scorecardresearch
 

खुफिया अलर्ट के बावजूद पहलगाम में आतंकी वारदात, क्या पुलिस ने चेतावनी को किया नजरअंदाज?

आज तक को मिली विशेष जानकारी के अनुसार, पहलगाम में हुए आतंकी हमले से पहले खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी जारी की थी. 4 अप्रैल 2025 को जारी एक आईबी अलर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान स्थित एक आतंकी संगठन ने अपने स्थानीय गुर्गों को पहलगाम के होटलों में हमले के लिए रेकी करने का निर्देश दिया था.

Advertisement
X
 अंतिम दर्शन के लिए रखे पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के शव. (PTI Photo)
अंतिम दर्शन के लिए रखे पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के शव. (PTI Photo)

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. 'आज तक' को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने इस हमले से पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी. 4 अप्रैल 2025 को जारी इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अलर्ट में साफ तौर पर कहा गया था कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन ने अपने स्थानीय सहयोगियों को पहलगाम के होटलों की रेकी करने का निर्देश दिया है.

यह जानकारी SMAC (Subsidiary Multi-Agency Centre) के जरिए साझा भी की गई थी, बावजूद इसके, मौके पर कोई ठोस सुरक्षा उपाय नहीं किए गए. सेना की ओर से भी बैसरन घाटी में लश्कर-ए-तैयबा आतंकियों की गतिविधियों की सूचना दी गई थी.

बैसरन घाटी में सुरक्षा ही नहीं
हमला बैसरन घाटी में हुआ, जो पहलगाम से करीब 5-7 किमी दूर एक खूबसूरत लेकिन दुर्गम इलाका है और मिनी स्विटजरलैंड के नाम से जाना जाता है. यहां सड़क नहीं है, केवल पैदल या घोड़े से पहुंचा जा सकता है.  जांच में सामने आया कि आतंकियों ने इस इलाके को जानबूझकर निशाना बनाया क्योंकि वहां किसी भी तरह की सुरक्षा तैनाती नहीं थी. मोबाइल नेटवर्क की अनुपलब्धता के चलते बचाव कार्य में भी भारी देरी हुई, जिससे मौतों की संख्या बढ़ गई.

यह भी पढ़ें: पहलगाम हमले के बाद सुरक्षाबलों का बड़ा एक्शन, बांदीपोरा में लश्कर से जुड़े 3 आतंकवादी गिरफ्तार

Advertisement

देर से पहुंची पुलिस और सेनाकठिन भूगोल के कारण पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों को मौके पर पहुँचने में काफी समय लगा. स्थानीय गाइड और टट्टू वाले घायल पर्यटकों को निकालते नजर आए.  

सूत्रों के अनुसार आतंकी करीब 35-40 मिनट तक गोलीबारी करते रहे क्योंकि उन्हें मालूम था कि पहले जवाबी कार्रवाई करने वालों (first responders) को पहुंचने में कम से कम 45 मिनट से एक घंटे लगेंगे. इसके बाद वे पहलगाम के जंगलों में गायब हो गए और संभवत त्राल की ओर चले गए. पर्यटन के पीक सीजन में एक प्रमुख पर्यटक स्थल पर पुलिस या अर्धसैनिक बलों की अनुपस्थिति, खासकर आतंकवाद के लंबे इतिहास वाले क्षेत्र में, गश्त रणनीति और खतरे के आकलन में बड़ी विफलता को दर्शाती है. सुरक्षा ग्रिड के सूत्रों ने बताया, "एक मोबाइल वैन, गश्ती दल या पर्यटक पुलिस बूथ भी तैनात किया जा सकता था."

सुरक्षा का गलत आकलन
एक खुफिया अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सुरक्षा बलों को यह भ्रम था कि आतंकवादी पर्यटकों को निशाना नहीं बनाएंगे. यह चूक तब और भी गंभीर हो जाती है जब पाक सेना प्रमुख द्वारा कश्मीर पर हालिया भड़काऊ बयान सामने आ चुका हो. पहले की खुफिया चेतावनियों के बावजूद लापरवाही बरती गई. पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने रणनीति बदली, जो पहले सुरक्षा बलों या स्थानीय लोगों पर हमला करते थे. इस बार उन्होंने पर्यटन उद्योग को निशाना बनाया, जिससे स्थानीय लोग सदमे में हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: पहलगाम अटैक में शामिल थे नाबालिग लड़के, सिर पर लगा था कैमरा... पिता को खोने वाले चश्मदीद का दावा

हमले की टाइमिंग और साजिश
इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन TRF (The Resistance Front) ने ली है. हमला ऐसे समय हुआ जब अमेरिका की उपराष्ट्रपति भारत यात्रा पर थीं और प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर में रेल लिंक का उद्घाटन करने वाले थे (जो बाद में मौसम खराब होने के चलते वर्चुअल हुआ).विपक्ष के नेताओं - असदुद्दीन ओवैसी, चरणजीत सिंह चन्नी और राजा अमरिंदर सिंह वड़िंग ने इसे सरकार की बड़ी सुरक्षा चूक बताया है.

जांच और अगला एक्शन
प्रशासन ने तीन संदिग्ध आतंकियों आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा का स्केच जारी किया है. इनके बारे में जानकारी देने पर ₹20 लाख का इनाम घोषित किया गया है. अनंतनाग पुलिस कंट्रोल रूम में टूरिस्ट हेल्प डेस्क स्थापित कर दी गई है और पूरे कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement