दुनिया भर में यात्रा करने की आज़ादी तय करने वाली हेनले पासपोर्ट इंडेक्स की ताज़ा रैंकिंग ने एक बड़ा उलटफेर कर दिया है. एक समय जो अमेरिकी पासपोर्ट पूरी दुनिया में सबसे शक्तिशाली माना जाता था, वह अब अपनी चमक खोता दिख रहा है. 20 साल के इतिहास में पहली बार, अमेरिका शीर्ष 10 देशों की सूची से बाहर हो गया है, जबकि एशिया के एक छोटे से देश ने दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट होने का ताज अपने नाम कर लिया है. यह सिर्फ एक रैंकिंग में बदलाव नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति और यात्रा की आज़ादी की बदलती गतिशीलता का स्पष्ट संकेत है. आइए, जानते हैं कि भारत का पासपोर्ट कहां खड़ा है.
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 की नई रैंकिंग में एशिया ने स्पष्ट रूप से अपनी बढ़त दर्ज कराई है. सिंगापुर ने 193 देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा की सुविधा देकर दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट का दर्जा हासिल किया है. यह सफलता सिंगापुर की लगातार मजबूत होती विदेशी नीतियों और व्यापारिक समझौतों का नतीजा है. सिंगापुर के बाद दक्षिण कोरिया 190 गंतव्यों के साथ दूसरे स्थान पर, जबकि जापान 189 गंतव्यों के साथ तीसरे स्थान पर है. इन एशियाई देशों ने दिखा दिया है कि वैश्विक संपर्क बढ़ाने के लिए कूटनीति और व्यापारिक रिश्ते कितने अहम होते हैं.
यह भी पढ़ें: 'किराए से फुर्सत' योजना, अब हवाई टिकट के दाम बढ़ने का झंझट खत्म!
जो देश कभी पासपोर्ट के मामले में विश्व गुरु था, उस संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए यह रैंकिंग निराशाजनक है. अमेरिका इस बार फिसलकर मलेशिया के साथ संयुक्त रूप से 12वें स्थान पर आ गया है. अब अमेरिकी पासपोर्ट धारक 180 गंतव्यों तक ही वीज़ा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं. यह 2014 की स्थिति से एक बड़ी गिरावट है, जब अमेरिका इस सूचकांक में शीर्ष पर था. विश्लेषकों का मानना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण अन्य देशों से पहुंच में लगातार कमी आना है. उदाहरण के लिए, ब्राज़ील ने पारस्परिकता की कमी का हवाला देते हुए अमेरिकी नागरिकों के लिए वीज़ा आवश्यकताएं फिर से लागू कर दीं. वहीं, चीन ने जर्मनी और फ्रांस जैसे कई यूरोपीय देशों को वीज़ा छूट दी, लेकिन अमेरिका को नहीं दी. आज, कुल 36 देश अमेरिकी पासपोर्ट से ज़्यादा 'यात्रा की आज़ादी' देते हैं.
हेनले एंड पार्टनर्स के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह गिरावट केवल संख्या नहीं, बल्कि एक मौलिक बदलाव है. यह 'सॉफ्ट पावर' (नर्म शक्ति) की एक नई परिभाषा है, जो राष्ट्र दुनिया से खुलेपन और सहयोग का हाथ मिला रहे हैं, वे आगे निकल रहे हैं. वहीं, जो देश सिर्फ अपने पुराने रुतबे पर टिके हैं, उन्हें झटका लग रहा है. यूनाइटेड किंगडम (UK) भी इसी लिस्ट में है, जो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ संयुक्त रूप से आठवें स्थान पर खिसक गया है. यह साफ है कि विश्व मंच पर पुरानी पश्चिमी महाशक्तियां अब अकेली नहीं हैं.
यह भी पढ़ें: विदेश घूमने में इस देश के लोगों ने खर्च किया खूब पैसा, जानें भारत का नंबर
इस रैंकिंग में सबसे चौंकाने वाली और प्रेरणादायक कहानी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की है. उसने पिछले दशक में अपनी रैंकिंग में 34 पायदान की अविश्वसनीय छलांग लगाई है और अब यह 8वें स्थान पर है. यूएई ने आक्रामक रूप से कूटनीतिक संबंध बनाए और वैश्विक खुलेपन को अपनाया, जिसका सीधा फायदा उसके नागरिकों को मिला. वहीं, चीन भी 2015 में 94वें स्थान से सुधरकर अब 64वें स्थान पर आ गया है, जिससे उसके नागरिकों को 37 अतिरिक्त देशों में वीज़ा-मुक्त पहुंच मिली है.
भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए इस साल रैंकिंग में थोड़ा सा झटका लगा है. भारत पिछले साल के 80वें स्थान से फिसलकर 85वें स्थान पर आ गया है. इसका मतलब है कि भारतीय पासपोर्ट के साथ अब भी 57 देशों में बिना वीज़ा के प्रवेश संभव है. हालांकि रैंकिंग में गिरावट आई है, लेकिन भारत लगातार प्रयास कर रहा है और आने वाले समय में पड़ोसी देशों के साथ बेहतर समझौतों से इसकी स्थिति मज़बूत होने की उम्मीद है. दूसरी तरफ, अफ़ग़ानिस्तान (24 देश) दुनिया का सबसे कमज़ोर पासपोर्ट बना हुआ है, जिसके नागरिक सबसे कम देशों में यात्रा कर सकते हैं.
सिंगापुर -193 देश
दक्षिण कोरिया- 190 देश
जापान -189 देश
जर्मनी, इटली, लक्ज़मबर्ग, स्पेन, स्विट्ज़रलैंड -188 देश
ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, आयरलैंड, नीदरलैंड- 187 देश
ग्रीस, हंगरी, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्वीडन- 186 देश
ऑस्ट्रेलिया, चेक गणराज्य, माल्टा, पोलैंड- 185 देश
क्रोएशिया, एस्टोनिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूनाइटेड किंगडम (UK) -184 देश
कनाडा -183 देश
लातविया, लिकटेंस्टीन -182 देश
आइसलैंड, लिथुआनिया- 181 देश
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), मलेशिया -180 देश
भारत - 85 देश