अगर कोई कहे कि दुनिया का सबसे साफ-सुथरा हिंदू गांव भारत में नहीं, बल्कि किसी और देश में है, तो पहली नजर में बात अजीब लगती है. लेकिन एशिया के एक छोटे से पहाड़ी गांव ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि सफाई सिर्फ सरकार का काम नहीं होती, यह आदत बनकर पीढ़ियों तक चलती है. यह कहानी है इंडोनेशिया के बाली में बसे पेंगलिपुरन की, जहां 700 साल से परंपरा भी जिंदा है और सफाई भी आदत जैसी.
दुनिया का सबसे साफ हिंदू गांव
पूरी दुनिया में लगभग 1.2 बिलियन हिंदू हैं और मजेदार बात यह है कि उनमें से 94% भारत में रहते हैं. लेकिन दुनिया का सबसे साफ हिंदू गांव भारत में नहीं, बल्कि इंडोनेशिया में है. बाली के बांग्ली जिले में, हरी पहाड़ों के बीच बसा पेंगलिपुरन गांव न सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए, बल्कि अपनी आदतों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. ग्लोबल सर्वे में इसे दुनिया के तीन सबसे साफ गांवों में जगह मिली है.
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यहां आज तक कोई अपराध दर्ज नहीं हुआ
इंडोनेशिया मुस्लिम बहुल देश है, फिर भी पेंगलिपुरन में लगभग हर घर हिंदू संस्कृति से जुड़ा है. गांव में बड़े मंदिर हैं और हर परिवार के घर में एक छोटा निजी मंदिर भी दिख जाएगा. इसके बारे में कहा जाता है कि यह गांव करीब 700 साल पुराना है. इतने लंबे समय में भी यहां एक भी अपराध दर्ज नहीं हुआ है, यानी सच में शांत और सुरक्षित जीवन.
क्यों इतना साफ सुथरा है पेंगलिपुरन गांव?
पेंगलिपुरन गांव की पहचान उसकी खूबसूरती और साफ-सफाई से है. यहां के लोग स्वच्छता को लेकर बहुत सख्त हैं और उन्होंने कुछ कड़े नियम बनाए हैं.
महिलाओं का रोल: गांव की साफ-सफाई में यहां की महिलाओं का बहुत बड़ा हाथ है. हर महीने, गांव की महिलाएं मिलकर सारा कचरा उठाती हैं. जो जैविक कचरा होता है, उसे खाद बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि प्लास्टिक और दूसरे गैर-जैविक कचरे को रीसायकल (Recycle) होने के लिए भेज दिया जाता है.
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कैसे पहुंच सकते हैं पेंगलिपुरन?
पेंगलिपुरन गांव बाली के बांग्ली जिले में है. यह देनपसार से करीब 45 किलोमीटर दूर है और बांग्ली शहर से तो सिर्फ 5 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां जाने का सबसे आसान तरीका है प्राइवेट कार लेना. इसके अलावा, आप ग्रैब और गौजेक जैसे राइड शेयरिंग ऐप्स का इस्तेमाल करके भी यहां तक जा सकते हैं.
यह गांव साल भर सुबह 8:15 बजे से शाम 6:30 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है. यहां घूमने जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर के बीच होता है, या फिर जब यहां के त्योहार गलुंगन और कुनिंगन चल रहे हों. अगर आप यहां के कल्चर को करीब से देखना चाहते हैं, तो होमस्टे का विकल्प भी उपलब्ध है. जहां रुकने पर आपको घर का बना खाना खाने और कल्चरल एक्टिविटीज में हिस्सा लेने का मौका मिलता है, जिसका किराया अलग-अलग होता है.