डॉ. नायला कादरी बलोच (Naela Quadri Baloch) बलूचिस्तान की एक प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. वर्तमान में वे निर्वासन में रहते हुए बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए वैश्विक समर्थन जुटाने में सक्रिय हैं. आजाद बलूचिस्तान के सपने को साकार करने के लिए डॉ नायला कादरी बलोच ने निर्वासित बलोच सरकार की स्थापना की है. वे स्वयं निर्वासित बलोच सरकार की प्रधानमंत्री हैं. जिसकी स्थापना 21 मार्च 2022 को कहीं यूरोप में हुई थी, हालांकि सुरक्षा कारणों से इसका सटीक स्थान सार्वजनिक नहीं किया गया है. फिलहाल वे कनाडा में रहती हैं
नायला कादरी बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना बलूच महिलाओं और बच्चों के साथ अत्याचार करती है, जिसमें लड़कियों के शरीर में ड्रिल मशीन से यातना देना शामिल है.
भारत के साथ उनके गहरे संबंध हैं. 2023 में, उन्होंने गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया और बलूचिस्तान की आजादी के लिए प्रार्थना की. उन्होंने बलूच और भारतीय संस्कृतियों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी रेखांकित किया है.
बलूच लीडर मीर यार ने न सिर्फ पाकिस्तान से आजादी का ऐलान किया है बल्कि संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान को अलग मुल्क के तौर पर पहचान देने के लिए बैठक बुलाने की अपील की है. साथ ही भारत सरकार से नई दिल्ली में बलूचिस्तान दूतावास को मंजूरी देने की भी गुहार लगाई है.
महरंग, सम्मी और सीमा बलोचिस्तान की इन बेटियों ने इंतजार की इंतहा के बाद इकंलाब का रास्ता चुना है. सीधे सवाल करने का रास्ता अख्तियार किया है. लेकिन ये प्रतिरोध हिंसक नहीं बल्कि गांधी की सदाकत से ताकत पाता है. इन लोगों ने अपने निजी दुखों को एक सामूहिक संघर्ष में बदला, और पाकिस्तानी सेना और सरकार के उस सिस्टम को हिला दिया, जो दशकों से बलोचिस्तान की आवाज को कुचलता आया है. ये नाम आज बलोचिस्तान में प्रतिरोध के प्रतीक बन चुके हैं.
आजाद बलूचिस्तान के सपने को साकार करने के लिए डॉ नायला कादरी बलोच ने निर्वासित बलोच सरकार की स्थापना की है. वे स्वयं निर्वासित बलोच सरकार की प्रधानमंत्री हैं. जिसकी स्थापना 21 मार्च 2022 को कहीं यूरोप में हुई थी,सुरक्षा कारणों से इसका सटीक स्थान सार्वजनिक नहीं किया गया है.