डरबन टेस्ट ख़त्म होते ही क्रिकेट के एक और योद्धा का टेस्ट करियर समाप्त हो गया. अपने आखरी टेस्ट में शतक लगाकर और मैच जीतकर जैक कैलिस ने अपनी विदाई को और भी ख़ास बना लिया. मज़े की बात ये है कि जिस भी टीम से कैलिस खेले, उस टीम में 11 नहीं 12 खिलाड़ी खेलते थे! जी हां जनाब!
एक अकेला कैलिस टीम में 2 खिलाड़ियों का ही तो काम करते थे. 166 टेस्ट मैच में 13,289 रन और 292 विकेट इस बात के गवाह हैं. भारत के राहुल द्रविड़ के रन और ज़हीर खान के विकेटों को आप मिलाएंगे तब जाकर कैलिस की बराबरी होगी. द्रविड़ ने 164 टेस्ट मैच में 13,288 रन बनाए जबकि ज़हीर ने 90 टेस्ट मैच में 302 विकेट लिए हैं, तो हुए ना कैलिस द्रविड़ और ज़हीर के बराबर.

कैलिस ने टेस्ट मैचों में 45 शतक ठोंके जो की सचिन तेंदुलकर (51) के बाद सबसे ज्यादा है. यहां बात सिर्फ रन, विकेट या शतकों की ही नहीं है, कैलिस जब-जब टेस्ट क्रिकेट खेलने उतरे, दक्षिण अफ्रीका ने लगभग 50 प्रतिशत मैचों में जीत दर्ज की, 25 प्रतिशत मैच ड्रॉ रहे जबकि 25 फ़ीसदी मैचों में दक्षिण अफ्रीका को हार मिली. 166 मैचों के अपने सफ़र में कैलिस ने टीम को 82 बार जीतते देखा, 42 मैच ड्रॉ होते देखा जबकि 42 मैचों में ही टीम की हार को भी बर्दाश्त करना पड़ा.

अब जबकि कैलिस संन्यास ले चुके हैं, ऐसे में दक्षिण अफ़्रीकी टीम में वो एक ऐसा खालीपन छोड़ गए हैं जिसे भरना फिलहाल इतना आसन न होगा. कप्तान का जो एक 'कम्फर्टज़ोन' था वो शायद अब ख़त्म हो जाएगा. जब कप्तान के पास कैलिस जैसा खिलाड़ी हो तो कप्तानी करना और रणनीति बनाना बहुत हद तक आसान हो जाता है. ऐसे में कैलिस के रहते बारहवें खिलाड़ी का लाभ जो दक्षिण अफ्रीकी कप्तान को हासिल था, अब वो ख़त्म हो जाएगा.
ज़माने गुजर जाते हैं जब सचिन तेंदुलकर, जैक कैलिस, रिकी पोंटिंग, ब्रायन लारा और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी पैदा होते हैं. पर अफ़सोस की बात ये है कि जब भी हम आज के महान खिलाड़ियों का ज़िक्र करते हैं, तो नाम सचिन, लारा, पोंटिंग और द्रविड़ का लेते हैं, ना जाने क्यों इतनी सारी उपलब्धियों के बाद भी कहीं ना कहीं हम कैलिस का नाम भूल जाते हैं.