द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) एक उग्रवादी संगठन है जो जम्मू और कश्मीर में सक्रिय है. इसे भारत में एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है. भारतीय सरकार और अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस संगठन की स्थापना लश्कर-ए-तैयबा, एक जिहादी विद्रोही समूह, द्वारा की गई थी और यह उसी का एक विस्तार है. यह समूह नागरिकों पर हमलों और उनकी हत्याओं के लिए जिम्मेदार है, जिनमें कश्मीरी हिंदुओं जैसे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य, सरकारी कर्मचारी, मजदूर और व्यवसायी, स्थानीय राजनेता, और पर्यटक शामिल हैं. इसके अलावा, यह समूह भारतीय सुरक्षा बलों सहित स्थानीय पुलिसकर्मी पर भी कई हमलों में शामिल रहा है (The Resistance Front).
यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे विद्रोही समूहों के सदस्यों को मिलाकर 2019 में जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त किए जाने के बाद बनाया गया था. हालांकि यह संगठन धर्मनिरपेक्ष छवि पेश करने के लिए गैर-धार्मिक शब्दावली और प्रतीकों का उपयोग करता है, फिर भी यह एक इस्लामी उग्रवादी संगठन है और इसने धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के स्थानीय लोगों की लक्षित हत्याएं की हैं. इस समूह की सोशल मीडिया पर उल्लेखनीय उपस्थिति है, जिसमें से कुछ गतिविधियों का स्रोत पाकिस्तान में पाया गया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध निगरानी टीम ने अपनी रिपोर्ट में पहलगाम आतंकवादी हमले की जांच के निष्कर्ष पेश किए, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ के बीच संबंधों को उजागर किया गया है. रिपोर्ट में भारत के दावों का समर्थन करते हुए पाकिस्तान की सेना और सरकार द्वारा आतंकवादियों को मदद देने की बात कही गई है. देखें लंच ब्रेक.
अमेरिका की ओर से टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किए जाने के बाद लश्कर और उसके प्रॉक्सी टीआरएफ के आतंकवादियों में दहशत फैल गई है. इस खबर के बाद पाकिस्तान में भी बहुत ज्यादा हलचल देखने को मिल रही है.
भारत ग्लोबल फोरम पर जहां लश्कर के मुखौटे TRF को बेनकाब करने की कोशिश कर रहा था. वहीं चीन बार-बार उस पर पर्दे डालने की कोशिश कर रहा था. चीन UNSC में TRF के खिलाफ दिए गए सबूतों को पूर्वाग्रहपूर्ण और क्लासिफाइड बताकर उसे स्वीकार करने से इनकार कर देता था. लेकिन इस बार अमेरिका ने TRF पर एक्शन लेने में कोई दलील नहीं सुनी.
अमेरिका के गृह विभाग ने टीआरएफ को वैश्विक आतंकवादी संगठन की लिस्ट में शामिल कर दिया है.ये वही आतंकी संगठन है,जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी.अमेरिका का ये कदम भारत की कूटनीतिक जीत है
द रेजिस्टेंस फ्रंट पाकिस्तानी स्थित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा का ही मुखौटा संगठन है और कश्मीर में आतंकी वारदातों को अंजाम देता है. पहलगाम की बैसरन घाटी में इस साल 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ही ली थी, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
अमेरिकी सरकार ने द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी TRF को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसकी जानकारी दी.
वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार ईशान थरूर के सवाल पर शशि थरूर दूसरे देशों के रुख के बारे में विस्तार से बताया है. लगे हाथ शशि थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के आतंकवाद से रिश्तों के तीन ठोस सबूत भी गिना दिए - पिता-पुत्र का अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ये संवाद भारत की सैन्य और कूटनीतिक का दस्तावेज बन गया है.
सेना जैसी वर्दी पहने आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों के बीच बड़ी चिंता पैदा कर दी है, अधिकारियों को डर है कि इस तरह की रणनीति से भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है, खासतौर पर हाल के घटनाक्रम में यह चुनौती काफी बड़ी है.
पहलगाम आतंकी हमले में 26 मौतों के बाद भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत जवाबी कार्रवाई की है और पाकिस्तान के आतंकी प्रेम को उजागर करने का प्रयास किया है. भारत ने पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकी संगठन टीआरएफ़ पर प्रतिबंध के लिए संयुक्त राष्ट्र में सबूत पेश किए हैं.
UNSC में TRF का नाम हटवाने की पाकिस्तानी चाल पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाक की दोहरी नीति और आतंकवाद समर्थन को बेनकाब किया.
विदेश सचिव ने कहा कि पाकिस्तान दशकों से भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहा है और दुनिया को गुमराह करता आया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की धरती पर UN की लिस्ट में शामिल कई ग्लोबल टेररिस्ट खुलेआम घूम रहे हैं, जिनमें मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी शामिल हैं. साथ ही वहां लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन भी फल-फूल रहे हैं.
पाकिस्तान में 150 से ज्यादा आतंकी संगठन सक्रिय हैं, जिनका मकसद कश्मीर में आतंक फैलाना है. भारत को नुकसान पहुंचाना है. इस काम में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भी शामिल है. ये एजेंसी कैसे करती है आतंकियों की मदद? कैसे चलते हैं ये आतंकवादी संगठन? पढ़ें पूरी कहानी.
सैफुल्ला कसूरी की साजिश और पाक आतंकियों की करतूत से पहलगाम हमला हुआ. जानिए कैसे आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा ने इस हमले को अंजाम दिया और भारत के पास PAK की संलिप्तता के 7 बड़े सबूत हैं.
आज तक को मिली विशेष जानकारी के अनुसार, पहलगाम में हुए आतंकी हमले से पहले खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी जारी की थी. 4 अप्रैल 2025 को जारी एक आईबी अलर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान स्थित एक आतंकी संगठन ने अपने स्थानीय गुर्गों को पहलगाम के होटलों में हमले के लिए रेकी करने का निर्देश दिया था.
भौगोलिक दृष्टि से सिंधु, चिनाब, झेलम, ब्यास, रावी और सतलज की स्थिति ऐसी है कि इन नदियों के पानी का कंट्रोल भारत के हाथ में है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद, जिसके तार पाकिस्तान से जुड़ रहे हैं, भारत ने पाकिस्तान के इस जुगुलर वेन को दबा दिया है और 1960 में हुआ सिंधु जल समझौता को फिलहाल सस्पेंड कर दिया है. भारत के इस एक्शन के बाद 40 डिग्री का तापमान झेल रहे पाकिस्तान का हलक सूखने लगा है.
असीम मुनीर की भारत विरोधी बयानबाजी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी में विदेश में रह रहे पाकिस्तानियों की एक बैठक के दौरान सामने आई थी. भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते हुए मुनीर ने जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के दावे को दोहराया और टू-नेशन थ्योरी का बचाव किया जिसके कारण 1947 में भारत का बंटवारा हुआ था.
पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका लगातार भारत के खिलाफ साजिश रचते रहते हैं और घाटी में वारदातों को अंजाम देने के लिए लोकल टेररिस्ट की मदद भी लेते हैं. ऐसा इस बार भी हुआ है क्योंकि पाकिस्तान कई महीनों से भारत के खिलाफ कुछ बड़ा करने की फिराक में था.
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में अब तक 28 लोगों की मौत हुई है..आतंकियों की तलाश के लिए सेना ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है..इस बीच ख़बर है कि आतंकियों ने स्थानीय कश्मीरी आतंकियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स के साथ मिलकर हमले से पहले इलाके की रेकी की थी.