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आखिर नीलाम कर दी गईं बापू की निशानियां

एक टुकड़ा मिट्टी और मुठ्ठी भर घास की क़ीमत भला क्या हो सकती है. अगर हम कहें - 8 लाख रुपए से भी ज़्यादा तो आपका चौंकना लाज़िमी है. लेकिन जिस महान शख्सियत की यादें उससे जुड़ी हैं, उसकी दरअसल कोई क़ीमत लगाई ही नहीं जा सकती. बात हो रही है महात्मा गांधी की जिनकी निशानियां 57 लाख से भी ज़्यादा क़ीमत में नीलाम कर दी गईं.

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एक टुकड़ा मिट्टी और मुठ्ठी भर घास की क़ीमत भला क्या हो सकती है. अगर हम कहें - 8 लाख रुपए से भी ज़्यादा तो आपका चौंकना लाज़िमी है. लेकिन जिस महान शख्सियत की यादें उससे जुड़ी हैं, उसकी दरअसल कोई क़ीमत लगाई ही नहीं जा सकती. बात हो रही है महात्मा गांधी की जिनकी निशानियां 57 लाख से भी ज़्यादा क़ीमत में नीलाम कर दी गईं.

मुठ्ठी भर मिट्टी और सूखी घास के चंद कतरे, क़ीमत 8 लाख 19 हज़ार 104 रुपए. घास और मिट्टी की इतनी भारी क़ीमत! जानते हैं क्यों, क्योंकि इस मिट्टी में सना है एक ऐतिहासिक पुरुष का ख़ून. घास के कतरों से झांक रही है एक युगपुरुष की आख़िरी सांस. उस दुर्भाग्यपूर्ण लमहे को 64 साल गुज़र चुके हैं, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बापू का ख़ून जहां गिरा, वहां की मिट्टी और घास भी बाज़ार की लालची निगाहों से बच नहीं पाईं.

जहां तक इस मिट्टी का सवाल है तो सब कुछ आपके नज़रिए पर निर्भर करता है. कई लोगों के लिए ये मामूली मिट्टी हो सकती है जिसकी रद्दी से ज़्यादा क़ीमत नहीं. लेकिन कुछ लोगों के लिए एक पवित्र निशानी है जो बेशक़ीमती है. लिहाज़ा, इन चीज़ों की क़ीमत लगाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है.

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महात्मा गांधी के ख़ून से सनी पवित्र माटी को उसी मुल्क में नीलाम कर दिया गया, जिसने भारत को 200 सालों तक ग़ुलामी की जंज़ीरों में जकड़ रखा था. इस नीलामी में बापू के चश्मे और चरख़े की भी बोली लगी.

लंदन के मुलॉक्स नीलामी घर में बापू के ख़ून से सनी मिट्टी और घर 10 हजार पौंड यानी 8 लाख 19 हज़ार 104 रुपए में नीलाम हुई. बापू के चश्मे की बोली उम्मीद से दोगुनी क़ीमत तक जा पहुंची. गोल फ्रेम वाला ये ऐतिहासिक चश्मा 34 हज़ार पौंड यानी 27 लाख 84 हज़ार 952 रुपए में बिका. गांधी जी की पहचान, उनका चरख़ा 21 लाख 29 हज़ार 669 रुपए में नीलाम हुआ. कुल मिलाकर ये नीलामी 57 लाख 33 हज़ार 725 रुपए की हुई.

बापू से जुड़ी ये चीज़ें किस शख्स ने ख़रीदीं, इसका ख़ुलासा नहीं किया गया. मुलॉक्स नीलामी घर ने जब इन चीज़ों की नीलामी का ऐलान किया था, तब इसके विरोध में कई आवाज़ें बुलंद हुईं. नीलामी रद्द कर देने की ज़ोरदार मांग उठी, लेकिन ख़रीद-बिक्री और मुनाफ़े के शोर में वो आवाज़ें घुट कर रह गईं.

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