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All India Football Federation: NCP नेता प्रफुल्ल पटेल की छिन सकती है कुर्सी, खेल मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल काफी सालों से ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं. प्रफुल्ल पटेल ने दिसंबर 2020 मे अध्यक्ष के रूप में 12 साल पूरे कर लिए थे.

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Prafull Patel (getty)
Prafull Patel (getty)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • प्रफुल्ल पटेल पूरा कर चुके हैं तीन टर्म 
  • लंबे समय से नहीं हुए हैं चुनाव

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को खेल मंत्रालय ने तगड़ा झटका दिया है. खेल मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि प्रफुल्ल पटेल के पास ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के अध्यक्ष पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. खेल मंत्रालय ने कोर्ट को बताया कि प्रफुल्ल पटेल एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में पहले ही तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, ऐसे में इस राष्ट्रीय संस्था को बिना किसी देरी के चुनाव कराना चाहिए.

एआईएफएफ ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (LSP) दायर की थी, जिसके बाद 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में खेल मंत्रालय ने एक हलफनामा दायर किया.

हलफनामे में कही गई ये बात

खेल मंत्रालय की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है, 'मौजूदा समिति का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है और मौजूदा एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने अध्यक्ष के रूप में 12 साल से अधिक का कार्यकाल पूरा कर लिया है. याचिकाकर्ता (एआईएफएफ) को मौजूदा निर्देशों के अनुसार बिना किसी देरी के चुनाव कराना चाहिए. खेल मंत्रालय ने उन्हें समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किया है.'

काफी समय से पद पर हैं पटेल

प्रफुल्ल पटेल ने दिसंबर 2020 में एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में अपने तीन कार्यकाल और 12 साल पूरे कर लिए थे, जो खेल संहिता के तहत किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) के प्रमुख के लिए अधिकतम है. हालांकि एआईएफएफ ने अपने संविधान के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक लंबित याचिका का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराया. एआईएफएफ ने चुनाव से एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया, जिसमें फेडरेशन के संविधान को लेकर कुछ स्पष्टीकरण मांगा गया था. यह मामला अभी भी अदालत में लंबित है.

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एआईएफएफ ने सोमवार को कई सारे ट्वीट्स कर पूरे मामले को लेकर अपना पक्ष सामने रखा. ट्वीट में कहा गया है, 'वह "कल" ​​​​चुनाव कराने के लिए तैयार है अगर सुप्रीम कोर्ट ने उसके संविधान को मंजूरी दे दे. पहले से ही हमारा संविधान राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप है जो 70 वर्ष की आयु सीमा और कुल 12 वर्ष के तीन कार्यकाल का पालन करता है.'

ट्वीट में आगे बताया गया है, 'चूंकि चुनाव कराने के निर्देश संबंधित उसका आवेदन अभी भी सुप्रीम कोर्ट के पास लंबित है, इसलिए हम नए निकाय की अनुपस्थिति में पद धारण करने के लिए विवश हैं. फीफा और एएफसी के संविधान के अनुसार, एआईएफएफ के मामलों का प्रतिनिधित्व करने लिए एक निर्वाचित संस्था का होना अनिवार्य है.'

एआईएफएफ ने कहा, 'हमारे अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने एआईएफएफ की एजीएम सहित कई मौकों पर कहा है कि उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है और फिर से निर्वाचित नहीं होना चाहते हैं.

2016 में हुए थे पिछले चुनाव

मंत्रालय ने अपने हलफनामे में यह भी संकेत दिया कि खेल संहिता का पालन नहीं करने के कारण एआईएफएफ अपनी सरकारी मान्यता खो सकता है. चूंकि एआईएफएफ द्वारा पिछला चुनाव 21.12.2016 को हुआ था, ऐसे में याचिकाकर्ता को नए सिरे से चुनाव कराने की आवश्यकता है. 23 अक्टूबर 2020 को खेल मंत्रालय ने एआईएफएफ की वार्षिक मान्यता को एक वर्ष के लिए नवीनीकृत किया था.

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इसके अलावा खेल मंत्रालय ने अपने नवीनीकरण पत्र दिनांक 23.10.2020 में स्पष्ट रूप से कहा है कि एआईएफएफ को अपने संविधान को खेल संहिता के प्रावधानों के अनुरूप लाने की तारीख से छह महीने के भीतर लाने की जरूरत है.

राहुल मेहरा ने दायर की थी याचिका

2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रफुल्ल पटेल के एआईएफएफ अध्यक्ष के चुनाव को रद्द कर दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाते हुए पटेल को अपनी भूमिका जारी रखने की इजाजत दी. कोर्ट ने भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी और पूर्व राष्ट्रीय कप्तान भास्कर गांगुली को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया था.

तीन सदस्यीय समिति का हुआ था गठन

प्रफुल्ल पटेल ने  कहा था कि वह एआईएफएफ के किसी भी चुनाव में नहीं लड़ सकते हैं, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री और उनके गुट को यह बात पूरी तरह ज्ञात है किन कारणों के चलते एआईएफएफ के चुनाव नहीं हुए हैं. फरवरी में मुंबई में एआईएफएफ के एजीएम में पटेल पूरे मामले को देखने के लिए एक समिति गठित करने पर सहमत हुए थे. तीन सदस्यीय समिति को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था.

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