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सचिन यू आर ग्रेट: दिल रो रहा था, फिर भी शतक ठोक कर दिलाई जीत

सचिन के बिना टीम इंडिया के लिए विश्वकप में राह और कठिन थी. यहीं से सचिन ने महानता की इबारत लिख दी. पिता का अंतिम संस्कार कर वो सीधे केन्या के खिलाफ मैच खेलने पहुंच गए.

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सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर

सचिन रमेश तेंदुलकर को यूं ही क्रिकेट का भगवान नहीं कहा जाता है. क्रिकेट को लेकर सचिन के समर्पण और ईमानदारी की कई मिसालें हैं. ऐसी ही एक मिसाल सचिन ने पेश की 1999 विश्वकप के दौरान.

पिता की मौत के बाद सचिन को बीच टूर्नामेंट से लौटना पड़ा
भारत अपना पहला मैच साउथ अफ्रीका से हार चुका था. अब हारने से भारत पर पिछड़ने का खतरा था और भारत का अगला मैच जिम्बाब्वे से था. जिम्बाब्वे उस वक्त एक अच्छी टीम थी. लेकिन जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच से पहले एक बुरी खबर आ गई कि सचिन तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर का निधन हो गया. भारतीय टीम और प्रशंसक स्तब्ध थे. सचिन इस खबर से टूट गए. जाहिर सी बात है कि वो फौरन भारत वापस आ गए.

सचिन के बिना भारत पर था टूर्नामेंट से बाहर होने का खतरा
सचिन की मजबूरी से हर कोई वाकिफ था. यह मैच भारत ने सचिन के बिना खेला और टीम इंडिया जिम्बाब्वे से हार गई. इस मैच में निश्चित तौर पर सचिन की कमी खली थी. इसके बाद अगला मैच केन्या से था और टीम इंडिया पर विश्वकप से बाहर होने का खतरा मंडराने लगा था.

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रोते हुए दिल के बावजूद शतक ठोक कर दिलाई जीत
सचिन के बिना टीम इंडिया के लिए विश्वकप में राह और कठिन थी. यहीं से सचिन ने महानता की इबारत लिख दी. पिता का अंतिम संस्कार कर वो सीधे केन्या के खिलाफ मैच खेलने पहुंच गए. 101 बॉल पर धमाकेदार 140 रन बनाए और भारत को 94 रन से जीत दिला दी. शतक पूरा करने पर सचिन ने आसमान की ओर बल्ला दिखाया और अपने पिता को याद किया. रोते हुए दिल से देश के लिए सचिन ने वो योगदान दे दिया, जिसने उन्हें महान बना दिया. भारत की उम्मीद, भारत का मास्टर मैदान पर लौट आया था.

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