अयोध्या के राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में संविदा कर्मचारी की आत्महत्या मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. बताया जा रहा है कि जांच के लिए भेजा गया विसरा बदल दिया गया था. हैदराबाद की सीडीएफडी लैब ने इसकी पुष्टि की है कि विसरा मृतक प्रभुनाथ मिश्रा का था ही नहीं.
प्रभुनाथ मिश्रा ने 7 अगस्त 2024 को जहर खाकर आत्महत्या की थी. परिजनों को बताया था कि उन्हें कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार और महिला डॉक्टर रितु व डॉ. निर्मला प्रताड़ित कर रहे थे. 29 जुलाई को हुए विवाद के बाद, 7 अगस्त को प्रिंसिपल ने उन्हें महिला डॉक्टरों की ओर से छेड़खानी की झूठी तहरीर दी और एफआईआर की धमकी दी, जिससे वह टूट गए और जहर खा लिया.
प्रभुनाथ मिश्रा की खुदकुशी में बड़ा खुलासा
8 अगस्त को उनकी लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम में विसरा सुरक्षित किया गया, लेकिन रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई. परिवार ने जब डीएनए जांच कराई, तो 27 मार्च 2025 को रिपोर्ट आई कि विसरा का डीएनए मृतक से मेल नहीं खाता.
अब परिवार का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने मिलकर विसरा बदलवा दिया. वहीं, जब प्रभुनाथ इलाजरत थे, उसी रात 8 अगस्त को उनके खिलाफ छेड़खानी की एफआईआर दर्ज करा दी गई. हालांकि उनकी मृत्यु के बाद पुलिस ने केस बंद कर दिया.
मृतक के परिवार ने लगाया पुलिस आरोप
इस मामले पर एसपी अयोध्या का कहना है कि विसरा की प्रक्रिया लखनऊ से हुई है, कागज वहीं भेजे गए होंगे. मृतक के पिता जगदीश मिश्रा का आरोप है कि पुलिस शुरू से डॉक्टरों को बचा रही है.