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दुनिया की 100 प्रभावशाली हस्तियों में आमिर

बॉलीवुड के 'मिस्‍टर परफेक्‍शनिस्‍ट' कहे जाने वाले अभिनेता आमिर खान, देश में वित्तीय सुधारों के अगुवा वित्त मंत्री पी चिदंबरम तथा चर्चित वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर को अमेरिका की मशहूर पत्रिका टाइम ने दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की वाषिर्क सूची में शामिल किया है. पत्रिका ने आमिर को अपने कवर पेज पर जगह दी है.

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आमिर खान
आमिर खान

बॉलीवुड के 'मिस्‍टर परफेक्‍शनिस्‍ट' कहे जाने वाले अभिनेता आमिर खान, देश में वित्तीय सुधारों के अगुवा वित्त मंत्री पी चिदंबरम तथा चर्चित वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर को अमेरिका की मशहूर पत्रिका टाइम ने दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की वाषिर्क सूची में शामिल किया है. पत्रिका ने आमिर को अपने कवर पेज पर जगह दी है.

टाइम ने वर्ष 2013 के लिये जारी की गई इस वार्षिक सूची को पांच भागों- असाधारण व्यक्ति, नेता, कलाकार, प्रवर्तक (पायनियर), प्रतीक (आईकन)-में बांटा है. पत्रिका ने ‘प्रवर्तक’ श्रेणी में आमिर खान, ‘प्रतीक’ (आईकन) में लड़कियों की शिक्षा की पैरोकार पाकिस्तानी कार्यकर्ता मलाला युसूफजई, ‘असाधारण व्यक्ति’ श्रेणी में उद्यमी और कलाकार जे जेड, नेताओं की श्रेणी में अमेरिकी सीनेटर रैंड पॉल और कलाकारों की श्रेणी में जेनिफर लारेंस को पहले स्थान पर रखा है.

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पत्रिका ने चिदंबरम को ‘असाधारण व्यक्ति’ की श्रेणी में जगह दी है. पत्रिका में आमिर खान के बारे में ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित महान संगीतकार ए आर रहमान ने लिखा है. रहमान ने लिखा, ‘झूठी कूटनीति और बहानेबाजी की इस दुनिया में आमिर स्पष्ट रूप से अपनी बात रखते हैं. अकादमी पुरस्कार के लिये नामांकित उनकी फिल्म ‘लगान’ न केवल व्यवसायिक रूप से सफल हुई बल्कि उन्होंने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के भाव का भी प्रदर्शन किया. उन्होंने गरीबी और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया. उनका टीवी शो ‘सत्यमेव जयते’ पत्रकारिता का हिस्सा है जिसमें उन्होंने यौन शोषण से लेकर जाति आधारित भेदभाव जैसे भारत की गंभीरतम सामाजिक बुराइयों को उठाया है.’

रहमान ने कहा, ‘आमिर का जादू का काम कर गया. सत्यमेव जयते का उद्देश्य हल ढूंढना नहीं बल्कि तीखे सवाल करना था. इन सवालों को पूछने का साहस कर आमिर ने एक आंदोलन की शुरुआत की जो दुनिया को बदलने में मदद करेगा जिसमें भारतीय रहते हैं. जय हो.’ चिदंबरम के बारे में मोर्गन स्टेनली के रुचिर शर्मा लिखते हैं, ‘पी चिदंबरम की स्थिति कई मायनों में उस मछली की तरह है जिसे पानी से निकाल दिया गया है. भारतीय नेता गरम स्वभाव के और अस्पष्ट (विचारों के मामले में) होते हैं. वे समय की दृष्टि से पिछड़े और काफी गलत होते हैं. लेकिन चिदंबरम ब्योरों पर बहुत ध्यान देते हैं, सुबह आठ बजे से शाम आठ बजे तक काम करते हैं.’

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उन्होंने कहा, ‘उनकी छवि ऐसी है कि वह काफी काम कर लेते हैं लेकिन उनके अंदर दंभ है उसकी वजह से लोग गलत धारणा बना लेते हैं. लेकिन उनके अच्छे काम अगले साल चुनाव में उभर कर आने वाली कमजोर गठबंधन सरकार को एकजुट रखने के मामले में शायद पर्याप्त न हो.’ शर्मा ने कहा, ‘चिदंबरम कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार के एक विश्वस्त सलाहाकार हैं. उनके अनुभव की अनदेखी नहीं की जा सकती है.’ उन्होंने कहा, ‘वह 1990 दशक के शुरुआती वर्षों में वाणिज्य मंत्री थे और उन्होंने उस समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जब भारत की अर्थव्यवस्था उदार हो रही थी.

वित्तमंत्री के रूप में 1997 में उन्होंने एक नयी दिशा तय करने वाला बजट पेश किया. इसके बाद सुधार संबंधी उनका रिकॉर्ड मिला जुला रहा.’ शर्मा ने चिदंबरम के बारे में कहा, ‘वह पिछले दशक में भी वित्तमंत्री थे जब बाजार में तेजी का दौर था. बाजार में अब नरमी आ रही है. भारत के शीर्ष पद पर पहुंचने के लिये उन्हें अपने देश की आर्थिक किस्मत चमकानी पड़ेगी. साथ उन्हें ज्यादा भारतीय शैली भी अपनानी पड़ेगी.

पत्रिका ने वृंदा ग्रोवर के बारे में लिखा, ‘वृंदा एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और महिलाओं के अधिकारों के लिये काम करती हैं. उनका मानना है कि न्याय हरेक तक पहुंचना चाहिये. इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो उग्रवाद प्रभावित इलाकों में रहते हैं, जिन्हें अवैध तरीक से प्रताड़ित किया जाता है या जेल भेजा जाता है.’ इस सूची में जिन अन्य लोगों को जगह मिली है उनमें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, पोप फ्रांसिस, म्यांमार की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सांग सू ची, मिशेल ओबामा और चीनी टेनिस खिलाड़ी ली ना प्रमुख हैं.

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