उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत-नेपाल सीमा से सटे जिलों में अतिक्रमणों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए व्यापक कार्रवाई जारी रखी. इस अभियान के तहत न सिर्फ अवैध रूप से संचालित मदरसों को सील किया गया, बल्कि अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों और अन्य अतिक्रमणों को भी हटाया गया है.
एजेंसी के मुताबिक, सरकारी बयान के अनुसार, बहराइच के मोतीपुर में स्थित दारुल उलूम अज़ीज़िया हदीक़तुल नोमान नाम के मदरसे को सील कर दिया गया. प्रशासन ने यह कदम मदरसे द्वारा नियमों का उल्लंघन करने के कारण उठाया. इसके अलावा बहराइच की तहसील नानपारा और मिहींपुरवा में अब तक 117 अतिक्रमणों को हटाया जा चुका है.
बहराइच के अलावा बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती और महाराजगंज जिलों में भी प्रशासनिक कार्रवाई तेज हो गई है. बलरामपुर में 20 मदरसों को बंद कर दिया गया है, क्योंकि वे बिना किसी वैध दस्तावेज या मानकों के संचालन कर रहे थे. दो अन्य मदरसों को नोटिस जारी कर दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, अन्यथा उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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सिद्धार्थनगर में तीन मस्जिदों और 14 मदरसों को अवैध निर्माण के तहत चिह्नित किया गया है. प्रशासन ने 28 अप्रैल को इन संस्थानों को नोटिस जारी किया और अब कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. वहीं, श्रावस्ती जिले में एक मस्जिद और 33 मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. बहराइच के एसपी आरएन सिंह ने कहा कि अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी.
महराजगंज के नौतनवां, फरेंदा और निचलौल क्षेत्रों में भी 29 अवैध अतिक्रमणों की पहचान की गई है. इन सभी मामलों में प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है.
उत्तर प्रदेश सरकार का यह अभियान भारत-नेपाल सीमा से सटे इलाकों में सुरक्षा, पारदर्शिता और प्रशासनिक नियंत्रण को बनाए रखने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है. राज्य सरकार का कहना है कि धार्मिक संस्थाओं को भी राज्य के नियमों और कानूनों का पालन करना अनिवार्य है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि अवैध रूप से संचालित कोई भी संस्था बख्शी नहीं जाएगी.
इस अभियान को लेकर विभिन्न जिलों में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी और दस्तावेजों के अभाव में किसी भी अवैध निर्माण या संस्था को बंद कर दिया जाएगा.