मानसून का मौसम हिमालय में ट्रेकिंग के लिए जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन कुछ खास ट्रेक ऐसे हैं, जो अपनी हरियाली, फूलों और शानदार नजारों के लिए प्रसिद्ध हैं. बारिश की बूंदें जब हिमालय की मिट्टी को छूती हैं, तो पहाड़ों की सुंदरता और भी निखर जाती है. हालांकि, फिसलन भरे रास्ते और बारिश चुनौतियां लाते हैं, सावधानी और सही योजना के साथ मानसून हिमालय के इन ट्रेक को अविस्मरणीय बना देता है.
मार्खा घाटी ट्रेक लद्दाख का एक शानदार गंतव्य है, जो जुलाई से मध्य-सितंबर तक अपनी पूरी रंगत में नजर आता है. मानसून में भी ये इलाका ज्यादातर सूखा रहता है, क्योंकि ये बारिश-छाया क्षेत्र में पड़ता है. यहां की वादियों में रंग-बिरंगे अल्पाइन फूलों की चादर बिछी रहती है, जो देखने में कमाल की लगती है. हेमिस नेशनल पार्क के रास्ते में आपको हिम तेंदुआ, तिब्बती भेड़िया जैसे जंगली जानवरों की झलक मिल सकती है. ये ट्रेक इतना शांत और सुकून भरा है कि मन को ताजगी दे जाता है. मानसून में चारों तरफ हरे-भरे घास के मैदान फैले होते हैं, जो लद्दाख के रेगिस्तानी मिजाज में बिल्कुल अनोखे लगते हैं. यहां जाने के लिए आपको कम से कम 7-8 दिन का वक्त चाहिए.
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पिन वैली ट्रेक मानसून में 'फूलों की घाटी' को भी टक्कर दे सकता है. ये इलाका बारिश-छाया क्षेत्र में होने की वजह से ज्यादातर सूखा रहता है और भीड़-भाड़ से दूर, प्रकृति का सुकून भरा अनुभव देता है. यहां हिमालयी आइबेक्स और गोल्डन ईगल जैसे वन्यजीव दिख जाते हैं, जो ट्रेक को और रोमांचक बनाते हैं. साथ ही, स्थानीय मठों और होमस्टे में स्पीति की पारंपरिक संस्कृति को करीब से देखने का मौका मिलता है. मानसून में ये जगह और खास हो जाती है, क्योंकि आप होमस्टे का मजा ले सकते हैं और पुराने मठों की सैर कर सकते हैं. ये ट्रेक प्रकृति और संस्कृति, दोनों के शौकीनों के लिए एकदम परफेक्ट है.
बेदनी बुग्याल और बगवासा उत्तराखंड की एक शानदार ऊंची घासभूमि है, यहां रात में खिलने वाला ब्रह्मकमल, जिसे रात की रानी भी कहते हैं, इतना खूबसूरत लगता है कि बस देखते ही बनता है. ट्रेक के दौरान हिमालय की बर्फीली चोटियां और रंग-बिरंगी पहाड़ियां साफ दिखती हैं, जो आंखों को सुकून देती हैं. भले ही बारिश हो, लेकिन यहां का नजारा प्रकृति प्रेमियों को इतना रास आता है कि सारी थकान भूल जाती है.
दरमा घाटी उत्तराखंड की एक ऐसी खूबसूरत जगह है, जो मानसून में गुलाबी रंग के पल्टी फूलों से सज जाती है. ये फूल पूरी घाटी को रंगीन बना देते हैं, और आसपास के झरने और कोहरे से ढकी वादियां मन को सुकून देती हैं. ये घाटी स्थानीय भोटिया जनजाति की संस्कृति, प्रकृति की खूबसूरती और शांत माहौल का गजब का मेल है. मानसून में ये जगह और भी गुलज़ार हो जाती है. प्रकृति प्रेमियों को यहां की ठंडी हवा और मानसूनी धुंध बहुत भाएगी. कुल मिलाकर, यहां का अनुभव इतना ताज़ा और आरामदायक है कि आप तन-मन से रिलैक्स हो जाएंगे.
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