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यूरोप में आ सकता है हिमयुग! सबसे पहले जमेगा ये खूबसूरत देश, भारत-अफ्रीका पर ऐसा असर

अटलांटिक महासागर की समुद्री धारा खत्म हो रही है. आइसलैंड ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा घोषित किया. क्योंकि यह धारा यूरोप को गर्म रखती है. खत्म होने पर यूरोप में हिमयुग आ जाएगा. अफ्रीका, भारत और दक्षिण अमेरिका में बारिश का पैटर्न बिगड़ सकता है. किसानों को नुकसान होगा. वैज्ञानिक चेताते हैं- अगले दशकों में ये संकट जरूर आएगा.

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आइसलैंड में तट पर मौजूद बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़ों के पीछे से समंदर देखता वैज्ञानिक. (Photo: Reuters)
आइसलैंड में तट पर मौजूद बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़ों के पीछे से समंदर देखता वैज्ञानिक. (Photo: Reuters)

अटलांटिक महासागर की मुख्य समुद्री धारा (Ocean Current) जो यूरोप और कई महाद्वीपों को गर्म रखती है वो खत्म हो रही है. यानी ठंडी हो रही है. इसे आइसलैंड ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बता दिया है. यह धारा अगर रुक गई तो पूरे यूरोप में फिर से हिमयुग आ सकता है. यानी चारों तरफ बर्फ ही बर्फ. 

आइसलैंड के जलवायु मंत्री जोहान पाल जोहानसन ने कहा कि यह देश की अस्तित्व के लिए खतरा है. सरकार अब सबसे बुरे हालात के लिए योजना बना रही है. क्योंकि आइसलैंड एकदम नॉर्थ पोल पर ही है. सबसे बुरा असर उसे ही होगा. 

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Iceland Atlantic Ocean Ice Age

अटलांटिक धारा क्या है और क्यों महत्वपूर्ण?

अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) नाम की यह धारा गर्म पानी को उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से आर्कटिक की ओर ले जाती है. इससे यूरोप के सर्दियां हल्की रहती हैं. लेकिन जलवायु परिवर्तन से आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है. ग्रीनलैंड की बर्फीली चादर से ठंडा पानी समुद्र में बह रहा है.

वैज्ञानिक कहते हैं कि यह ठंडा पानी धारा को बाधित कर सकता है. अगर AMOC ढह गई, तो उत्तरी यूरोप में सर्दियों का तापमान बहुत गिर जाएगा. बर्फ और बर्फीले तूफान बढ़ जाएंगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह धारा पहले भी ढह चुकी है. लगभग 12,000 साल पहले आखिरी बर्फीले युग से पहले यही हुआ था.

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आइसलैंड की चिंता: पहली बार जलवायु खतरे को सुरक्षा मुद्दा बनाया

मंत्री जोहानसन ने कहा कि यह हमारी राष्ट्रीय मजबूती और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है. यह पहली बार है जब किसी खास जलवायु घटना को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सामने अस्तित्व का खतरा बताया गया. अब सभी मंत्रालय सतर्क हैं और जवाब तैयार कर रहे हैं. सरकार शोध, नीतियां और आपदा तैयारी पर काम कर रही है.

खतरों में ऊर्जा और भोजन सुरक्षा, बुनियादी ढांचा और अंतरराष्ट्रीय परिवहन शामिल हैं. जोहानसन ने कहा कि समुद्री बर्फ जहाजों को रोक सकती है. चरम मौसम कृषि और मछली पकड़ने को नुकसान पहुंचा सकता है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और भोजन के लिए जरूरी हैं. आइसलैंड इंतजार नहीं कर सकता.

Iceland Atlantic Ocean Ice Age

वैश्विक प्रभाव: सिर्फ यूरोप नहीं, पूरी दुनिया प्रभावित

AMOC के ढहने का असर उत्तरी यूरोप से कहीं आगे जाएगा. अफ्रीका, भारत और दक्षिण अमेरिका के किसानों पर वर्षा पैटर्न बिगड़ सकती है. अंटार्कटिका में गर्मी तेज हो सकती है, जहां बर्फ पहले ही खतरे में है. वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि अगले कुछ दशकों में घटना पूरी हो जाएगी, क्योंकि वैश्विक तापमान बढ़ रहा है.

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फिनलैंड के मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक एलेक्सी नुमेलिन ने कहा कि कब होगा, इस पर बहुत शोध हो रहा है. लेकिन समाज पर असर के बारे में कम जानकारी है. जर्मनी के पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट के स्टेफन राह्मस्टॉर्फ ने कहा कि विज्ञान तेजी से बदल रहा है. समय कम है, क्योंकि टिपिंग पॉइंट करीब आ रहा है.

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अन्य देशों की प्रतिक्रिया: शोध बढ़ा रहे हैं

उत्तरी यूरोप के अन्य देश भी सतर्क हैं. आयरलैंड के मौसम विभाग ने प्रधानमंत्री और संसदीय समिति को जानकारी दी है. नॉर्वे का पर्यावरण मंत्रालय नया शोध कर रहा है. ब्रिटेन ने 81 मिलियन पाउंड से ज्यादा शोध के लिए दिए. 

Iceland Atlantic Ocean Ice Age

नॉर्डिक काउंसिल ने अक्टूबर में 60 विशेषज्ञों के साथ "नॉर्डिक टिपिंग वीक" कार्यशाला की. वे समाज पर असर की सिफारिशें तैयार कर रहे हैं. सोमवार को 30 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की बर्फ पिघलने पर चेतावनी दी. 

आगे क्या? तत्काल कार्रवाई जरूरी

आइसलैंड ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ने और गर्मी तेज होने के बीच जोखिम नहीं ले रहा. सरकार जलवायु अनुकूलन योजनाओं में जोखिमों को शामिल कर रही है. विशेषज्ञ कहते हैं कि समाज को प्रभाव समझने के लिए ज्यादा शोध चाहिए. यह मुद्दा दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ पर्यावरण नहीं, बल्कि सुरक्षा का सवाल है.

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