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बांदा: मासूम से दुष्कर्म के बाद सिस्टम की बेरुखी, 10 लाख मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहा पीड़ित परिवार

बांदा के कालिंजर थाना क्षेत्र में 6 वर्षीय मासूम से दुष्कर्म के मामले में प्रशासन द्वारा घोषित 10 लाख रुपये का मुआवजा पांच माह बाद भी पीड़ित परिवार को नहीं मिला है. मुआवजे के लिए परिवार दर-दर भटक रहा है. थक-हारकर परिजनों ने डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी से न्याय की गुहार लगाई है. प्रशासन ने जल्द राशि देने का आश्वासन दिया है.

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 6 साल की मासूम से हैवानियत.(Photo: Representational)
 6 साल की मासूम से हैवानियत.(Photo: Representational)

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में 6 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के सनसनीखेज मामले में प्रशासन द्वारा घोषित आर्थिक सहायता अब तक पीड़ित परिवार को नहीं मिल सकी है. इस मामले ने एक बार फिर सिस्टम की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बच्ची के साथ हुई हैवानियत के बाद जिला प्रशासन ने इलाज और पालन-पोषण के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे का एलान किया था, लेकिन पांच महीने बीतने के बाद भी राशि नहीं मिली है.

मुआवजा न मिलने से पीड़ित परिवार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. परिवार इलाज और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए अफसरों के चक्कर काटते-काटते थक चुका है. आखिरकार अब पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाई है और जिलाधिकारी को पत्र सौंपा है.

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कलेक्ट्रेट में नारेबाजी, 24 घंटे का अल्टीमेटम

मुआवजा न मिलने से नाराज पीड़ित परिवार ने कलेक्ट्रेट परिसर में जमकर नारेबाजी की. परिवार की मांग है कि 24 घंटे के भीतर मुआवजे की पूरी राशि उनके खाते में भेजी जाए. साथ ही उन्होंने आरोपी को फांसी की सजा देने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग भी उठाई है. चेतावनी दी गई है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन किया जाएगा.

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दरअसल, यह पूरा मामला कालिंजर थाना क्षेत्र का है. 25 जुलाई 2025 को आरोपी ने 6 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म कर हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं. बच्ची के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान मिले थे, जिसके बाद पूरे जिले में आक्रोश फैल गया था.

पुलिस कार्रवाई पूरी, ट्रायल जारी

घटना के बाद पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया और जेल भेजा. पुलिस ने चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल कर दी है. फिलहाल मामला अदालत में ट्रायल के दौर से गुजर रहा है और आने वाले दिनों में फैसला आने की संभावना जताई जा रही है.

बच्ची के इलाज और ऑपरेशन की जरूरत को देखते हुए जिला प्रशासन ने 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की थी, लेकिन यह घोषणा अब तक कागजों में ही सिमटी हुई है. इसी वजह से पीड़ित परिवार न्याय के लिए भटक रहा है.

प्रशासन का बयान, जल्द मिलेगी राशि

इस मामले पर अपर जिलाधिकारी कुमार धर्मेंद्र ने बताया कि जिला प्रोबेशन कार्यालय की ओर से पहले 3 लाख रुपये दिए जाने थे, लेकिन मामला अत्यंत संवेदनशील होने के कारण बैठक कर 10 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया गया. इसकी आख्या शासन को भेज दी गई है और जल्द ही राशि पीड़ित परिवार के खाते में भेज दी जाएगी.

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