कर्नाटक के बाएं हाथ के बल्लेबाज देवदत्त पडिक्कल ने विजय हज़ारे ट्रॉफी में अपने शानदार फॉर्म को जारी रखते हुए चार मैचों में तीसरा शतक जड़ दिया है. पुडुचेरी के खिलाफ अहमदाबाद में खेली गई उनकी संयमित और परिपक्व शतकीय पारी ने एक बार फिर उन्हें भारत की वनडे टीम में चयन की चर्चा के केंद्र में ला दिया है.
25 वर्षीय पडिक्कल ने ADSA रेलवे क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए मुकाबले में 116 गेंदों में 113 रनों की शानदार पारी खेली. इस पारी के दौरान उन्होंने जोखिम से बचते हुए स्ट्रोक्स की टाइमिंग और प्लेसमेंट पर ज्यादा ध्यान दिया और पारी को अंत तक संभाले रखा. यह पारी इस बात का सबूत है कि वह न सिर्फ आक्रामक बल्लेबाज़ी कर सकते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर पारी को थामने की क्षमता भी रखते हैं.
लगातार बेहतर खेल रहे देवदत्त
इससे पहले टूर्नामेंट में पडिक्कल ने झारखंड के खिलाफ 147 रन और केरल के खिलाफ 124 रन की बेहतरीन पारियां खेली थीं. उनका एकमात्र साधारण प्रदर्शन तीसरे मैच में आया, जहां उन्होंने तमिलनाडु के खिलाफ 12 गेंदों में 22 रन बनाए. इसके बावजूद, चार मैचों में 405 रन बनाकर पडिक्कल इस सीज़न के सबसे निरंतर प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाज़ों में शामिल हो गए हैं.
कर्नाटक का दबदबा, ओपनिंग में 228 रन की साझेदारी
पुदुचेरी के खिलाफ मुकाबले में कर्नाटक ने पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया और शुरुआत से ही मैच पर पकड़ बना ली. देवदत्त पडिक्कल और कप्तान मयंक अग्रवाल ने मिलकर पहले विकेट के लिए 228 रन की विशाल साझेदारी की, जो लगभग 38 ओवर तक चली. इस साझेदारी ने मुकाबले को पूरी तरह एकतरफा बना दिया.
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पडिक्कल को अंततः जयंत यादव ने 113 रनों पर आउट किया. उनकी पारी में 10 चौके और 4 छक्के शामिल थे. खास बात यह रही कि यह शतक पूरी तरह नियंत्रण और साफ स्ट्रोकप्ले पर आधारित था, न कि अनावश्यक आक्रामकता पर.
लिस्ट-A क्रिकेट में भी शानदार रिकॉर्ड
देवदत्त पडिक्कल के लिस्ट-A आंकड़े उनकी निरंतरता की गवाही देते हैं. उन्होंने अब तक सिर्फ 36 पारियों में 12 शतक और 12 अर्धशतक लगाए हैं, जो एक असाधारण कन्वर्ज़न रेट है. शुरुआत को बड़े स्कोर में बदलने की उनकी क्षमता उन्हें घरेलू वनडे क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ों में शामिल करती है.
क्या मिलेगा भारतीय टीम में मौका
हालांकि पडिक्कल भारत के लिए 2 टेस्ट और 2 टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक वनडे में डेब्यू का मौका नहीं मिला है. आने वाले समय में भारत का व्हाइट-बॉल कैलेंडर व्यस्त रहने वाला है और ऐसे में विजय हज़ारे ट्रॉफी में उनका यह प्रदर्शन बिल्कुल सही समय पर आया है.
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इस संस्करण में सबसे खास बात यह रही कि उनके शतकों में विविधता देखने को मिली—
* झारखंड के खिलाफ आक्रामक पारी- 147
* केरल के खिलाफ संतुलित शतक- 124
* पुडुचेरी के खिलाफ पारी को संभालने वाली पारी- 113
यह विविधता दर्शाती है कि पडिक्कल अब अलग-अलग परिस्थितियों और मैच सिचुएशन्स में खुद को बेहतर ढंग से ढाल रहे हैं. भारत की वनडे टीम में ओपनिंग स्लॉट के लिए मुकाबला भले ही कड़ा हो, लेकिन देवदत्त पडिक्कल ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि चयन की बहस में उनका नाम मजबूती से शामिल रहे. विजय हज़ारे ट्रॉफी आगे बढ़ने के साथ, वह रन बनाकर अपनी दावेदारी और पुख्ता करते जा रहे हैं.