ऊपरी सियांग (Siang) अरुणाचल प्रदेश का एक खूबसूरत और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जिला है, जिसकी स्थापना वर्ष 1999 में हुई थी. यह जिला प्राकृतिक संसाधनों, शांत वातावरण और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. यहां की भौगोलिक स्थिति बेहद खास है, क्योंकि यह भारत-चीन सीमा से सटा हुआ क्षेत्र है, जिस कारण इसका सामरिक महत्व भी काफी बढ़ जाता है.
अपर सियांग का मुख्यालय यिंगक्योंग है, जो सियांग नदी के किनारे बसा एक शांत और मनमोहक कस्बा है. सियांग नदी, जो तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जानी जाती है, भारत में प्रवेश करते ही अरुणाचल प्रदेश की जीवनरेखा बन जाती है. यह नदी ताजे जल का विशाल स्रोत मानी जाती है और आसपास के जंगलों, कृषि और जीवन शैली पर गहरा प्रभाव डालती है.
इस जिले में मुख्य रूप से आदि, मिगिंग, मेंबा और अन्य जनजातियां निवास करती हैं. इनका जीवन प्रकृति, उत्सवों और पारंपरिक रीति-रिवाजों से गहराई से जुड़ा हुआ है. सोलुंग, आर्टेम, मोप्पिन जैसे त्योहार यहां की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं.
अपर सियांग का बड़ा हिस्सा घने जंगलों और ऊंचे-नीचे पहाड़ी इलाकों से ढका हुआ है. यहां की हवा शुद्ध और मौसम शांत रहता है. साहसिक पर्यटन पसंद करने वालों के लिए ट्रेकिंग, रिवर राफ्टिंग, जंगल सफारी और पारंपरिक गांवों की सैर जैसे विकल्पों की कमी नहीं.
सड़क और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के बाद यह जिला तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है. साथ ही, भारत-चीन सीमा के करीब होने के कारण यह क्षेत्र रक्षा दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.
अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में 20 दिन से लापता सेना के पोर्टर उन्नोत ताये को जंगल से जिंदा निकाला गया. तीन हफ्ते तक चले सर्च ऑपरेशन में पुलिस, ग्रामीण और डॉक्टरों ने मिलकर उसकी जान बचाई. ये कहानी हैरान करने वाली है.