30 साल पहले आज का दिन (10 नवंबर ) विश्व क्रिकेट इतिहास का बड़ा भावुक दिन साबित हुआ था. सबसे बढ़कर भारत की धरती पर अफ्रीकी टीम को 'नया जीवन' मिला. 21 साल तक वर्ल्ड क्रिकेट से कटे रहने के बाद 1991 में दक्षिण अफ्रीका ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था. दरअसल, रंगभेद नीति के कारण दुनिया ने इस देश से दूरी बना ली थी.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् (ICC) से जुड़ने के 4 महीने के अंदर दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत दौरे पर आई थी. वापसी के बाद उसने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेला था. हालांकि वह मुकाबला भारत ने 3 विकेट से जीता था.
अपने पहले ही मैच में तेज गेंदबाज एलन डोनाल्ड ने अपनी छाप छोड़ी थी. उन्होंने 29 रन देकर 5 विकेट झटके थे. डोनाल्ड और सचिन तेंदुलकर (62 रन, 1 विकेट) उस मैच में संयुक्त रूप से ‘मैन ऑफ द मैच’ रहे. उस अफ्रीकी टीम के कप्तान क्लाइव राइस थे, हालांकि आज वे इस दुनिया में नहीं हैं. 66 साल की उम्र में 28 जुलाई 2015 को उनका निधन हो गया .
दरअसल, दक्षिण अफ्रीका सरकार ने कुछ ऐसे नियम बनाए थे, जिसने आईसीसी को असमंजस में डाल दिया था. सरकार के नियमों के मुताबिक उनकी देश की टीम को श्वेत देशों (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) के खिलाफ ही खेलने की अनुमति थी. यह भी शर्त यह थी कि विपक्षी टीम में श्वेत खिलाड़ी ही खेलेंगे.
आईसीसी ने दक्षिण अफ्रीका को निलंबित कर दिया, जिससे अफ्रीकी खिलाड़ियों का भविष्य पर खतरे में पड़ गया. वहां के कई क्रिकेटर्स का करियर इस इंतजार में खत्म हो गया कि दक्षिण अफ्रीकी टीम की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कब वापसी होगी. आखिरकार 21 साल बाद वह दिन आया, जब दक्षिण अफ्रीका में बदलाव आया और वहां रंगभेद रंगभेद की नीति को खत्म किया गया.
... अधूरा रह गया क्लाइव राइस का करियर
दक्षिण अफ्रीका पर प्रतिबंध की वजह से वहां के क्रिकेटर आगे नहीं बढ़ पाए एक नाम क्लाइव राइस का है, अगर उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिला होता, तो आज दुनिया के महान ऑलराउंरों में उनका शुमार होता. क्लाइव राइस का नाम इमरान खान, इयान बॉथम, कपिल देव और रिचर्ड हैडली के साथ 1980 के दशक के पांचवें महान ऑलराउंडर के तौर पर जुड़ सकता था, लेकिन उनका टेस्ट क्रिकेट खेलने का सपना अधूरा रह गया.