दिल्ली की खराब हवा को लेकर देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अक्सर चर्चा होती रहती है. इसी बीच भारत में पिछले चार साल से रह रही एक अमेरिकी महिला ने बताया है कि वह दिल्ली के सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले महीनों में भी हवा की समस्या को कैसे संभालती हैं. उनका यह अनुभव अब सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है.
इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए एक वीडियो में क्रिस्टन फिशर बताती हैं कि उनसे अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि वे दिल्ली में खराब एयर क्वालिटी के बीच कैसे रहती हैं. वीडियो की शुरुआत में वह एक एयर क्वालिटी मॉनिटर दिखाती हैं, जिसमें बाहर का AQI 210 दिखाई देता है. इसके बाद वह उसी डिवाइस को अपने घर के अंदर ले जाती हैं, जहां कुछ ही सेकंड में AQI गिरकर 48 पर आ जाता है.
घर में चार एयर प्यूरिफायर
इस फर्क की वजह बताते हुए क्रिस्टन कहती हैं कि उनके घर में एयर प्यूरिफायर लगे हैं. उन्होंने बताया कि उनके घर में कुल चार एयर प्यूरिफायर हैं, जो हर समय चलते रहते हैं.इसी वजह से हमारे घर के अंदर की हवा साफ और सुरक्षित रहती है. उनका मानना है कि दिल्ली में सर्दियों के दौरान बाहर की हवा भले ही बहुत खराब हो जाए, लेकिन अगर घर के अंदर की हवा को कंट्रोल कर लिया जाए तो हालात काफी बेहतर हो जाते हैं.
क्रिस्टन ने कहा कि वे और उनका परिवार प्रदूषण के महीनों में बाहर कम समय बिताते हैं और ज्यादातर वक्त घर के अंदर रहते हैं.मैं बाहर की हवा को नहीं बदल सकती, लेकिन अपने परिवार के लिए घर के अंदर एक सुरक्षित माहौल जरूर बना सकती हूं. उन्होंने यह भी बताया कि सर्दियों में उनका परिवार साफ और नियंत्रित हवा में सोने को प्राथमिकता देता है.
देखें वायरल वीडियो
अपने पोस्ट में उन्होंने यह भी साफ किया कि दिल्ली में सालभर प्रदूषण एक जैसा नहीं रहता. उनके मुताबिक, सबसे खराब प्रदूषण आमतौर पर नवंबर से जनवरी के बीच रहता है.इसके अलावा बाकी महीनों में दिल्ली की हवा काफी हद तक बेहतर रहती है.
हालांकि, उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि घर के अंदर की हवा अपने-आप साफ नहीं होती. क्रिस्टन के मुताबिक, अगर एयर प्यूरिफायर न चलाए जाएं, तो इंडोर एयर क्वालिटी बाहर जितनी खराब या उससे भी ज़्यादा खराब हो सकती है. इसलिए उनके घर में एयर प्यूरिफायर 24 घंटे चलते रहते हैं.
आखिर में क्रिस्टन फिशर ने सभी को सतर्क रहने की सलाह दी और लिखा कि सब लोग सुरक्षित रहें. उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोग इसे दिल्ली की प्रदूषण समस्या को समझने और उससे निपटने का एक व्यावहारिक तरीका बता रहे हैं.