कोविशील्ड वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford–AstraZeneca COVID-19 vaccine) COVID-19 वैक्सीन का उत्पादन और इसकी बिक्री Covishield ब्रांड नाम के तहत की जाती है. यह COVID-19 की रोकथाम के लिए एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है. यूनाइटेड किंगडम में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने इसका विकास किया है. यह टीका इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है. 2020 में किए गए अध्ययनों से पता चला कि पहली खुराक के 22 दिनों में और दूसरी खुराक के बाद 81.3% और सिम्पटोमैटिक COVID-19 को रोकने में टीका 76.0% प्रभावी है (Covishield efficacy). स्कॉटलैंड में एक अध्ययन में पाया गया कि, दूसरी खुराक के बाद सिम्पटोमैटिक COVID-19 संक्रमण के लिए, टीका अल्फा वैरिएंट के खिलाफ 81% (Covishield efficacy against Alpha) और डेल्टा के खिलाफ 61% प्रभावी है (Covishield efficacy against Delta). भारत में इस वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित सीरन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया करती है (Serum Institute of India).
टीका रेफ्रिजरेटर के तापमान पर स्थिर और सुरक्षित रहता है. इसके लेने के बाद इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, सिरदर्द और मतली जैसे साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं, जो आमतौर पर कुछ दिनों के भीतर खत्म हो जाते हैं. बेहद कम मामलों में इस टीके के लगाए जाने के बाद रक्त के थक्के जमने जैसी समस्या भी सामने आई है (Covishield side effects).
30 दिसंबर 2020 को, टीके को पहली बार यूके टीकाकरण कार्यक्रम में उपयोग के लिए अप्रूव किया गया था. वैक्सीन को तब से दुनिया भर में कई दवा एजेंसियों द्वारा अनुमोदित किया गया है (Covishield approval). जनवरी 2022 तक वैक्सीन की 2.5 बिलियन से अधिक खुराक दुनिया भर के 170 से अधिक देशों में जारी की जा चुकी है (Covishield production).
एक व्यक्ति का COVID-19 संक्रमण 750 दिनों तक चला, जो विश्व रिकॉर्ड है. कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण वायरस शरीर में रहा, जिससे ओमिक्रॉन जैसे म्यूटेशन देखे गए. यह लॉन्ग COVID नहीं, बल्कि सक्रिय वायरस था. शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि ऐसे लंबे संक्रमण नए खतरनाक वैरिएंट बना सकते हैं.
कोरोना महामारी के दौरान करोड़ों भारतीयों की जान बचाने वाली कोविड वैक्सीन को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि कोविड वैक्सीन लगने के बाद देश में अचानक दिल के दौरे पड़ने लगे हैं. इन घटनाओं को एक पक्ष कोविड वैक्सीन से जोड़कर देखने लगा. इससे यह सवाल उठा कि क्या अचानक हार्ट अटैक से कोविड वैक्सीन का कोई रिश्ता है?
केआरके जैसे लोग अगर सोशल मीडिया पर कोविड वैक्सीन को लेकर अफवाह फैलाएं तो नजरअंदाज ही किया जाएगा. लेकिन, एक राज्य का मुख्यमंत्री अगर वैसी ही बात करे तो आश्यर्च होगा. कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने हासन में हृदयाघात से हुई मौतों का संबंध कोविड वैक्सीन को जल्दबाजी मे दी गई इजाजत से जोड़कर बहस खड़ी कर दी है.
क्या अचानक हो रहे Heart Attack से COVID-19 Vaccine का है कोई लिंक? AIIMS-ICMR की आ गई स्टडी
देश में कोविड के बाद बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों पर स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने एक साझा बयान जारी किया है. इस बयान में स्पष्ट किया गया है कि कोविड वैक्सीन का हार्ट अटैक से कोई लेना-देना नहीं है. यह बयान कर्नाटक के हासन में हुई 22 मौतों के बाद आया, जहां मुख्यमंत्री ने वैक्सीन पर सवाल उठाए थे.
केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर 2022 को भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी थी. यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर लगाई गई थी. नेजल वैक्सीन को शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में लगाया गया और इसके बाद सरकारी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में भी नेजल वैक्सीन को शामिल किया.
