भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक साल 2035 तक भारत का अपना एख अंतरिक्ष स्टेशन होगा. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS),का वजन 52 टन होगा और यह पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर की कक्षा में रहेगा, जहां अंतरिक्ष यात्री 15-20 दिनों तक रह सकते हैं. जूलाई 2024 में भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के प्रमुख Bill Nelson ने कहा कि भारत का स्पेस स्टेशन (Indian Space Station) बनाने में अमेरिका और नासा दोनों मदद करने को तैयार हैं.
मूल रूप से 2030 तक पूरा होने की योजना थी, बाद में गगनयान चालक दल के अंतरिक्ष यान मिशन और भारत में COVID-19 महामारी के कारण हुई देरी की वजह से इसे 2035 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था. इसका पहला मॉड्यूल 2028 में LVM3 लॉन्च वाहन पर लॉन्च होने की उम्मीद है (Indian Space Station)
रूस ने इसरो को RD-191M सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन की 100% तकनीक दे सकता है. LVM3 रॉकेट में इस्तेमाल होने से GTO पेलोड 4.2 टन से बढ़कर 6.5-7 टन हो जाएगा. भारत में ही बनेगा यह इंजन. गगनयान व भारी उपग्रह मिशनों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा.
चेन्नई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी) में मिशन समुद्रयान की तैयारियां हो रही हैं. यह वो समुद्री अभियान है, जिसमें एक्वानॉट्स को काफी गहराई तक भेजा जाएगा. वे घरेलू पनडुब्बी के जरिए कुछ सौ मीटर से लेकर छह हजार मीटर की गहराई तय करेंगे. एक्वानॉट्स की ट्रेनिंग एस्ट्रोनॉट्स से अलग, लेकिन कहीं ज्यादा मुश्किल होती है.
भारतीय एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में कहा कि स्पेस में तिरंगा फहराना सबसे बड़ा अचीवमेंट था. मिग-21 से ड्रैगन तक की उड़ान का अनुभव साझा किया. हार से सीख मिलती है. प्रयोगों से स्टेम सेल और फूड सिक्योरिटी को फायदा. गगनयान 2027 में, चांद पर 2040 में पहुंचेंगे.
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को गर्व के साथ प्रदर्शित किया. PSLV की शुरुआत से लेकर गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन तक, इसरो ने दुनिया को दिखाया कि भारत अंतरिक्ष में कितना सक्षम है. चंद्रयान-3 की सफलता ने नई पीढ़ी को प्रेरित किया. BAS जैसे प्रोजेक्ट भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाएंगे.
इसरो ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल पेश किया. 2028 में पहला मॉड्यूल और 2035 तक पूरा स्टेशन बनेगा. BAS-01 का वजन 10 टन होगा. यह 450 किमी ऊपर होगा. यह स्वदेशी तकनीक, वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देगा. भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा, जो अंतरिक्ष स्टेशन चलाते हैं.
करीब 41 साल पहले, अप्रैल 1984 में, अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के पहले शख्स विंग कमांडर राकेश शर्मा, सोवियत सैल्यूट 7 अंतरिक्ष स्टेशन के अपने मिशन के बाद सोयूज टी-10 कैप्सूल पर सवार होकर कजाकिस्तान पहुंचे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष में मौजूद भारतीय यात्री शुभांश शुक्ला से बातचीत की. बातचीत के दौरान यात्री ने अंतरिक्ष में अपने अनुभवों, स्टेम सेल और माइक्रो एल्गी पर किए जा रहे प्रयोगों और पृथ्वी को बाहर से देखने पर 'एकता' की भावना का जिक्र किया. उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि 'स्काई इज नेवर द लिमिट' और भारत जल्द ही अपना स्पेस स्टेशन बनाएगा तथा चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी कराएगा. देखें Video.
भारत ने अंतरिक्ष में इतिहास रचा है... इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंदर शुभांशु समेत चारो अंतरिक्षयात्री दाखिल हो चुके हैं...स्पेस स्टेशन का हैच खुला और ये सभी एस्ट्रोनॉट ISS के अंदर दाखिल हो गए...आपको हम इस एतिहासिक पल की तस्वीरें दिखा रहे हैं...जिस पर आज पूरे देश को गर्व है... चारों एस्ट्रोनॉट का स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्षयात्रियों ने स्वागत किया.
भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 41 साल बाद इतिहास रचते हुए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में सफलतापूर्वक डॉक किया. 25 जून को नासा कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस एक्स फाल्कन 9 रॉकेट पर ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए लॉन्च हुए शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं. ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से कहा, 'नमस्कार फ्रॉम स्पेस'. यह डॉकिंग पृथ्वी से 418 किलोमीटर ऊपर हुई. अगले 14 दिनों तक वे ISS में रहेंगे और लगभग 60 रिसर्च की जाएंगी. देखें...
ISRO बड़े मिशन की तैयारी कर चुका है. लॉन्च पैड पर रॉकेट पहुंच चुका है. उसकी ऊपरी नाक में SpaDeX सैटेलाइट लगा दिए गए हैं. इस बार रॉकेट की नाक नुकीली नहीं थोड़ी चपटी है. लॉन्चिंग संभवतः 30 दिसंबर या उससे पहले हो सकती है. इसरो ने फिलहाल तारीख नहीं बताई है. आप यहां देखिए इसरो की बेहतरीन तस्वीरें...
ISRO एक बेहद बड़े प्रयोग की तैयारी में जुटा है. भारतीय स्पेस एजेंसी अंतरिक्ष में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को जोड़कर दिखाएगा. दिसंबर के मध्य में इस मिशन की लॉन्चिंग होने की संभावना है. आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में...
आज यानी 23 अगस्त 2024 को पूरा देश Chandrayaan-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की पहली वर्षगांठ मना रहा है. यानी राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस. ऐसे में आप जानिए भविष्य में बनने वाले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में. पहली बार ISRO ने इसका ऑफिशियल Video जारी किया है.. इसमें बताया गया है कि कैसे ये बनेगा. कितने लोग रहेंगे.
National Space Day 2024: आज यानी 23 अगस्त 2024 को पूरा देश Chandrayaan-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की पहली वर्षगांठ मना रहा है. यानी राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस. ऐसे में आप जानिए भविष्य में बनने वाले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksha Station - BAS) के बारे में. पहली बार ISRO ने इसका ऑफिशियल Video जारी किया है...
भारत सरकार की ओर से नेशनल स्पेस डे के मौके पर देशवासियों के लिए एक खास क्विज गेम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें आपको 1 लाख रुपये जीतने के साथ इसरो की सैर करने का भी अवसर मिलेगा. आइए जानते हैं क्विज गेम खेलने का तरीका.
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का लेटेस्ट डिजाइन सामने आ गया है. इसमें 5 मेटालिक मॉड्यूल्स होंगे. इसका वजन दोगुने से ज्यादा कर दिया गया है. यह अब करीब 52 टन का होगा. जिसमें अधिकतम 6 एस्ट्रोनॉट्स रह सकते हैं. इसमें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तरह कुपोला भी होगा. आइए जानते हैं कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में क्या-क्या होगा?