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ये हैं क्रिकेट के सबसे बड़े फैन...

बमुश्किल दस दिन बचे हैं क्रिकेट का सबसे बड़ा मुकाबला शुरू होने में. विश्वकप-2015. दिल थामकर बैठे हैं इस खेल के दीवाने, लेकिन कुछ तो ऐसे हैं, जो अपनी इस दीवानगी के लिए दुनिया में जाने जाते हैं. इन्हीं दीवानों पर एक नजर..

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biggest fans of cricket
biggest fans of cricket

बमुश्किल दस दिन बचे हैं क्रिकेट का सबसे बड़ा मुकाबला शुरू होने में. विश्वकप-2015 . दिल थामकर बैठे हैं इस खेल के दीवाने, लेकिन कुछ तो ऐसे हैं, जो अपनी इस दीवानगी के लिए दुनिया में जाने जाते हैं. इन्हीं दीवानों पर एक नजर..

सुधीर कुमार चौधरी (भारत)
मुजफ्फरपुर (बिहार) के रहने वाले सुधीर का 2003 से एक ही काम है. भारतीय क्रिकेट टीम को सपोर्ट करना. अब तक 175 से ज्यादा मैच उन्होंने स्टेडियम में देखे हैं, लेकिन इसके लिए ज्यादातर सफर साइकिल से किया है. यहां तक कि 2006 में लाहौर और 2007 में बांग्लादेश तक वे मैच देखने साइकिल से ही गए. यदि ट्रेन में बैठे तो कई बार पैसे बचाने के लिए बेटिकट ही यात्रा की. सुधीर पर ये जुनून ऐसा चढ़ा कि उन्होंने अपने शरीर को तिरंगे में रंगना शुरू कर दिया. वे एक रात पहले ही बॉडी पेंट लगा लेते हैं और फिर सोते नहीं हैं. ताकि पेंट खराब न हो. 2011 का विश्वकप जीतने के बाद ड्रेसिंग में चल रहे जश्न में शामिल होने के लिए सचिन ने खुद उन्हें स्टेडियम से ड्रेसिंग रूम बुलवाया. सुधीर और विश्वकप के साथ उन्होंने फोटो भी खिंचवाई.

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चाचा क्रिकेट (पाकिस्तान)
चौधरी अब्दुल जलील इसी नाम से जाने जाते हैं. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहने वाले चाचा क्रिकेट को पाकिस्तान के लगभग हर मैच के दौरान स्टेडियम में देखा जा सकता है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड टीम के हर दौरे के साथ उनकी यात्रा का भी खर्च उठाता है. 1980 में वे अबू धाबी में नौकरी किया करते थे. उन्हें लोकप्रियता मिली शारजाह में होने वाले क्रिकेट मैचों से. वे स्टेडियम में हरा लिबास और सफेद टोपी पहनते हैं, जिस पर पाकिस्तान क्रिकेट का चिन्ह होता है. लंबी सफेद दाढ़ी में उन्हें स्टेडियम में दूर से ही पहचाना जा सकता है. एक बड़ा सा पाकिस्तानी झंडा लिए वे पाकिस्तानी टीम के समर्थकों का नेतृत्व करते दिखाई देते हैं.

बार्मी-आर्मी (इंग्लैंड)
क्रिकेट फैन्स का यह ग्रुप खुद को इंग्लैंड टीम का अघोषित 12वां ख्खिलाड़ी मानता है. विश्वकप को लेकर इनकी अपनी वेबसाइट पर खास मेंबरशिप दी जा रही है. इस सालाना मेंबरशिप के लिए 25 पाउंड चुकाने होंगे. दुनिया में इंग्लैंड टीम जहां भी जाती है, उसका उत्साह बढ़ाने के लिए बार्मी-आर्मी भी वहां होती है. स्टेडियम के अलावा यह फैन्स क्लब मैच से पहले और बाद में भव्य पार्टियां भी करता है. इंग्लैंड टीम के दौरों के अनुसार यह क्लब फैन्स के विदेश आने-जाने और रहने की भी व्यवस्था करता है.

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ल्यूक गिलियन (ऑस्ट्रेलिया)
ल्यूक को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का सबसे बड़ा फैन माना जाता है. 1995 में उन्होंने अपनी टीम का सपोर्ट करते हुए 151 मैच स्टेडियम में देख डाले हैं. उन्हें ऑस्ट्रेलियाई फैन्स के बीच फ्लोरल शर्ट पहने अलग ही पहचाना जा सकता है. उन्होंने अपनी इस दीवानगी को कमाई का जरिया भी बनाया है. वे वेविंग फ्लैग नाम की कंपनी चलाते हैं, जो ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों को देश-विदेश में होने वाले मैच देखने के लिए टूर-ऑपरेटर की तरह सेवाएं देते हैं.

ग्रेवी (वेस्टइंडीज)
1988 से 2000 तक वेस्टइंडीज में एंटीगुआ मैदान में क्रिकेट लेबन कैनेथ ब्लैकबर्न लीवेलटाइन बुकानन बेंजामिन उर्फ ग्रेवी के बिना अधूरा कहलाता था. मैदान में कोई भी टीम हो, स्टैंड में ग्रेवी ही आकर्षण का केंद्र रहते थे. अजीबोगरीब पोशाक, कलरफुल शॉल, प्लेटफॉर्म बूट के अलावा ग्रेवी के करतब सबको रिझाते रहे. वे मैच के दौरान किसी जिम्नास्ट की तरह एक बीम से छलांग लगाते. हेड स्पिन करते. उनकी मौजूदगी से स्टेडियम में माहौल किसी कार्निवल की तरह हो जाता. 1990 के इंग्लैंड दौरे के समय ग्रेवी के यह करतब पूरी दुनिया ने देखे. उन्हें विवियन रिचर्ड्स और एंब्रोस के समान ख्याति मिली. वे उस सीरीज के बारे में दावा करते हैं कि ड्रिंक्स ब्रेक के दौरान उनके करतबों ने इंग्लैंड के बल्लेबाजों का इस कदर ध्यान खींचा कि वे ड्रिंक्स नहीं ले पाए. और थके हुए इंग्लिश बल्लेबाजों का वॉल्श और एंब्रोस ने आसानी से शिकार किया.

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