सीमित ओवरों के क्रिकेट में बारिश से प्रभावित मैचों के लिए डकवर्थ-लुईस विधि (Duckworth–Lewis method- D/L) को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने 1999 में अपनाया था. यह फॉर्मूला सिडनी में 1992 के विश्व कप के दौरान बारिश से प्रभावित सेमीफाइनल के जवाब में आया था. यह नाटकीय सेमीफाइनल साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच 31 साल पहले आज ही (22 मार्च) खेला गया था.
साउथ अफ्रीका हुआ इस 'रेन रूल' का शिकार
तब 'लोवेस्ट-स्कोरिंग-ओवर' रेन रूल लागू था (बारिश की वजह से मैच की दूसरी पारी के बाधित होने पर लक्ष्य में कटौती पहले बल्लेबाजी करने वाले टीम के सबसे कम स्कोरिंग ओवरों के अनुपात में) ...और इसी नियम के तहत साउथ अफ्रीका को इंग्लैंड ने हराया था.
मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी की. बारिश की वजह से मैच 45 ओवरों का हो गया था. ग्रीम हिक की 90 गेंदों पर 83 रनों की पारी की बदौलत इंग्लैंड का स्कोर 45 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 252 रन तक पहुंचा.
जवाब में साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों ने छोटी-छोटी मगर उपयोगी पारियां खेलकर टीम को मैच में वापसी दिलाने की कोशिश की. एक समय टीम को जीत के लिए 13 गेंदों पर 22 रन चाहिए थे. तभी एक बार फिर जोरदार बारिश आ गई.
...रिवाइज्ड टारगेट ने क्रिकेट फैंस की नींद उड़ाई
बारिश रुकी तो दक्षिण अफ्रीका के सामने रिवाइज्ड टारगेट रखा गया, जिसे देख न सिर्फ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर मैच देख रहे फैन्स हैरान रह गए, बल्कि क्रिकेट की दुनिया भी सन्न रह गई. मैच रुकने से पहले साउथ अफ्रीका को 13 गेंदों में 22 रन चाहिए थे, तो मैच दोबारा शुरू होने पर उसे 1 गेंद पर 21 रनों का असंभव टारगेट दे दिया गया. इस आखिरी गेंद पर एक रन बना और अफ्रीका 19 रनों से हारकर दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से वर्ल्ड कप से बाहर हो गई.
इस नतीजे का मजाक उड़ा. इसके बाद ही आईसीसी ने डकवर्थ-लुईस सिस्टम तैयार किया. फ्रैंक डकवर्थ और टोनी लुईस की सेवानिवृत्ति के बाद नवंबर 2014 से इसे प्रणाली को डकवर्थ-लुईस-स्टर्न (प्रोफेसर स्टीवन स्टर्न इस विधि के संरक्षक बने) के नाम से जाना जाता है.