
कई बार लोगों के साथ कुछ ऐसा हो जाता है कि एक रात में उनकी जिंदगी बदल जाती है. कभी शरीर में ऐसे बदलाव होने लगते हैं कि समझ से परे होते हैं. हाल में एक महिला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ जब अचानक उसका शरीर किसी छिपकली सा होने लगा.
त्वचा 'छिपकली' जैसी होने लगी
लौरा ओटिंग नाम की महिला ने बताया कि जब एक रोज वह सोकर उठी तो उसके हाथ की त्वचा 'छिपकली' जैसी होने लगी. इसके बाद उसने एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होने का डरावना किस्सा सुनाया. ये बीमारी इतनी रेयर है कि पूरे अमेरिका में केवल 800 लोगों को है. अपने हाथ पर 'छिपकली की खाल' जैसी रंगत देखने को साथ ही लौरा ओटिंग ने देखा कि उसका पूरा शरीर झाइयों और धब्बों से ढका हुआ था. कोविड-19, फेफड़ों के कैंसर, लिंफोमा और एचआईवी जैसे टेस्ट कराने के बाद उन्हें अपने भीतर इस अजीब बीमारी का पता लगा.
फिंगरप्रिंट तक मिट गए
लौरा इतनी बीमार पड़ गई कि उसकी उंगलियों की त्वचा छिल गई, जिसका मतलब है कि वह अपने फिंगरप्रिंट की मदद से फोन भी अनलॉक नहीं कर सकती थीं. 32 ब्लड टेस्ट और कई बायोप्सी के बाद, उन्हें दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी पिटिरियासिस रूब्रा पिलारिस (पीआरपी) का पता चला.
ऐसे शुरू हुए लक्षण
लौरा ने कहा, "नवंबर 2020 के अंत में मुझे सूखी खांसी होने लगी. मैंने अगले चार हफ्तों में लगभग एक दर्जन कोविड-19 टेस्ट किए, लेकिन वे सभी निगेटिव थे. फिर भी, खांसी बनी रही. वहीं 2021 की शुरुआत में, मुझे खांसी शुरू होने के लगभग छह सप्ताह बाद, मेरी उंगलियां छिलने लगीं और मेरे कंधों और ऊपरी बांहों पर दाने निकलने लगे. इस प्वाइंट पर मैं काफी बीमार महसूस कर रही थी. और एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास भटकने की स्थिति आ गई थी.

लौरा ने समझाया- "हमने क्रीम, स्टेरॉयड, गोलियां, सभी प्रकार के लोशन और औषधियाँ आज़माईं, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. मैं बस अधिक से अधिक सूजन, अधिक से अधिक खुजली, और अधिक से अधिक थकावट महसूस करती रही थी. मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं खा नहीं रही थी , मैं अपने कपड़ों में फिट नहीं हो पा रही थी, और मैं मुश्किल से जूते पहन पाती थी."
घंटों तक गुनगुने पानी में बैठी रहती है
लौरा ने अपनी बीमारी के अजीब लक्षणों को ऑनलाइन खोजते हुए कई रातें बिताईं और अपने शरीर पर दर्दनाक खरोंचों से परेशान रहीं. उन्होंने कहा, "मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरा शरीर बाहर से खुद को खाने की कोशिश कर रहा है. मैं घंटों तक गुनगुने पानी में बैठी रहती हूं ताकी मुझे आराम मिले. कीमो और एक ऑफ-लेबल दवा के कई दौर से गुजरने के बाद, लौरा अब थोड़ी ठीक हैं. उसने मैराथन दौड़ना फिर से शुरू कर दिया है. उसने कहा: "मानसिक रूप से, यह इस बीमारी की छाया मुझमें घर कर गई है और उबरने में समय लगेगा.