शिवराज पाटिल (Shivraj Patil) भारत के पूर्व गृह मंत्री थे. वे 1991 से 1996 तक लोकसभा के 10वें स्पीकर भी रहे. उम्र से जुड़ी बीमारी की वजह से 12 दिसंबर 2025 को 90 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
वे 2010 से 2015 तक पंजाब राज्य के गवर्नर और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर रहे. इससे पहले, उन्होंने 1980 के दशक में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी कैबिनेट में रक्षा मंत्री के तौर पर काम किया था.
2008 के मुंबई हमलों के बाद हुई बड़ी आलोचना के बाद, पाटिल ने 30 नवंबर 2008 को गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और हमलों की वजह बनी सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी ली.
उनका जन्म 12 अक्टूबर 1935 को हैदराबाद रियासत के लातूर जिले (मराठवाड़ा इलाका) के चाकुर गांव में हुआ था, जो अब महाराष्ट्र में है. उन्होंने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से साइंस में डिग्री ली और बॉम्बे यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की. 1967-69 के दौरान, वे लोकल गवर्नमेंट (लातूर म्युनिसिपैलिटी) में शामिल थे. केशवराव सोनवणे और माणिकराव सोनवणे ने शिवराज पाटिल को लातूर चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ने का पहला मौका दिलाने में मदद की थी.
पाटिल पंचमसाली लिंगायत समुदाय से हैं. उन्होंने जून 1963 में विजया पाटिल से शादी की, और उनके दो बच्चे हैं - एक बेटा और एक बेटी. वे सत्य साईं बाबा के भी भक्त थे.
1972 से 1980 तक, वे महाराष्ट्र विधानसभा के लातूर शहर से दो बार 1972 से 1978 और 1978 से 1980 तक विधायक रहे. इस दौरान उन्होंने पब्लिक अंडरटेकिंग्स कमेटी के चेयरमैन, डिप्टी मिनिस्टर (लॉ एंड ज्यूडिशियरी, इरिगेशन, प्रोटोकॉल), असेंबली के डिप्टी स्पीकर और असेंबली के स्पीकर जैसे कई पदों पर काम किया.
1980 में, वे लातूर चुनाव क्षेत्र से 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1999 तक, उन्होंने 1980, 1984, 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार सात लोकसभा चुनाव जीते. 2004 के लोकसभा चुनाव में, वे भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रूपाताई पाटिल निलंगेकर से हार गए.
देश के पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता शिवराज पाटिल का निधन हो गया है. नगर पालिका से अपनी सियासी पारी शुरू करने वाले शिवराज पाटिल ने संसद तक का सफर तय किया. केंद्र में मंत्री बनने से लेकर लोकसभा के स्पीकर और राज्यपाल तक रहे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का लातूर में 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और लातूर में अपने घर पर ही देखभाल में थे. पाटिल ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया, जिनमें लोकसभा स्पीकर और केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य प्रमुख हैं. उन्होंने लातूर लोकसभा सीट से सात बार जीत हासिल की। उनका राजनीतिक करियर काफी प्रभावशाली रहा और उन्होंने देश की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया.