
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद बिगड़ी है. इसकी बानगी पाकिस्तान के शेयर मार्केट का हाल दे रहा है. कराची स्टॉक एक्सचेंज में हमले के बाद से लगातार गिरावट देखी गई. 22 अप्रैल से 29 अप्रैल तक, KSE-100 इंडेक्स में 5,494.78 अंकों (4.63%) की कमी आई, जिससे मार्केट कैप 52.84 अरब डॉलर से 50.39 अरब डॉलर पर आ गया. इससे पाकिस्तान को 2.45 अरब डॉलर (लगभग 20,500 करोड़ रुपये) का नुकसान झेलना पड़ा है.
लेकिन पाकिस्तान के खस्ताहाल से बेखबर पाकिस्तान के आर्मी चीफ पर इसका रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वहां की सेना अपने आप में अरबों की संपत्ति के मालिक है. फिर चाहे आसिम मुनीर हों या पाकिस्तान के पिछले जनरल कमर जावेद बाजवा, आर्मी चीफ के आड़ में अरबों डॉलर की संपत्ति जुटाने का काम किया गया है।
सेना प्रमुख आसिम मुनीर अरबों की संपत्ति के मालिक हैं. पूरे देश में सेना के 100 से ज्यादा तरह के व्यापार हैं, जिसमें रियल एस्टेट से लेकर डेयरी व्यवसाय और परिवहन तक शामिल हैं। हालांकि, पाकिस्तानी सेना के व्यावसायिक उपक्रमों से जुड़ा आर्थिक डेटा सार्वजनिक नहीं किया जाता. आइए, जानते हैं कि पाकिस्तानी सेना कैसे अपने व्यापार से विशाल संपत्ति हासिल करती है.
'सेना नहीं, रियल एस्टेट कारोबारी हैं'
कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना देश में 100 से ज्यादा बिजनेस चलाती है और इनमें से आर्मी चीफ और अन्य अधिकारियों को बड़े पैमाने पर इनकम होती है. पाकिस्तान के रियल एस्टेट क्षेत्र में सेना का वर्चस्व है. आइए, जानते हैं कि पाकिस्तानी आर्मी बिजनेस के जरिये से कैसे अपार संपत्ति कमाती है.

पाकिस्तान में, आर्मी चीफ पर अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि वे देश की सेवा करने की बजाय अपनी संपत्ति बढ़ाने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं. पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से लेकर वर्तमान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर तक कई उदाहरण सामने आते हैं. सेना का मुख्य कार्य देश की रक्षा करना है, लेकिन पाकिस्तान में सेना केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है. पाकिस्तानी सेना देश की अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से को कंट्रोल करती है, या यूं कहें, कब्जा कर रखी है.
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फौजी फाउंडेशन, आर्मी वेल्फेयर ट्रस्ट, शाहीन फाउंडेशन और बहरिया फाउंडेशन जैसी संस्थाएं सेना चलाती हैं. ये संस्थाएं नाम से तो वेलफेयर हैं, लेकिन हकीकत में ये एक बहुत ताकतवर कॉर्पोरेट नेटवर्क का हिस्सा हैं. इन बिजनेस के जरिए सेना न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होती है, पाकिस्तान की आवाम का पैसा आर्मी के पास जाता है.
पाकिस्तान आर्मी की सीक्रेट कमाई
लेखिका आयशा सिद्दिका की किताब ‘मिलिटरी इंक: इनसाइड पाकिस्तान्स मिलिटरी इकॉनॉमी’ में इसकी असलियत बताई गई है. इस किताब के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि सीमेंट, उर्वरक, बैंकिंग, डेयरी, परिवहन और आवास जैसे सेक्टर में भी उनका व्यापक व्यावसायिक प्रभाव है.
रियल एस्टेट बिजनेस पर पाकिस्तान आर्मी का कब्जा
सेना के व्यावसायिक कार्य कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं, लेकिन उनका सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा मुनाफा रियल एस्टेट है। कराची, लाहौर और इस्लामाबाद जैसे प्रमुख शहरों में, सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अधिग्रहित की गई ज़मीनों को व्यावसायिक आवासीय परियोजनाओं में बदल दिया है. ये परियोजनाएं मुख्य रूप से 'डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी' (DHA) के तहत आती हैं, जो अरबों डॉलर की संपत्ति के रूप में जानी जाती हैं.
'आर्थिक ताकत का कोई हिसाब नहीं'
आयशा सिद्दिका की किताब के मुताबिक, 2007 में पाकिस्तानी सेना के व्यावसायिक उपक्रमों का कुल मूल्य 20 अरब अमेरिकी डॉलर था. एक्सपर्ट का मानना है कि यह आंकड़ा 40 से 100 अरब डॉलर (लगभग 85 ट्रिलियन रुपये) के बीच हो सकता है. हैरान करने वाली बात यह है कि सेना की इस कमाई का कोई पारदर्शी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, और न ही कोई स्वतंत्र संस्था इस पर निगरानी रखती है. पाकिस्तान की सेना राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर इस आर्थिक डेटा को छिपाकर रखती है.
आसिम मुनीर ने कितने पैसे जमा किए हैं
वर्तमान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बारे में भी अब कई सवाल उठाए जा रहे हैं. एक पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूजर के अनुसार, आसिम मुनीर की घोषित कुल संपत्ति लगभग 8 लाख डॉलर (करीब 6,77,54,636 रुपये) है, लेकिन इन सीक्रेट बिजनेस को देखते हुए उनकी असली संपत्ति इससे कहीं ज्यादा हो सकती है, इसका अंदाजा कोई भी लगा सकता है. इसके मुकाबले, पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की संपत्ति का उदाहरण दिया जाता है. 2018 में जब बाजवा सेना प्रमुख बने थे, तब उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी, लेकिन 2022 में वे सेवानिवृत्त होने तक उनके परिवार की संपत्ति लगभग 13 अरब पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गई थी.