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कौन हैं बालेन शाह? जिन्हें सत्ता सौंपने की मांग कर रहे नेपाल के Gen-Z आंदोलनकारी

नेपाल में Gen Z आंदोलन ने वहां की सियासी जमीन हिला दी है. वहां के सत्ताधीश देश छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. हर तरह अफरा-तफरी और अराजकता का माहौल बना हुआ है. इस बीच बालेन शाह या बालेंद्र शाह नाम का एक शख्स इस आंदोलन का चेहरा बना हुआ है. जानते हैं कौन हैं ये बालेन शाह और कैसे पूरे नेपाल के इस बड़े आंदोलन को इस शख्स ने हाईजैक कर रखा है?

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कैसे नेपाल के जेन जेड आंदोलन का चेहरा बने बालेन शाह (Photo - Instagram/@balenshah)
कैसे नेपाल के जेन जेड आंदोलन का चेहरा बने बालेन शाह (Photo - Instagram/@balenshah)

नेपाल इन दिनों एक बार फिर से भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. वहां के लाखों छात्र और युवा सड़कों पर हैं. संसद भवन को घेर लिया गया है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के देश छोड़ने की तैयारी में हैं. नेपाल में इसे Gen Z आंदोलन नाम दिया गया है. इस पूरे घटना क्रम के केंद्र में एक नाम उभर कर सामने आया है, वो हैं बालेंद्र शाह का, जिन्हें लोग बालेन शाह भी कहते हैं.  

बालेंद्र शाह काठमांडू के मेयर हैं. बालेन नेपाल में युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं. यही वजह है कि वो किसी भी अन्य मेयर से अलग हैं और जहां ज्यादातर मेयर अपनी नगरपालिकाओं से आगे शायद ही कभी ध्यान दे पाते हैं. वही यह शख्स नेपाल के इस बड़े आंदोलन के केंद्र में आ खड़ा हुआ है.

आंदोलनकारियों के बीच शेयर हो रहा पोस्टर

टाइम मैगजीन की सूची में रहे हैं शामिल
नेपाल न्यूज के अनुसार,  बालेन के कद और प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टाइम मैगजीन ने उन्हें 2023 की अपनी शीर्ष 100 शख्सियतों की सूची में शामिल किया था.  द न्यू यॉर्क टाइम्स जैसे विश्व-प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने भी उन्हें कवर किया है.

युवाओं के बीच उनके बड़े पैमाने पर फॉलोअर्स हैं. अक्सर सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ देते हैं और तेजी से ट्रेंड करने लगते हैं. उनकी जीवन शैली, रहन-सहन, स्टाइल सबकुछ वहां के युवाओं के लिए एक रोल मॉडल की तरह है. यही वजह है कि इस बड़े आंदोलन को बालेन ने बड़ी आसानी से अपना समर्थन देकर हाईजैक कर लिया.  

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इंजीनियर से रैपर और मेयर तक का सफर
बालेन शाह जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक सिविल इंजीनियर के तौर पर की. फिर उन्होंने रैपर के रूप में अपनी किस्मत आजमाई. इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया और काठमांडू के मेयर पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत भी गए. राजनीति में उनका अप्रत्याशित उछाल, युवाओं के बीच लोकप्रियता और पारंपरिक राजनीतिक दलों से नेपाली युवाओं का बढ़ते मोहभंग ने बालेन को नायक बना दिया. 

इंडियन सिनेमा का किया था विरोध 
2023 में एक रामायण की कहानी से प्रेरित 'आदिपुरुष' नाम की एक फिल्म आई थी. उस वक्त काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने इस फिल्म के कुछ डायलॉग पर आपत्ति जताई थी और उसे फिल्म से हटाने की मांग की थी. ऐसा नहीं करने के एवज में उन्होंने चेतावनी दी थी कि नेपाल और काठमांडू में कोई भी भारतीय फिल्म नहीं चलने देंगे.   

कैसे आंदोलन का केंद्र बनें बालेंद्र शाह
नेपाल में राजनेताओं के बच्चों की असाधारण जीवनशैली के खिलाफ सोशल मीडिया पर  #Nepokid ट्रेंड करने लगा. सरकार ने इंटरनेट और सोशल मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश की. इसके बाद जेन जेड ने देशभर में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इस पर सरकार की कठोर प्रतिक्रिया सामने आई.  पुलिस कार्रवाई में देशभर में 20 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए. अकेले काठमांडू में 18 प्रदर्शनकारियों की जान गई है.

