किताब: नेतृत्व के गुर
लेखक: प्रकाश अय्यर
अनुवाद: सुमन वाजपेयी
प्रकाशक: पेंगुइन
कीमत: 199
कौन नहीं जानता कि जिंदगी में कुछ पाने के लिए उत्साही, अनुशासित और आपमें लक्ष्य के प्रति भूख का होना जरूरी है. कौन नहीं जानता हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए और कोई काम छोटा नहीं होता. यानी इस किताब में ऐसा कुछ भी नहीं जिसे आप ना जानते हों. लेकिन फिर भी आपको ये किताब एक बार जरूर पढ़नी चाहिए. वजह है इसमें मौजूद किस्से, सफलताओं की प्रेरणादायक कहानियां और दिलचस्प तथ्य.
मसलन जिन टी-बैगों को कप में डुबो-डुबो कर आप चाय की चुस्कियां लेते हैं, क्या आपको पता है कि उन टी-बैगों का अविष्कार कैसे हुआ. वो कैसे अस्तित्व में आए. उन टी-बैगों से आप जिंदगी में क्या सीख ले सकते हैं?
'न्यूयॉर्क के एक चाय के व्यापारी थॉमस सल्लीवेन ने संयोगवश ही टी बैग को बनाया था. उसने अपनी चाय के कुछ नमूनों को रेशम की उत्कृष्ट थैलियों में डालकर अपने मित्रों को भेजा था. एक मित्र ने चाय को थैली में से बाहर निकालने के बजाए उसे सीधे ही गर्म पानी में डाल दिया. उसे चाय पसंद आई और एक विचार का जन्म हुआ!'
सीख - 'जैसे कि टी बैग की वास्तविक सुगंध व स्वाद तभी आता है जब उसे गर्म पानी में डाला जाता है, वैसे ही अगुआ का वास्तविक चरित्र कठिन परिस्थितियों और दबाव में चमकता है. गर्म पानी का परीक्षण बहुत अच्छा है. टी-बैग और अगुआइयों दोनों के लिए.'
60 कहानियों की इस किताब को आप कहीं से भी पढ़ना शुरू कर सकते हैं. हरेक कहानी आपके भीतर छिपे तूफान को जगाएगी. और आपको आपकी ताकत याद दिलाएगी. किताब प्रकाश अय्यर द्वारा लिखित 'दि सीक्रेट ऑफ लीडरशिप' का हिंदी अनुवाद है. किस्से-कहानियों और मजेदार तथ्यों का बहुत सरल और अच्छा अनुवाद किया गया है.
ऐसे लोग इस किताब को जरूर पढ़ें जो हमेशा किसी ना किसी बात को लेकर असंतुष्ट रहते हैं. कम सैलरी, मनचाही सीट ना मिलना या फिर राक्षस जैसे बॉस से परेशानी होना, इस असंतुष्टि की कुछ भी वजह हो सकती है.
किताब में सचिन, पोंटिंग, ट्रेस्कोथिक जैसे दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ियों के जीवन से कुछ दिलचस्प वाकये भी आपको मिलेंगे जो काफी गंभीर और प्रेरक संदेश देते हैं. ये भी जानने को मिलेगा कि KFC कैसे खड़ा हुआ.
किताब का एक और महत्वपूर्ण अंश और उससे मिली सीख
'कनाडा के टोरंटो में दो मित्रों को अजीब विचार सूझा. उन्होंने तीन बकरियों को पकड़ा और तीन तरफ 1, 2, और 4 नंबर लिख दिए. उन्होंने उन बकरियों को अपने स्कूल की बिल्डिंग में उस रात खुला छोड़ दिया. अगली सुबह जब प्राधिकारी स्कूल में आए, तो उन्हें कुछ बदबू सी आई. जल्दी ही उन्हें सीढ़ियों और प्रवेश द्वार के पास बकरियों की लीद दिखाई दे गई और उन्हें समझ आ गया कि कुछ बकरियां बिल्डिंग के अदंर आ गई हैं. तुरंत ही हर जगह खोज शुरू कर दी गई. जल्द ही उन्हें तीनों बकरियां मिल गई. पर प्राधिकारी इस बात से चिंतित हो उठे कि आखिर बकरी नंबर 3 कहां है. उन्होंने बाकी बचा दिन 3 नंबर की बकरी को ढूंढने में बिता दिया. स्कूल की छुट्टी घोषित कर दी गई. टीचर, सहायक और कैंटीन में कार्यरत नौकर सब बकरी नंबर 3 को ढूंढते रहे जो थी ही नहीं.'
सीख - हम सब उन लोगों की तरह हैं. हमारे पास बेशक अपनी बकरियां हों, पर हम एक आवेश में उस भ्रामक,गायब, अस्तित्वहीन बकरी नंबर 3 को ढूंढते रहते हैं. अच्छा होगा कि आपके पास जो है उसका अधिकतम फायदा उठाएं. बकरी नंबर 3 की चिंता करना छोड़ दें.'