भागीरथी नदी (Bhagirathi River) गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, जिसे हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में अत्यधिक पवित्र माना जाता है. यह नदी हिमालय में गंगोत्री ग्लेशियर (उत्तराखंड) से निकलती है और गंगा नदी के उद्गम का मुख्य स्रोत मानी जाती है. जो समुद्र तल से लगभग 3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. उत्तराखंड के देवप्रयाग में भागीरथी नदी अलकनंदा नदी से मिलती है. इस संगम के बाद इस नदी को "गंगा" कहा जाता है.
भागीरथी नदी का नाम राजा भागीरथ के नाम पर रखा गया है, जिनके तपस्या के कारण गंगा नदी को धरती पर अवतरित होने का आशीर्वाद मिला था. इसे पवित्र माना जाता है और इसका पानी कई धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है.
भागीरथी नदी का मार्ग हिमालय की सुंदर घाटियों और बर्फीली पहाड़ियों से होकर गुजरता है. इसकी सुंदरता पर्यटकों और ट्रेकिंग के शौकीनों को आकर्षित करती है. भागीरथी नदी पर कई जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गई हैं, जैसे कि टिहरी डैम, जो भारत के सबसे बड़े जलाशयों में से एक है. भागीरथी नदी और गंगा के जल स्तर और स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सरकार और पर्यावरणविद् लगातार प्रयास कर रहे हैं.
हर्षिल में भागीरथी की धारा का बदलाव और 3 किलोमीटर लंबे जलाशय का निर्माण प्रकृति के रौद्र रूप का सबूत है. मलबे का प्राकृतिक बांध और डूबा सेना कैंप-राजमार्ग इस खतरे को और गंभीर बनाते हैं. बारिश और भूस्खलन से बनी यह स्थिति उत्तराखंड के लिए चेतावनी है.
उत्तराखंड की नदियां और पहाड़ प्रकृति का अनमोल तोहफा हैं, लेकिन इंसानी लापरवाही और जलवायु परिवर्तन ने इन्हें तबाही का हथियार बना दिया है. भागीरथी, अलकनंदा और ऋषिगंगा जैसी नदियां, जो कभी जीवन का आधार थीं, अब गलत नीतियों और पर्यावरण की अनदेखी के कारण खतरा बन रही हैं. वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि अगर हम समय रहते सतर्क नहीं हुए, तो ऐसी आपदाएं और बढ़ेंगी.