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बालेन ने इस पूरे आंदोलन को अपना समर्थन दे रखा है. ऐसे में उसे अपने हीरो के तौर पर युवाओं ने पेश किया. काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेन्द्र शाह ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ सोमवार को जेन-जेड के नेतृत्व वाली रैली के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था.

फेसबुक पोस्ट में शाह ने कहा कि हालांकि आयोजकों द्वारा निर्धारित आयु सीमा के कारण वे इसमें भाग नहीं ले सकते हैं - जिन्होंने जेन-जेड की आयु 28 वर्ष से कम निर्धारित की है - फिर भी वे उनकी आवाज सुनना महत्वपूर्ण समझते हैं.

बालेन ने आंदोलन को दिया अपना समर्थन
शाह ने लिखा - यह रैली स्पष्ट रूप से जनरल जी का एक स्वतःस्फूर्त आंदोलन है, जिनके लिए मैं भी बूढ़ा लग सकता हूं. मैं उनकी आकांक्षाओं, उद्देश्यों और सोच को समझना चाहता हूं. राजनीतिक दलों, नेताओं, कार्यकर्ताओं, सांसदों और प्रचारकों को इस रैली का अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए. शाह ने जोर देकर कहा कि हालांकि वह इसमें शामिल नहीं होंगे, लेकिन उनका पूर्ण समर्थन प्रदर्शनकारियों के साथ है.

तेज हो गई बालेन को सत्ता सौंपने की मांग
तब जब इस बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे और बालेन को नेतृत्व सौंपने की मांग तेज हो गई है. गृह मंत्री रमेश लेखक पुलिस कार्रवाई में कम से कम 20 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद नैतिक आधार पर प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफा दे चुके हैं.

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नेपाली युवा बालेन की तुलना वहां के प्रधानमंत्री और शीर्ष राजनीतिक हस्तियों से कर रहे हैं. इसके साथ ही मेयर के पद से इस्तीफा देकर उन्हें देश की कमान संभालने का आग्रह कर रहे हैं. 

युवाओं ने हीरो के तौर पर बालेन शाह को पेश किया
नेपाल के माय रिपब्लिक नागरिक नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया, विशेषकर फेसबुक पर काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेंद्र शाह (बालेन) से मेयर पद से इस्तीफा देने और राष्ट्रीय नेतृत्व संभालने का आग्रह करने वाले पोस्टों की बाढ़ आ गई है.

नेपाली युवा उनसे एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने और देश का नेतृत्व करने का आह्वान कर रहे हैं. उनका तर्क है कि तीनों पारंपरिक प्रमुख दलों के नेता अपना काम करने में विफल रहे हैं और बालेन को नई दिशा देने के लिए आगे आना चाहिए.

सरकार को टुकड़ों में दफन करने की दी थी चेतावनी
28 फरवरी, 2024 को इसी तरह जब काठमांडू मेट्रोपोलिटन के कर्मियों को वेतन नहीं मिला था, तब बालेन ने फेसबुक पर एक तीखी चेतावनी दी थी. उसने लिखा था - मुझे नहीं पता कि कौन विरोध करेगा. अगर हमारे कर्मचारियों को अगले हफ्ते तक वेतन नहीं मिला, तो मैं उन सबको टुकड़ों में दफ़ना दूंगा. हम तुम्हारे सिस्टम से बाद में निपट लेंगे.

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ओली बनाम बालेन का टकराव 
काठमांडू के 34 साल के मेयर बालेन और  72 वर्षीय खड्ग प्रसाद शर्मा ओली, जो नेपाल के दो बार के अनुभवी प्रधानमंत्री और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के अध्यक्ष के बीच टकराव काफी पुराना है, जो समय के साथ-साथ यह एक गंभीर संकट में बदल गया. 

इस उथल-पुथल की जड़ में काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के 3,500 से ज़्यादा कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन न मिलना है.काठमांडू के शिक्षकों को चार महीने से ज़्यादा समय से वेतन नहीं मिल रहा है. इस वजह से उन्होंने सार्वजनिक रूप से बालेन से मदद की गुहार लगाई.

