सुप्रीम कोर्ट में वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर केस पर सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने याचिकाकर्ताओं की पैरवी करते हुए निजी मंदिर होने की दलील दी. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मंदिर की आय सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि मंदिर विकास योजनाओं के लिए भी है. श्याम दीवान ने कहा कि हम सरकार की योजना पर एकतरफा आदेश को चुनौती दे रहे हैं.
इस केस की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच कर रही है. इन याचिकाओं में यूपी सरकार के उस अध्यादेश को चुनौती दी गई है जिसके मुताबिक मंदिर से जुड़ी व्यवस्था राज्य सरकार एक ट्रस्ट को सौंप दिया गया है. याचिकाओं में कहा गया है कि बांके बिहारी मंदिर एक निजी धार्मिक संस्था है. इस अध्यादेश के जरिए मंदिर पर सरकार अपरोक्ष रूप से अपना नियंत्रण करना चाह रही है.
श्याम दीवान ने पिछले आदेश के कुछ हिस्सों पर जताई आपत्ति
श्याम दीवान ने हाई कोर्ट की पिछली खंडपीठ के आदेश के कुछ अंशों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दो व्यक्तियों के निजी विवाद से जुड़ी सिविल अपील में कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर को लेकर आदेश पारित कर दिया, जबकि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुरक्षा, चेक पोस्ट और सार्वजनिक सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करे.
कोर्ट ने कहा कि अदालत ने मुद्दे तय कर दिए हैं जिनमें सरकार की ओर से ट्रस्ट के जरिए अधिग्रहण भी शामिल है. याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम दीवान ने कहा कि राज्य सरकार जमीन खरीदने के लिए मंदिर के पैसे का इस्तेमाल करना चाहती हैं. कोर्ट ने कहा कि राज्य का इरादा मंदिर के धन को हड़पने का नहीं लगता. वे इसे मंदिर के विकास पर खर्च कर रहे हैं.
'यह मेरा निजी मंदिर है'
श्याम दीवान ने कहा कि सरकार हमारे धन पर कब्जा कर रही है. मेरा मंदिर एक निजी मंदिर है. दीवान ने कहा कि समिति मंदिर का इंतजाम संभालती है. मंदिर प्रबंधन समिति में चुनाव के जरिए चार सेवाधिकारी गोस्वामी चुने जाते हैं. गोस्वामियों के अलावा वृंदावन या ब्रज में से समाज के तीन प्रतिष्ठित लोग होते हैं. समिति तीन साल के लिए चुनी जाती है. 2016 में समिति का आखिरी चुनाव हुआ था.
'कोई देवता निजी कैसे हो सकता है?'
कोर्ट ने कहा कि ये नो मेंस लैंड नहीं है. कोर्ट ने रिसीवर भी नियुक्त किया था. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक और याचिका हमारे सामने आई है. श्याम दीवान ने कहा कि ढाई सौ से अधिक गोस्वामी एकजुट हैं. वो मंदिर का प्रबंधन संभाल रहे हैं. हालांकि कई कोर्ट में कुछ याचिकाएं हैं लेकिन वो अलग हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान से पूछा कि आप किसी धार्मिक स्थल को निजी कैसे कह सकते हैं. जहां बहुत से श्रद्धालु आते हैं. वह निजी नहीं हो सकता. प्रबंधन निजी हो सकता है. लेकिन कोई देवता निजी कैसे हो सकता है?
कोर्ट ने पूछा- मंदिर का पैसा आपकी जेब में क्यों जाए?
श्याम दीवान ने कहा कि यह एक अलग मुद्दा है. किसी दीवानी मुकदमे में, जिसमें मैं पक्षकार नहीं हूं, राज्य मेरी पीठ पीछे आकर आदेश ले लेता है. उनके पास कोई योजना हो सकती है लेकिन क्या सरकार ये कर सकती है जो उन्होंने इस योजना के लिए किया है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर का पैसा आपकी जेब में क्यों जाए? वे इसका इस्तेमाल विकास के लिए क्यों नहीं कर सकते? श्याम दीवान ने कहा कि यह एक अलग मुद्दा है. लेकिन यह इस अदालत की उचित प्रक्रिया का मामला है. मेरी बिना जानकारी के अदालत से आदेश हासिल किए गए हैं.