एशिया में कोविड-19 की नई लहर आई है, जिसमें सिंगापुर, चीन, हांगकांग, थाईलैंड और भारत में मामले बढ़े हैं. भारत में 257 सक्रिय मामले हैं. JN.1 वैरिएंट इसकी वजह है, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं घबराने की जरूरत नहीं. सावधानी बरतें, मास्क पहनें, हाथ धोएं और लक्षण दिखें तो टेस्ट कराएं. कमजोर इम्युनिटी वालों को बूस्टर डोज की सलाह दी जा रही है.
पूनावाला ने कहा कि कुछ वैक्सीन सड़क किनारे बिकने वाले जूते या चप्पलों से भी कम कीमत में बेची जाती हैं. उन्होंने कहा, 'हम वैक्सीन को 1 रुपये या 200 रुपये में बेचने के बारे में बात करते हैं, लेकिन अगर कोई इसे 300 रुपये या 400 रुपये में भी बेच रहा है तो यह गलत नहीं है.
आईसीएमआर की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी ने 18-45 वर्ष की उम्र के उन व्यक्तियों पर यह स्टडी की, जो स्वस्थ थे और उन्हें कोई बीमारी नहीं थी और 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक उनकी मृत्यु हो गई. यह रिसर्च 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में कंडक्ट किया गया.
जुलाई 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद जिन दो लड़कियों की मौत हो गई थी, उनके माता-पिता ने अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मूड बना लिया है. ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवारों ने कहा कि वो अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ अदालत जाएंगे और केस दर्ज करवाएंगे.
कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर अगर आपके मन में भी कोई चिंता है तो ये जानना बहुत जरूरी है कि इसके बारे में डॉक्टर्स क्या कह रहे हैं.
कोविशील्ड वैक्सीन के प्रभाव और इसके जोखिमों को लेकर लंदन से आई खबर के बाद भारत में बवाल मच गया है. अब इस मामले पर सियासत भी तेज हो गई है. इस बीच अखिलेश यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर बड़ा हमला बोला है. देखें.
कोरोना की दवा बनाने वाली ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी AstraZeneca ने पहली बार स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में कबूल किया कि उनकी वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. देखें वीडियो.
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में एक मेडिकल एक्सपर्ट पैनल बनाने की मांग की गई है, जो कोविशील्ड वैक्सीन के प्रभाव और इसके जोखिमों का आंकलन करे.
बिहार के काराकट लोकसभा सीट पर इन दिनों जबरदस्त राजनीति देखने को मिल रही है. NDA की ओर से उपेंद्र कुशवाहा, INDIA गठबंधन की ओर से राजा राम सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पवन सिंह मैदान में हैं. इस बीच पवन सिंह ने कुशवाहा के एक बयान पर तंज भी कसा. देखें भोजपुरी में खबरें.
सुप्रीम कोर्ट में दायर इस जनहित याचिका में यूके कोर्ट में ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के कबूलनामे का जिक्र किया गया है. इस दौरान कंपनी ने पहली बार माना कि उनकी वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने कहा है कि उनकी सहानुभूति उन लोगों के प्रति है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है या स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरे हैं. कंपनी ने कहा है कि मरीज की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में दिए गए अपने अदालती दस्तावेजों में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कुछ दुर्लभ मामलों में TTS सिंड्रोम जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. यह सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है. इसके चलते व्यक्ति में ब्रेन स्ट्रोक होने की आशंकाएं बढ़ जाती है.
खून का थक्का जमने से मौत की घटनाएं बढ़ने पर कई देशों ने शुरुआत में ही एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन पर बैन लगा दिया था. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन इसकी वकालत करता रहा था. अब खुद दवा कंपनी ने अदालत में मान लिया कि वैक्सीन से 'रेयर हालातों में' खून के थक्के जम सकते हैं. इसके बाद से हंगामा मचा हुआ है.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है. इसे बनाने वाली एस्ट्राजेनेका ने यूके( यूनाइटेड किंगडम) हाईकोर्ट में दिए गए अपने अदालती दस्तावेजों में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से TTS जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं.
एस्ट्राजेनेका ने इस साल फरवरी महीने में यूके हाईकोर्ट के समक्ष वैक्सीन के साइड इफेक्टस के आरोपों को स्वीकार किया. लेकिन साथ में कंपनी ने वैक्सीन के पक्ष में अपने तर्क भी रखे. बता दें कि कंपनी इस वैक्सीन को दुनियाभर में कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया नाम से बेचती है.