J-35 फाइटर जेट (J 35 Fighter Jet) चीन का नया , जिसे कई लोग "चाइनीज़ स्टील्थ फाइटर" भी कहते हैं. बात इसकी खासियत की करें तो यह एक फिफ्थ-जनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट है. इसमें ऐसी टेक्नोलॉजी है कि रडार इसे आसानी से पकड़ नहीं पाएंगे. यह डबल इंजन वाला विमान है, यानी इसमें ताकत और स्पीड दोनों भरपूर हैं. इसे खास तौर पर एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ाने के लिए बनाया गया है.
पहले चीन के पास J-20 था, जो उनका पहला स्टील्थ फाइटर था. लेकिन J-35 का डिजाइन थोड़ा अलग है. इसे खास तौर पर नेवी के लिए बनाया गया है ताकि समुद्र से भी चीन की एयर पावर और मजबूत हो सके. इसका मुकाबला अमेरिका के F-35 और F/A-18 सुपर हॉरनेट से किया जा रहा है.
चीन की नौसेना (Navy) अपने एयरक्राफ्ट कैरियर पर इसे तैनात करेगी. भविष्य में यह चीन की वायुसेना (Air Force) का भी अहम हिस्सा बन सकता है.
भारत और चीन की सीमा पर तनाव तो अक्सर रहता है. अगर चीन के पास इतना एडवांस्ड जेट होगा, तो भारत को भी अपने लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करना जरूरी होगा. इसी वजह से भारत राफेल जेट, तेजस मार्क-2 और AMCA प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है.
चीन-जापान के फाइटर जेट एक-दूसरे पर फायर कंट्रोल रडार लॉक कर रहे हैं. यह मिसाइल दागने से ठीक एक कदम पहले की कार्रवाई है. 2025 में 300 से ज्यादा बार हुआ, सबसे करीब 18 किमी पर. एक गलती हुई तो मिनटों में बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है. यह हवा में बंदूक तानने जैसा खतरनाक खेल है.
पाकिस्तान के JF-17 में 5, F-16 में 8+ और मिराज में 10+ हादसे हो चुके हैं. चीन के J-10, J-11, J-15 में 15+ क्रैश, ज्यादातर इंजन फेलियर से हुए हैं. तेजस के सिर्फ 2 हादसे हुए हैं. हर बड़े जेट प्रोग्राम में शुरुआती झटके आते हैं लेकिन एक हादसा तेजस को नहीं रोक सकता, क्योंकि सुधार और भरोसा दोनों मजबूत हैं.
अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मई 2025 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष (ऑपरेशन सिंदूर) को चीन ने अपने नए हथियारों (HQ-9, PL-15, J-10) का पहला असली युद्ध परीक्षण बनाया. चीनी दूतावासों ने हथियारों की सफलता का प्रचार किया. राफेल जेट को बदनाम करने के लिए फेक सोशल मीडिया कैंपेन चलाया ताकि अपने J-35 जेट बेच सके.