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कैसे नेताओं के 'नेपो किड्स की ऐश' पर उबला नेपाल? कहानी उन दो दिन की, जिसमें खड़ा हुआ Gen-Z विद्रोह

Nepal Gen-z Protest: नेपाल में जेन-जी विद्रोह की कहानी #NepoKid और #NepoChild जैसे हैशटैग से शुरू हुई थी. ऐसे में जानते हैं कि आखिर नेपाल में 5 से 7 सितंबर तक ऐसा क्या हुआ कि ये क्रांति इतनी ज्यादा बढ़ गई.

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नेपाल में #NepoKid और #NepoChild के साथ लोगों ने सरकार का विरोध किया था. (Photo: Reuters)
नेपाल में #NepoKid और #NepoChild के साथ लोगों ने सरकार का विरोध किया था. (Photo: Reuters)

नेपाल में जेन-जी विद्रोह अभी खत्म नहीं हुआ है. दूसरे दिन भी आक्रोश की आग भड़क रही है और कई शहरों में प्रदर्शनकारी और पुलिस में भिड़ंत की खबरें आ रही हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे बैन को हटाने के बाद भी प्रदर्शन जारी है. जेन जी विद्रोह के चलते कई मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और खबरें ये भी आ रही हैं कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली दुबई भाग सकते हैं.

अब सवाल है कि आखिर नेपाल में एकदम से नेपाल में इतना बड़ा विद्रोह कैसे खड़ा हुआ कि प्रदर्शनकारी संसद में घुस गए, एक साथ बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हो गए और मंत्रियों को कुर्सी छोड़कर भागने पर मजबूर हो रहा है. ऐसे में जानते हैं इस प्रदर्शन की इंटर्नल टाइमलाइन... आखिर कैसे खड़ा हुआ इतना बड़ा विद्रोह!

यहां से शुरू हुई कहानी...

इस विद्रोह की नींव 25 अगस्त को रखी जाती है, जब नेपाल सरकार ने विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों को सात दिन में अपने देश में पंजीकरण कराने का फरमान जारी किया. इसका उद्देश्य था प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट मॉनिटरिंग और देश के नियमों का पालन सुनिश्चित करना. हालांकि, अधिकांश सोशल मीडिया कंपनियां इस पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाईं.

इसके बाद सरकार ने 4 सितंबर 2025 को फेसबुक, X (पूर्व में ट्विटर), यूट्यूब, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप सहित 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया. साथ ही इंटरनेट की गति को भी काफी धीमा कर दिया गया. प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगने के बाद नेपाल में जनता, खासकर जेनरेशन Z और युवा वर्ग में नाराजगी का माहौल बन गया.

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Nepal

#NepoKid और #NepoChild से भड़की आग

अब सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर करने के लिए नेपाल के युवाओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए नेताओं की आलीशान जिंदगी पर सवाल उठाना शुरू कर दिया. नेपाल के न्यूज पोर्टल्स के अनुसार, 5 और 6 सितंबर को सोशल मीडिया पर #NepoKid और #NepoChild जैसे हैशटैग तेजी से वायरल होने लगे.

लोग नेताओं के बच्चों की महंगी कारें, ब्रांडेड कपड़े, विदेशी छुट्टियां आदि तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करके भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने लगे. सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट दिखने लगे, जिनमें नेताओं के बच्चों की जिंदगी के बारे में लिखा जा रहा था और उनकी लग्जरी लाइफस्टाइल का विरोध किया जा रहा था.

ऐसे बना संसद पर जमा होने का प्लान

इस विरोध के चलते ही युवा सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स, इन्फ्लुएंसर्स और कुछ विपक्षी नेताओं ने 7 सितंबर को #NoMoreCorruption और #WakeUpChallenge हैशटैग के जरिए 8 सितंबर को संसद के पास बानेश्वर में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया. इसका इतना असर हुआ कि 8 सितंबर को बड़ी संख्या में लोग संसद के पास इकट्ठे हुए और उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.

प्रदर्शन इतना गंभीर हो गया कि इसमें 14 प्रदर्शनकारियों का जान चली गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इसके बाद से सरकार के कई मंत्री इस्तीफा दे रहे हैं, लेकिन प्रदर्शन रुक नहीं रहे हैं. बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए नेपाल सरकार ने अगले दिन, यानी 9 सितंबर 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया.

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अभी क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं?

रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया पर बैन लगाने के विरोध के साथ ही नेताओं के भ्रष्टाचार की भी बात कर रहे थे. अब उनका उद्देश्य सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार जवाबदेही की मांग करना है. उन्होंने नेताओं के बच्चों की विलासिता और भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति को उजागर करने के लिए आंदोलन शुरू किया था. अब इस पर कार्रवाई की मांग हो रही है.

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