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Ind Vs Eng: ये है असली Bazball! टेस्ट बन गया वनडे, 3 दिन बैकफुट पर रहकर भी ऐसे जीता इंग्लैंड

ब्रैंडन मैक्कुलम जब से इंग्लैंड के कोच बने हैं, तभी से पूरी टीम के हाव-भाव बदल गए हैं. एजबेस्टन टेस्ट के आखिरी दिन जो कमाल हुआ, वह इंग्लैंड के टेस्ट क्रिकेट खेलने के नए अंदाज़ को बताता है.

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बेन स्टोक्स और ब्रैंडन मैक्कुलम (Getty)
बेन स्टोक्स और ब्रैंडन मैक्कुलम (Getty)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टीम इंडिया ने एजबेस्टन टेस्ट 7 विकेट से गंवाया
  • इंग्लैंड की आक्रामक रणनीति के आगे भारत फेल

इंग्लैंड क्रिकेट सर्कल में पिछले कुछ महीनों से एक शब्द की बहुत चर्चा है, वो है Bazball. इस एक शब्द ने इंग्लैंड की टेस्ट टीम को बदलकर रख दिया है, अब बड़े से बड़े लक्ष्य को आसानी से हासिल भी किया जा रहा है. और इसका सबसे ताजा उदाहरण भारत के खिलाफ एजबेस्टन टेस्ट मैच में मिला, जहां इंग्लैंड ने पूरे पासे को पलट कर मैच अपने नाम कर लिया. ये Bazball क्या है, जानिए...

इंग्लैंड की टेस्ट टीम को कुछ वक्त पहले ही नया कोच मिला है, न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान ब्रैंडन मैक्कुलम को ये जिम्मेदारी दी गई है. मैक्कुलम का निकनेम Bazz है और उनकी रणनीति ही Bazball है. जिन्होंने इंग्लैंड के टेस्ट क्रिकेट कल्चर को पूरी तरह बदलने की ठानी है. 

भारत के खिलाफ हुए एजबेस्टन टेस्ट से पहले इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन टेस्ट की सीरीज़ खेली और क्लीन स्वीप कर दिया. अब एजबेस्टन टेस्ट में भी अंग्रेज़ों की यही नीति काम कर गई और जो टीम तीन दिन तक बैकफुट पर थी, उसने आखिरी दो दिन में ऐसा गेम पलटा कि टीम इंडिया देखती रह गई. 

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Bazball का इफेक्ट

भारत ने शुरुआती तीन दिन तक इस टेस्ट में दमदार खेल दिखाया. पूरे मैच पर पकड़ बनाए रखी, लेकिन जैसे ही इंडिया की दूसरी पारी शुरू हुई खेल बदल गया. इंग्लैंड ने मैच के तीसरे दिन सिर्फ 120 रनों के अंतर पर भारत के आखिरी सात विकेट गंवा दिए. इंडिया ने इंग्लैंड को 378 रनों का टारगेट दिया.

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इंग्लैंड ने चौथी पारी में इतना टारगेट कभी चेज़ नहीं किया था, ना ही भारत ने 350 से ज्यादा का टारगेट देकर कोई मैच गंवाया. लेकिन यहां पर दोनों ही बातें गलत साबित हुई, ये सब इंग्लैंड की दूसरी पारी ने कर दिखाया. 

इंग्लैंड को 378 का टारगेट मिला और उसके पास डेढ़ दिन का वक्त था. इंग्लैंड के एलेक्स लीस और जैक क्रॉली ने पारी की शुरुआत की और ताबड़तोड़ पारियां खेली. दोनों खिलाड़ियों ने करीब 20 ओवर में ही 100 का स्कोर पार कर लिया, इंग्लैंड को पहला झटका 107 पर लगा और यह सिर्फ 22वां ओवर था. ये किसी टेस्ट नहीं बल्कि वनडे मैच जैसी शुरुआत थी. 

एक विकेट गिरने के बाद इंग्लैंड को लगातार दो झटके और लगे, सिर्फ दो रन के भीतर टीम ने 3 विकेट गंवा दिए. लेकिन इसके बाद जो रूट और जॉनी बेयरस्टो आए, दोनों ने पहले पारी को संभाला और फिर गियर बदल दिया. दोनों ही खिलाड़ियों ने उस औसत को बरकरार रखा, जो ओपनर्स छोड़कर गए थे. यही वजह रही कि 76.6 ओवर में 4.93 की औसत से इंग्लैंड ने सिर्फ 3 विकेट खोकर ही 378 रनों का टारगेट पा लिया. 

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मैक्कुलम की आक्रामक सोच

ब्रैंडन मैक्कुलम जब खुद क्रिकेट खेलते थे, तब उनका अंदाज़ ऐसा ही था जैसा उनकी कोचिंग में झलक रहा है. आते ही आक्रामक शुरुआत देना, टेस्ट में भी आगे बढ़-बढ़कर छक्के जड़ना. न्यूजीलैंड का कप्तान बनने पर ब्रैंडन मैक्कुलम ने टीम की सोच को बदल दिया, न्यूजीलैंड ने इसके बाद कई मैच जीते. वर्ल्डकप के फाइनल में लगातार दो बार जगह भी बनाई.

ब्रैंडन मैक्कुलम को जब इंग्लैंड का कोच बनाया गया, तब हर किसी को उम्मीद थी कि अब चीज़ें बदल जाएंगी और ऐसा ही हुआ. मैक्कुलम के कमान संभालते ही इंग्लैंड को नया टेस्ट कप्तान मिला, जो बेन स्टोक्स हैं. कप्तान और कोच दोनों ही आक्रामक सोच वाले हैं और इसी का असर पूरी टीम पर दिख रहा है. 

एजबेस्टन टेस्ट में मैक्कुलम की रणनीति का एक नज़ारा भी देखने को मिला, जब उन्होंने दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ शॉर्ट बॉल रखने का इशारा किया. श्रेयस अय्यर बैटिंग करने आए तब मैक्कुलम ने बालकनी से ही ऐसा इशारा किया, उसके बाद इंग्लैंड के बॉलर्स ने भारतीय बल्लेबाजों पर शॉर्ट बॉल की बौछार कर दी. और सिर्फ 120 रनों के भीतर ही आखिरी सात विकेट गिर गए. 

 

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