जब संघीय सरकार की शुरू की खिलाफत 
वहीं लेबर बैंक के ज़रिए नियुक्त लगभग 200 वेतनभोगी कर्मचारी जो मंदिरों और नदियों की सफाई का काम करते थे, कई महीनों से वेतन न मिलने के कारण नौकरी छोड़ने को तैयार हो गए.यह संकट महानगर में एक मुख्य प्रशासनिक अधिकारी की अनुपस्थिति से उपजा.

मेयर शाह एक नए अधिकारी की नियुक्ति को लेकर संघीय सरकार के साथ विवाद में उलझे गए और फिर सरकार का विरोध और बालेन की चेतवनी और कड़े प्रतिरोध का दौर शुरू हो गया.   इसके साथ ही युवाओं ने भी आंदोलन के नेतृत्व करने की गुहार बालेन से लगाई और उसने भी आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दे दिया है. 

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कैसे शुरू हुआ विवाद 
ओली-बालेन विवाद तब शुरू हुआ जब काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) ने नगरपालिका के नियमों का उल्लंघन करने वाली अवैध रूप से निर्मित इमारतों और व्यावसायिक विज्ञापनों को हटाना शुरू कर दिया. तब बालेन ने इसका विरोध शुरू किया. जब बालेन को समझाने का कोई फायदा नहीं हुआ, तो उन्होंने अनधिकृत संरचनाओं को गिराने के लिए नगरपालिका बल भेज दिया.

इस पूरे हाई-प्रोफाइल विध्वंस में यूएमएल (नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ) से जुड़ा एक व्यक्ति शामिल था. कुछ ही दिनों के भीतर, यूएमएल केंद्रीय समिति के सदस्य महेश बसनेत ने सार्वजनिक रूप से बालेन को धमकी दी कि अगर उन्होंने अपने तौर-तरीके नहीं बदले, तो उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाया जाएगा.

यह भी पढ़ें: कैसे नेताओं के 'नेपो किड्स की ऐश' पर उबला नेपाल? कहानी उन दो दिन की, जिसमें खड़ा हुआ Gen-Z विद्रोह

तनाव तब और बढ़ गया जब बालेन ने सार्वजनिक भूमि, खासकर नदी के किनारों पर बसे अवैध निवासियों को बेदखल करने का कदम उठाया. कुछ लोग वास्तव में बेघर थे, तो कई राजनीतिक रूप से जुड़े हुए थे, जो अवैध रूप से कब्ज़े वाली ज़मीन पर व्यवसाय और बहुमंजिला इमारतें चला रहे थे.उनमें से कई यूएमएल के मूल मतदाता थे. ओली ने मौके का फायदा उठाया और बालेन पर गरीबों पर हमला करने का आरोप लगाया.

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सरकार और बालेन के बीच का ताजा विवाद
ताजा विवाद का मुद्दा? न्यू रोड में फुटपाथों का चौड़ीकरण. जब यूएमएल से जुड़े एक वार्ड अध्यक्ष ने इस परियोजना का विरोध किया, तो यूएमएल से जुड़े मंत्रालयों ने काम रोकने का आदेश जारी कर दिया. जवाबी कार्रवाई में, बालेन ने ओली पर विवादास्पद गिरि बंधु चाय बागान भूमि अदला-बदली घोटाले में "नीतिगत भ्रष्टाचार" का आरोप लगाया. यूएमएल नेताओं ने पलटवार करते हुए बालेन की तुलना "पिल्ला" से की.ओली ने खुद बालेन को एक राजनीतिक "बुलबुला" बताकर खारिज कर दिया जो जल्द ही फूट जाएगा.

इस तरह बालेन शाह और केपी शर्मा ओली के बीच सियासी टकराव काफी पुराना है. बालेन शुरू से सरकारी नीतियों का विरोध करते आए हैं. आज जब जेन जेड आंदोलन शुरू हुआ था, हर बार की तरह बालेन ने इसे भी अपना पूरा समर्थन दिया. उनके समर्थन से इस आंदोलन को धार मिली और युवाओं ने उन्हें देश की सत्ता सौंपने की मांग की है. 

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