योजना केवल सड़क निर्माण की नहीं है, बल्कि एक ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल की है जिसमें सीसी रोड (कांक्रीट), इंटरलॉकिंग सड़कें, और पक्की नालियां शामिल होंगी. इस परियोजना के तहत न केवल लोगों को बेहतर सड़कें मिलेंगी, बल्कि बरसात के दिनों में जलभराव और कीचड़ जैसी समस्याओं से भी निजात मिलेगी. ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को इन कार्यों के लिए कार्यदायी संस्था बनाया गया है. यानी अब जो काम होंगे, वह पूरी तरह से योजनाबद्ध, आधुनिक तकनीक के साथ और समयबद्ध तरीके से किए जाएंगे.
25 सड़कें लखनऊ में, 77 सड़कें वाराणसी में
इस योजना के तहत लखनऊ में 25 और वाराणसी में 77 प्रमुख सड़कों का निर्माण किया जाएगा. लखनऊ के जिन क्षेत्रों को इस योजना का लाभ मिलेगा, उनमें बक्शी का तालाब, मलिहाबाद और सरोजनी नगर जैसे विकासखंड शामिल हैं. वहीं वाराणसी में पिंडरा, नारायणपुर, सारनाथ और सरसौली वार्ड सहित अन्य कई इलाकों में व्यापक स्तर पर कार्य होंगे.
कैसे मिलेगी आम जनता को राहत
बताया जा रहा है कि दोनों प्रमुख शहरों की प्रमुख सड़कों के चौड़ीकरण और मजबूती से ट्रैफिक जाम की समस्या काफी हद तक कम होगी. वहीं इंटरलॉकिंग और पक्की नालियों के निर्माण से बरसात के समय गड्ढों और कीचड़ की समस्या नहीं रहेगी.
मंजूरी के बाद शुरू होगा काम, समयबद्ध पूरा होगा प्रोजेक्ट
इन सभी निर्माण कार्यों की शुरुआत तब होगी जब आवश्यक पर्यावरणीय और वैधानिक मंजूरियां मिल जाएंगी. जिलाधिकारियों को इस बाबत पहले ही निर्देश दे दिए गए हैं, ताकि प्रक्रिया में देरी न हो. राज्य सरकार इसे प्राथमिकता वाली योजना के रूप में देख रही है और सभी कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की योजना है.
निगरानी और पारदर्शिता भी होगी तय
इन निर्माण कार्यों की प्रगति की निगरानी जिला स्तरीय समितियों और संबंधित विभागों द्वारा की जाएगी, जिससे गुणवत्ता से कोई समझौता न हो. ठेकेदारों और निर्माण एजेंसियों को सख्त निर्देश दिए जाएंगे कि कोई भी कार्य अधूरा, घटिया या देरी से न हो.