डरबन टेस्ट में टीम इंडिया की 10 विकेट से करारी हार हुई और इसके साथ ही भारतीय टीम साल का आखिरी मैच ही नहीं, बल्कि सीरीज भी हार गई. एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका से टीम इंडिया खाली हाथ लौटेगी. विदेशी धरती पर भारतीय टीम की यह लगातार तीसरी हार है.
इस हार के पीछे कुछ कारण हैं. कहीं टीम इंडिया मेजबान के आगे कमजोर नजर आई तो कहीं गंभीर चूक भी टीम को भारी पड़ी. कई मौके थे, जब टीम इंडिया हावी हो सकती थी, जीत की आस जगा सकती थी, लेकिन अपनी गलतियों से उसने मौका खो दिया. यहां हम बता रहे हैं वो गलतियों, जिनके चलते टीम इंडिया को हार का मुंह देखना पड़ा.
पहली गलती: दूसरे दिन बल्लेबाजों का समर्पण
याद कीजिए पहले दिन सिर उठाकर भारतीय बल्लेबाज मैदान से बाहर निकले थे. स्कोर था 1 विकेट पर 181 रन. अगले ही दिन 'तू चल मैं आया' की ऐसी दौड़ शुरू हुई कि पहले 1 रन पर 3 विकेट निकल गए, फिर 14 रन पर 5 और फिर पूरी की पूरी टीम पहले दिन की शानदार बल्लेबाजी के बावजूद 334 पर आउट हो गई.
दूसरी गलती: खराब भारतीय गेमप्लान
तीसरे दिन दक्षिण अफ्रीका की हालत खराब थी. 113 रन पर 3 विकेट थे, लेकिन खराब भारतीय गेमप्लान ने शाम होते-होते ऐसी साझेदारी करा दी कि पासा पलटने लगा. कप्तान धोनी परंपरागत तरीके से जीतना ही भूल गए. फील्ड प्लेसमेंट बल्लेबाजों को नहीं, अपने गेंदबाजों को ही परेशान करने लगी थी. नतीजा ये था कि चौथे विकेट के लिए 127 रन की साझेदारी हो गई.
तीसरी गलती: 145 ओवर बाद ली नई गेंद
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हमेशा कुछ नया करना चाहते हैं. हमेशा और हर हाल में. जरूरत न हो तो भी. इस जिद ने उनके अपने ही गेंदबाजों की हालत पतली कर दी. नई गेंद उन्होंने 65 ओवर देरी से ली. नतीजा ये हुआ कि न तो जहीर जैसे गेंदबाज उस गेंद से रिवर्स स्विंग करा पाए, न ही स्पिनर फिरकी में फंसा पाए.
एक छोर पर डेल स्टेन खेल रहे थे. स्टेन एक पुछल्ले बल्लेबाज हैं. लेकिन, कप्तान की रणनीति ने उनकी हिम्मत भी ऐसी बढ़ा दी कि वो भी हाफ सेंचुरी के करीब जा पहुंचे. कप्तान घिसी पिटी गेंद के साथ रिवर्स स्विंग और फिरकी के कमाल का इंतजार करते रहे और मेजबान रन लूटते रहे.
हो सकता है धोनी के पास इस फैसले के बचाव में ढेर सारे तर्क हों, लेकिन इस सवाल का क्या जवाब होगा कि उनका टालमटोल वाला ये फैसला 500 रन तक बनवा बैठा.
चौथी गलती: सलामी जोड़ी का जल्दी टूट जाना
विरोधी की 166 की बढ़त के बाद टीम इंडिया मुरली विजय को पहले ही गंवा बैठी थी. अब जरूरत हर कदम संभाल-संभालकर बढ़ाने की थी. जरूरत वक्त गुजारने की थी, लेकिन शिखर धवन को ना जाने किस बात की जल्दबाजी थी, वो अपनी ही जिद में थे. एक खराब शॉट दिन का खेल खत्म होने से पहले भारत की मुश्किलें और बढ़ा गया. शिखर धवन इस पूरी सीरीज में बेहतर खेल नहीं दिखा पाए.
पांचवीं गलती: आखिरी दिन कर दिया सरेंडर
आखिरी दिन जब खेल शुरू हुआ तब भारत का स्कोर था 68 रन पर 2 विकेट. कोई पहाड़ नहीं तोड़ना था. जीत की किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी. बस ड्रॉ के लिए डटे रहना था, लेकिन कोई नहीं जमा, 'नई द वॉल' कहे जाने वाले पुजारा भी नहीं. हां अजिंक्या रहाणे ने हौसला दिखाया तो वे टिके भी. लेकिन बाकी बल्लेबाज यूं नजर आए, जैसे कि वे सरेंडर कर चुके हों.
पढ़ें - मैच की पूरी रिपोर्ट