नए साल के जश्न का नाम आते ही जेहन में शोर-शराबे वाली पार्टियां और भारी भीड़ की तस्वीरें घूमने लगती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि साल की शुरुआत किसी शांत झील के किनारे, घने जंगलों के बीच और ठंडी हवाओं की थपकियों के साथ की जाए? अगर आप इस बार कुछ हटकर प्लान करना चाहते हैं, तो महाराष्ट्र के सतारा जिले में बसा 'कोयना नगर' आपकी तलाश खत्म कर सकता है. पश्चिमी घाट की गोद में छिपा यह छोटा सा कस्बा उन लोगों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है, जो दिखावे वाली विलासिता के बजाय प्रकृति के असली रंग देखना पसंद करते हैं. आज के दौर में जब हर कोई 'ईको-टूरिज्म' की बातें कर रहा है, कोयना नगर सालों से इसी सादगी को जी रहा है. यहां की संकरी सड़कें, गहराते जंगल और पहाड़ियों से उठता कोहरा आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएगा.
शिव सागर झील और कोयना बांध का आकर्षण
कोयना नगर की पहचान यहां का विशाल कोयना बांध है, जो भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है. लेकिन यह सिर्फ इंजीनियरिंग का नमूना भर नहीं है, बल्कि इसके पीछे फैली 'शिव सागर झील' कुदरत की बेमिसाल कलाकारी है. नीले पानी की यह विशाल झील सह्याद्री की पहाड़ियों के बीच किसी दर्पण की तरह लगती है. सुबह के समय जब सूरज की पहली किरणें कोहरे को चीरते हुए पानी पर पड़ती हैं, तो नजारा जादुई हो जाता है. यहां का शांत वातावरण आपको धीमी गति से जीने की प्रेरणा देता है. इतना ही नहीं यहां आप हाउसबोट में ठहर सकते हैं या झील के किनारे कैंपिंग का मजा ले सकते हैं. रात के वक्त तारों से भरा आसमान और पानी की हल्की लहरों की आवाज आपके नए साल को यादगार बना देगी.
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वन्यजीवों की दुनिया का रोमांचक सफर
कोयना नगर के आसपास का इलाका कोयना वन्यजीव अभयारण्य से घिरा हुआ है, जो सह्याद्री टाइगर रिजर्व का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है. यहां के जंगल इतने घने और प्राकृतिक हैं कि आपको हर कदम पर रोमांच महसूस होगा. यहां जानवरों को देखना किसी चिड़ियाघर जैसा तय नहीं होता, बल्कि यह आपकी किस्मत और सब्र पर निर्भर करता है. घने पेड़ों के बीच से अचानक किसी तेंदुए की झलक मिल जाना या सांभर हिरणों का झुंड दिखना, दिल की धड़कनें बढ़ा देता है. यही नहीं पक्षी प्रेमियों के लिए तो यह जगह स्वर्ग है, क्योंकि यहां मालाबार पाइड हॉर्नबिल और पैराडाइज फ्लाईकैचर जैसे रंग-बिरंगे पक्षी उड़ते दिखाई देते हैं. यहां की सैर आपको सिखाती है कि प्रकृति का असली आनंद उसे बिना छेड़े, दूर से निहारने में ही है.
इतिहास और कुदरत का मेल है वासोटा किला
अगर आपको इतिहास और एडवेंचर दोनों पसंद हैं, तो वासोटा किले की चढ़ाई आपके लिए ही बनी है. सह्याद्री के सबसे मजबूत किलों में शुमार वासोता तक पहुंचना अपने आप में एक अनोखा सफर है. इसके लिए आपको पहले नाव के जरिए शिव सागर झील को पार करना पड़ता है और फिर घने जंगलों के बीच से कठिन चढ़ाई करनी होती है. कभी मराठों का गौरव रहा यह किला आज शांति और वीरता की कहानियों को अपने भीतर समेटे खामोश खड़ा है. किले के ऊपर से दिखने वाला चारों तरफ का नजारा आपकी सारी थकान मिटा देगा. वहीं, रास्ते में पड़ने वाला ओजार्डे झरना अपनी पूरी रफ्तार के साथ पहाड़ियों से गिरता हुआ दिखाई देता है, जिसकी धुंध और फुहारें आपको ताजगी से भर देंगी.
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कैसे पहुंचें कोयना नगर?
कोयना नगर पहुंचने का सफर भी उतना ही खूबसूरत है जितनी कि यह जगह. यह पुणे से लगभग 190 किमी और मुंबई से करीब 290 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां आने के लिए सड़क मार्ग सबसे अच्छा है क्योंकि सुंदर घाटियों से होकर गुजरने वाला रास्ता आपकी ट्रिप का मजा दोगुना कर देता है. अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं, तो चिपलुन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जहां से टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं.
यात्रा के लिए बेहतरीन समय
यहां घूमने के लिए अक्टूबर से फरवरी तक का समय सबसे शानदार होता है क्योंकि मौसम सुहावना रहता है. अगर आपको हरियाली और झरनों का असली रूप देखना है, तो मानसून के दौरान यहां का रुख करें, बस गर्मियों की दोपहर में यहां आने से बचें.