प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को दो दिवसीय भूटान यात्रा पर रवाना हो गए हैं. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भूटान के चतुर्थ नरेश का 70वां जन्मदिन मनाया जा रहा है. लेकिन भूटान सिर्फ राजनीतिक और राजनयिक रिश्तों के लिए ही खास नहीं है, बल्कि यह दुनिया के सबसे खूबसूरत और शांतिपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है. यहां की पहाड़ियां, मठ, पारंपरिक वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य हर सैलानी का दिल जीत लेते हैं. अगर आप भी भूटान घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो जानिए वहां की कुछ प्रमुख जगहों के बारे में जो हर यात्री की पहली पसंद हैं.
भूटान के पारो शहर में स्थित रिनपुंग द्जोंग को स्थानीय लोग 'पारो द्जोंग' भी कहते हैं. यह किला-मठ भूटान की पारंपरिक वास्तुकला का शानदार उदाहरण है. सफेद दीवारों, लकड़ी की नक्काशी और लाल छतों से सजा यह किला धार्मिक और प्रशासनिक दोनों रूप में महत्वपूर्ण है. हर साल यहां पारो त्सेचू उत्सव आयोजित होता है, जिसमें पारंपरिक मुखौटे नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होती हैं. यहां पहुंचने वाला हर सैलानी भूटान की संस्कृति और आस्था को करीब से महसूस करता है.
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पुनाखा द्जोंग भूटान के सबसे भव्य और ऐतिहासिक किलों में से एक है. यह मो चू (मादा नदी) और पो चू (नर नदी) के संगम पर एक अद्भुत स्थान पर बना हुआ है. इसकी सफेद दीवारें, लाल छतें और लकड़ी की शानदार नक्काशी इसे पारंपरिक भूटानी वास्तुकला का शानदार प्रतीक बनाती हैं. इतिहास में यह धार्मिक और प्रशासनिक केंद्र होने के साथ-साथ कई ऐतिहासिक राजतिलक समारोहों का गवाह रहा है. वसंत में यहां खिलने वाले जैकरंदा के फूल इस स्थल की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देते हैं.
थिम्फू और पुनाखा के बीच स्थित दोचुला दर्रा समुद्र तल से करीब 3,100 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां से साफ मौसम में हिमालय की बर्फीली चोटियों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है. इस जगह पर बने 108 स्तूप (चोर्टन) भूटान की आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं. इतना ही नहीं यहां हर तरफ शांति और प्राकृतिक सुंदरता का अहसास होता है, जिससे यह जगह पर्यटकों के दिल में बस जाती है.
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पारो जिले में स्थित द्रुकग्याल द्जोंग का निर्माण 17वीं शताब्दी में तिब्बती आक्रमणकारियों से सुरक्षा के लिए किया गया था. ‘द्रुकग्याल’ का अर्थ है 'भूटान की विजय', जो इसकी गौरवपूर्ण कहानी को बताता है. भले ही आज यह जगह खंडहरों में तब्दील हो चुकी हो, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व आज भी लोगों को आकर्षित करता है. यही वजह है कि यह आज भी भूटानी वीरता, शानदार वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बना हुआ है, जो इतिहास प्रेमियों के लिए एक विशेष आकर्षण है.
मो चू नदी पर बना पुनाखा सस्पेंशन ब्रिज भूटान का सबसे लंबा झूलता पुल है. लगभग 180 मीटर लंबा यह पुल रंग-बिरंगे प्रार्थना झंडों से सजा रहता है, जो हवा में लहराते हुए एक आध्यात्मिक माहौल बनाते हैं.यहां पुल पर चलते हुए नीचे बहती नदी और चारों ओर फैले पहाड़ों का दृश्य अद्भुत नजारा पेश करता है. यह जगह फोटोग्राफी और एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है.