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Amazon-Flipkart के लिए खतरा बन सकते हैं क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म, क्या बदल जाएगा सेल का खेल?

क्विक कॉमर्स का कारोबार तेजी से पॉपुलर हो रहा है. हाल में Zepto ने Apple के प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए करार किया है. इस प्लेटफॉर्म से आप iPhone, iPad, Apple Watch, AirPods और ऐपल प्रोडक्ट्स को खरीद सकते हैं. कंपनी इन्हें सिर्फ 10 मिनट में डिलीवर कर सकती है. इसके बाद सवाल उठ रहा है कि क्या क्विक कॉमर्स प्लेयर्स अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को टक्कर दे सकते हैं.

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AI जनरेटेड प्रतीकात्मक तस्वीर
AI जनरेटेड प्रतीकात्मक तस्वीर

Quick Commers प्लेटफॉर्म्स तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं. Blinkit (Zomato), Swiggy Instamart, Zepto समेत कई दूसरे प्लेयर्स की एंट्री ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है. जहां Flipkart और Amazon जैसे प्लेटफॉर्म्स से सामान ऑर्डर के बाद डिलीवरी में कम से कम दो दिन तक लगते हैं. 

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वहीं Blinkit और Zepto जैसे प्लेटफॉर्म्स से आपको सामान सिर्फ 10 से 30 मिनट में मिल जाता है. इन प्लेटफॉर्म्स ने अब इलेक्ट्रॉनिक्स भी बेचने शुरू कर दिए हैं. यहां से आप iPhone और दूसरे ब्रांड्स के फोन्स भी अब खरीद पाएंगे, जो महज आधे घंटे में आपको मिल जाते हैं. Apple के प्रोडक्ट्स अब आप Blinkit और Zepto से खरीद सकते हैं. यहां पर भी आपको डिस्काउंट मिल रहा है.

बदल रहा है लोगों की शॉपिंग का तरीका

जैसे-जैसे क्विक कॉमर्स कंपनियां इस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगी, पारंपरिक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के लिए चुनौती बढ़ेगी. इलेक्ट्रॉनिक्स एक बड़ी कैटेगरी है, जिसकी वजह से लोग फ्लिपकार्ट और ऐमेजॉन पर जाते हैं. अगर आपको उसी कीमत पर कोई सामान महज 30 मिनट में मिल जाए, तो आप दो दिन का इंतजार क्यों करेंगे. 

ट्रेडिशनल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स भी इस चुनौती को समझ रहे हैं. यही वजह है कि इन प्लेटफॉर्म्स ने भी अपनी क्विक डिलीवरी सर्विस को शुरू कर दिया है. मसलन Flipkart ने Flipkart Minutes को लॉन्च कर दिया है. वहीं Myntra ने MNow नाम से आपको क्विक डिलीवरी सर्विस मिल रही है. 

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इससे ये तो साफ है कि क्विक कॉमर्स की वजह ले ट्रेडिशनल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर चुनौती बढ़ रही है. हालांकि, दोनों के काम करने के तरीके में काफी अंतर है. ट्रेडिशनल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी सामान के ज्यादा ऑप्शन हैं, जो फिलहाल क्विक कॉमर्स पर उपलब्ध नहीं हैं. 

क्या हैं चुनौतियां?

इसके अलावा क्विक कॉमर्स का ज्यादातर कारोबार कुछ ही शहरों में उपलब्ध है. यहां तक की कई शहरों के कुछ एरिया में ही ये कंपनियां अपनी सर्विस ऑफर कर रही हैं. वहीं Flipkart और Amazon जैसे ब्रांड्स के साथ ये दिक्कत नहीं है. ये कंपनियां देश के दूर-दराज के एरिया में भी सर्विस ऑफर करती हैं. 

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हालांकि, इस तरह के नए प्लेटफॉर्म्स के आने से आखिरकार फायदा कंज्यूमर का होगा. अगर आपको एक ही कीमत पर कोई फोन या दूसरा सामान, क्विक कामर्स और ट्रेडिशनल ई-कॉमर्स दोनों प्लेटफॉर्म्स पर मिलने लगेगा, तो निश्चित तौर पर कंपटीशन बढ़ेगा. कंपटीशन बढ़ने का मतलब है कि कंज्यूमर्स को बेहतर डील मिलना. 

लोगों को मिलेंगे ज्यादा ऑप्शन

Mordor Intelligence की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल भारतीय क्विक कॉमर्स बाजार 3.49 अरब डॉलर का है, जो 2030 तक बढ़कर 4.35 अरब डॉलर का हो सकता है. वहीं दूसरी तरफ ई-कॉमर्स बाजार 137.21 अरब डॉलर का है, जो साल 2030 तक बढ़कर 363.3 अरब डॉलर का हो सकता है. 

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अगस्त 2024 में छपी इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की FMCG ऑनलाइन सेल में हिस्सेदारी 30 से 40 फीसदी तक पहुंच रही है. वहीं ई-ग्रॉसरी ऑर्डर में इनकी पकड़ 70 से 75 फीसदी हो गई है, जिसका सीधा प्रभाव ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर पड़ रहा है. वहीं ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के पास ज्यादा वैरायटी और रीच (पहुंच) है, जिसका उन्हें फायदा मिल रहा है.

कुल मिलाकर ये कोई जंग नहीं है. यहां हम लोगों की खरीदारी का बदलता तरीका देख सकते हैं. एक वक्त था, जब लोगों ने दुकानों पर जाने के बजाय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को चुना था. अब लोग क्विक कॉमर्स की ओर बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स के बीच का गैप भी कम होगा. यहां ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने भी अपनी डिलीवरी टाइम को घटाना शुरू कर दिया है.

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