Ganpati Celebration Viral Video: सोशल मीडिया पर एक महिला ने तीन छोटे बच्चों का एक भावुक वीडियो शेयर किया है जिसमें वे हाथ से बनाई गई एक छोटी सी गणपति की मूर्ति के साथ गणेश चतुर्थी मना रहे हैं. बच्चे खुशी से नाच रहे थे और मूर्ति को सड़क पर ले जा रहे थे. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है.
कोमल सिंह द्वारा इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए इस वीडियो को 70 लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. कैप्शन में कोमल ने लिखा, "गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं. आज मैंने इन बच्चों को हाथ से बनी एक छोटी सी गणपति की मूर्ति लेकर सड़कों पर खुशी से घूमते देखा. उनकी खुशी बेहद पवित्र और सरल थी और मुझे एहसास हुआ कि यही इस त्योहार का असली सार है. मासूमियत, भक्ति और एकजुटता."
उन्होंने आगे कहा, "आजकल उत्सवों में अक्सर डीजे, तेज़ संगीत और आइटम सॉन्ग का बोलबाला है. जबकि मूर्ति चुपचाप पीछे-पीछे चलती है. मैं भी उन डीजे जुलूसों में नाचती हूं और उनका आनंद लेती हूं, लेकिन मैं यह दावा नहीं करती कि यह मुझे एक 'रूढ़िवादी' हिंदू बनाता है. असली बात परंपरा को साबित करने की नहीं, बल्कि यह है कि हम कितना प्यार और विश्वास फैलाते हैं."
लोगों को याद आया त्योहारों का असला मतलब
पोस्ट में कोमल ने आगे लिखा, " हम सभी के लिए सीख यह है कि त्योहारों का मतलब यह नहीं है कि हमारा उत्सव कितना भव्य या आधुनिक दिखता है, बल्कि यह है कि हम अपने दिलों में किस भावना को संजोते हैं. आइए इस तरह से जश्न मनाएं कि इसका अर्थ जीवित रहे. प्यार, विश्वास और एकजुटता के साथ न कि लेबल या नफ़रत के साथ.आखिरकार, उन बच्चों ने मुझे सिर्फ़ इसलिए धन्यवाद दिया क्योंकि मैंने उनका वीडियो बनाया था, लेकिन सच कहूं तो, मुझे ही उन्हें धन्यवाद देना चाहिए था. मुझे असली जश्न का मतलब याद दिलाने के लिए."
खूब शेयर हो रहा वायरल वीडियो
सोशल मीडिया यूज़र्स को यह वीडियो बहुत पसंद आया है. एक यूज़र ने लिखा, "0% पंडाल लगाना, 0% चंदा, 0% सड़क जाम, 0% दिखावा, 0% राजनीति, 100% भक्ति. एक और यूज़र ने लिखा, "एक बप्पा को पकड़े हुए एक नाच रहा है और एक मदद कर रहा है. ये है टीम बप्पा!"

एक उपयोगकर्ता ने अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि "मैं गोवा के एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल में कला शिक्षिका हूं कल दो छोटी लड़कियां कला विभाग में नारियल और स्कूल परिसर में मिली दूसरी चीज़ों से गणेश जी की मूर्ति बना रही थीं. वे छुट्टी के दौरान इस परियोजना को पूरा करने के लिए वापस आईं और चर्चा कर रही थीं कि यह क्यों गलत लग रहा है.
तभी उनमें से एक ने अचानक कहा, 'इसके कान नहीं हैं, इसलिए यह गलत लग रहा है!' मैंने उन्हें कुछ मॉडलिंग क्ले दी और छुट्टी खत्म होते-होते उनके पास एक पूरी तरह से तैयार गणेश जी तैयार हो गए. वे उत्सव के लिए उसे घर ले जाने के लिए बहुत उत्साहित थीं. वाकई, छोटी-छोटी चीज़ें ही मायने रखती हैं.'