भीष्म टैंक (Bhishma Tank), जिसे तकनीकी रूप से T-90S के रूप में जाना जाता है, भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंकों (Main Battle Tanks - MBT) में से एक है. यह रूस द्वारा निर्मित T-90 टैंक का भारत में निर्मित और अनुकूलित संस्करण है. इसे ‘भीष्म’ नाम दिया गया है.
भीष्म टैंक को वर्ष 2001 से भारतीय सेना में शामिल किया गया और तब से यह भारत की पश्चिमी सीमाओं पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, विशेषकर पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर. यह टैंक थार रेगिस्तान और पंजाब की समतल भूमि में उपयोग के लिए उपयुक्त है.
भारत ने रूस से T-90 टैंक का लाइसेंस प्राप्त कर इसे भारत में निर्माण करने का निर्णय लिया था. इसके बाद इसका निर्माण भारत के अवाड़ी स्थित हैवी व्हीकल फैक्टरी (HVF) में किया गया. रूस से आयातित तकनीक और भारत की स्वदेशी तकनीकों का संयोजन इस टैंक में देखने को मिलता है.
125 मिमी स्मूदबोर गन जो टैंक-रोधी मिसाइलें और पारंपरिक गोले दाग सकती है. सहायक हथियारों में 7.62 मिमी coaxial मशीन गन और 12.7 मिमी एंटी-एयरक्राफ्ट मशीन गन आधुनिक रिएक्टिव आर्मर (ERA) से लैस इस टैंक में NBC (Nuclear, Biological, Chemical) सुरक्षा और फायर सप्रेशन सिस्टम लगा हुआ है. इसमें 1000 हॉर्सपावर वाला इंजन लगा हुआ है. यह अधिकतम गति: 60 किमी/घंटा से सड़क पर दौड़ सकती है. इसकी रेंज 500 किमी तक की है. यह थर्मल इमेजिंग और नाइट विजन सिस्टम से लैस है.
आजतक के वर्ल्ड एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि भारत-रूस परमाणु सहयोग में बड़ी घोषणा जल्द आने वाली है. पुतिन ने कहा कि मोदी किसी के दबाव में नहीं झुकते. S-400, Su-57 जैसे सौदों पर बोले- हम सिर्फ हथियार नहीं, तकनीक और विश्वास साझा करते हैं. ब्रह्मोस, टी-90, कलाश्निकोव भारत में ही बन रहे हैं.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत आ रहे हैं. मुख्य मुद्दा है- 2-3 अतिरिक्त S-400 रेजिमेंट की नई डील, 50% तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ. ऑपरेशन सिंदूर में S-400 ने कमाल किया. ब्रह्मोस, AK-203, ऊर्जा, स्पेस में भी सहयोग बढ़ेगा. रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है.
रक्षा मंत्रालय ने बीडीएल के साथ 2,095.70 करोड़ का अनुबंध साइन किया. 'बाय (इंडियन)' के तहत इनवार एंटी-टैंक मिसाइलें खरीदी जाएंगी. ये लेजर-गाइडेड मिसाइलें टी-90 टैंकों की ताकत बढ़ाएंगी. दुश्मन के खिलाफ बड़ा फायदा मिलेगा. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम.
भारत की 'एक्सरसाइज त्रिशूल' पश्चिमी सीमा पर हो रही है, जहां सेना, नौसेना और वायुसेना एकजुट होकर अभ्यास कर रही हैं. 20,000 जवान, ब्रह्मोस मिसाइल और राफेल जेट भी इसमें शामिल हैं. पाकिस्तान ने हवाई क्षेत्र बंद कर नोटैम जारी किया. समुद्री फायरिंग वार्निंग भी दी है. यह उसका डर दिखा रही है या सतर्कता.
जोरावर लाइट टैंक ने प्रारंभिक ट्रायल पास कर लिए, जिसमें 105 मिमी तोप की फायरिंग, गतिशीलता और पानी में तैरने की जांच शामिल है. सितंबर या अक्टूबर 2025 में लद्दाख में सेना के यूजर ट्रायल शुरू होंगे. अगर सारे परीक्षण सफल रहे तो 2027 तक यह सेना में शामिल जाएगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं को पांच साल के युद्ध के लिए तैयार रहने का लक्ष्य दिया. सेना को हथियार भंडारण, सीमा ढांचा और AI प्रशिक्षण बढ़ाना होगा. नौसेना को युद्धपोत और मिसाइलें, वायुसेना को फाइटर जेट और ड्रोन मजबूत करने होंगे. थिएटर कमांड और स्वदेशी तकनीक से भारत आत्मनिर्भर बनेगा, ताकि लंबे युद्धों में भी मजबूत रहे.
भारत का डिफेंस सेक्टर स्वदेशीकरण की राह पर तेजी से बढ़ रहा है. आकाश, ब्रह्मोस, तेजस, INS विक्रांत और पिनाका जैसे हथियारों ने दिखाया कि भारत अब सिर्फ आयातक नहीं, बल्कि निर्यातक भी बन सकता है. 65% स्वदेशी सामग्री और 4,666 आइटम्स की इंडिजनाइजेशन लिस्ट इसकी मिसाल हैं. लेकिन इंजन जैसे कुछ महत्वपूर्ण पुर्जों में अभी विदेशी निर्भरता बनी हुई है.