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प्रसून जोशी की जिंदगी की 'लिरिक्स' है ये किताब

प्रसून जोेशी की लिखी ये किताब भी मानों उनकी जिंदगी की लिरिक्स जैसी है, क्योंकि इस किताब में प्रसून के उन सारे गानों और कविताओं को जगह दी गई है जिसने अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

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प्रसून जोशी की किताब सनशाइन अ पोएटिक जर्नी लेन्स का कवर पेज
प्रसून जोशी की किताब सनशाइन अ पोएटिक जर्नी लेन्स का कवर पेज

किताब का नाम: सनशाइन अ पोएटिक जर्नी लेन्स (Sunshine a poetic Journey Lanes)
लेखक: प्रसून जोशी
पब्लिकेशन: रूपा पब्लिकेशन
कीमत: 495 रुपये

ऐ साला
अभी अभी हुआ यकीन
कि आग है मुझमें कहीं
हुई सुबह मैं जल गया
सूरज को मैं निकल गया
रूबरू रौशनी...

ऊपर लिखी लाइनों की पहचान भले ही आमिर खान की फिल्म रंग दे बसंती से हो लेकिन इन लाइनों के पीछे जो शख्स है उसकी पहचान भी कोई छोटी नहीं. जी हां, ये वही शख्स है जिसने हमें सिर उठा कर पीना सिखाया और जिसने हमें बताया कि ठंडा मतलब कोका कोला होता है. और शायद उस नाम से आप सब भी अनजान नहीं होंगे. ये नाम है प्रसून जोशी. और प्रसून की लिखी ये किताब भी मानों उनकी जिंदगी की लिरिक्स जैसी है, क्योंकि इस किताब में प्रसून के उन सारे गानों और कविताओं को जगह दी गई है जिसने अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

मल्टी टैलेंटेड प्रसून जोशी वैसे तो एक बड़े एेड एजेंसी के सीईओ हैं लेकिन उनके गानों ने हमारे मन पर एक अलग छाप छोड़ी है. इस किताब में प्रसून ने उस जगह से शुरुआत की है जब वो उत्तराखंड के छोटे से शहर अल्मोड़ा में रहते थे. प्रसून की कविताओं के प्रति दिलचस्पी ने उन्हें एक बेहतरीन लिरिक्स राइटर बना दिया. प्रसून के लिखे ज्यादातर गानों और कविताओं में आम जिंदगी की परछाई दिखती है जिससे कोई भी अपने आप को जुड़ा हुआ महसूस करता है.

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इस किताब में प्रसून ने अपने ज्यादातर गानों और कविताओं के बोल को संकलित किया है. इन लिरिक्स को रोमन में भी लिखा गया है साथ ही अंग्रेजी अनुवाद भी किया गया है. जाहिर है ऐसे में इस किताब की पहुंच का दायरा बढ़ जाता है.

आमतौर पर हम जब गाने सुनते हैं तो उसके बोल शायद वो प्रभाव नहीं छोड़ते लेकिन जब हम उसी गाने के बोल को पढ़ते हैं तो उसके शब्द और अर्थ की गहराई समझ आती है. और ये किताब हमें ये अवसर देती है कि गानों को पढ़ कर इसकी गहराई को समझा जा सके.

क्यों पढ़ें

अगर आप कविताओं और गानों के शौकीन हैं तो ये किताब पढ़ सकते हैं. हालांकि आज के दौर में ऐसे कम ही गीतकार हैं जो हिंदी के शब्दों के साथ खेलकर गीत को खूबसूरत बनाते हैं लेकिन प्रसून जोशी का नाम इस फेहरिस्त में हैं.

क्यों ना पढ़ें

अगर हिंदी के शब्दों और उनकी गहराइयों की समझ ना हो तो इस किताब को पढ़ने की जहमत ना उठाएं.

हमेशा से युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे प्रसून जोशी की ये किताब जिंदगी के हर पहलू को छू लेती है चाहे वो किसी भी वर्ग या उम्र के हों. वक्त मिले तो ये किताब जरूर पढ़ें और थोड़ा रूमानी हो जाएं और थोड़ा शायराना. और हां इस किताब में लिखे गानों को याद कर के अंताक्षरी प्रतियोगिता में फर्स्ट भी आया जा सकता है.

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अंत में प्रसून जोशी से एक गुजारिश
रहना तू
है जैसे तू
थोड़ा सा दर्द तू
थोड़ा सुकून

रहना तू है जैसे तू
धीमा धीमा झोंका
या फिर जुनून

थोड़ा सा रेशम
तू हमदम
थोड़ा सा खुरदुरा
कभी तो अड़ जाए
या लड़ जाए
या खुशबू से भरा

तूझे बदलना ना चाहूं
रत्ती भर भी सनम
बिना सजावट, मिलावट
ना ज्यादा ना ही कम.

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