दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है. समुद्र तल से 8,849 मीटर ऊंचा यह पर्वत अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि एवरेस्ट पर चढ़ना दुनियाभर के साहसिक यात्रियों का सपना माना जाता है.
हर साल सैकड़ों पर्वतारोही इसकी चोटी तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. लेकिन इस भीड़ की एक बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ रही है. एवरेस्ट पर छोड़ा जा रहा कचरा अब वहां के बेहद नाजुक पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है.
माउंट एवरेस्ट पर कचरे का डरावना सच
हाल ही में Everest Today नाम के प्लेटफॉर्म द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो ने लोगों का दिल तोड़ दिया है. इस वीडियो में माउंट एवरेस्ट बर्फ के बीच कचरे से ढका नजर आता है. प्लास्टिक की पॉलिथीन, पुराने कपड़े, खाने के पैकेट, खाली ऑक्सीजन सिलेंडर और फटे हुए टेंट बर्फ पर बिखरे दिखाई देते हैं.
बताया जा रहा है कि यह वीडियो साल 2024 का है, लेकिन हालात आज भी लगभग वैसे ही बने हुए हैं. खासकर ऊंचाई पर बने कैंप, जहां पर्वतारोहियों की जिंदगी ऑक्सीजन पर निर्भर होती है, वहां भारी मात्रा में कचरा जमा होता जा रहा है. तस्वीरें साफ दिखाती हैं कि इंसानी लापरवाही ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को भी नहीं छोड़ा.
Everest Today ने X पर लिखा कि कैंप-4 पर जमा हो रहा कचरा बेहद दुखद है. जहां इंसान ऑक्सीजन के सहारे जिंदा रहता है, वहीं पहाड़ खुद हमारे कचरे के नीचे दम तोड़ता नजर आ रहा है. पोस्ट में कहा गया कि ऊंची चोटियों की दौड़ में हम उस पहाड़ के प्रति अपनी जिम्मेदारी भूलते जा रहे हैं, जो हमारे सपनों को ढो रहा है.
देखें वायरल वीडियो
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सागरमाथा की रक्षा कोई विकल्प नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है. प्रकृति के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए और उन मूल्यों के लिए, जिनकी हम बात करते हैं. साथ ही सख्त नियमों, साफ-सुथरी चढ़ाई और ठोस कचरा प्रबंधन की मांग की गई.
सोशल मीडिया पर फूटा लोगों का गुस्सा
वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. एक यूजर ने लिखा कि वह एवरेस्ट बेस कैंप में रह चुका है और यह वीडियो देखकर उसका दिल टूट गया. दूसरे ने सुझाव दिया कि पर्वतारोहण की फीस में सफाई को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए.
कई लोगों ने यह भी कहा कि जो लोग अपना कचरा वापस नहीं ला सकते, उन्हें एवरेस्ट पर चढ़ने की अनुमति ही नहीं दी जानी चाहिए. कुछ यूजर्स ने सवाल उठाया कि आखिर प्रशासन ऐसी स्थिति को क्यों होने दे रहा है.